नंग धड़ंग प्रदर्शन करेंगे 108 दिनों से आंदोलन कर रहे 18 हजार पंचायत सचिवालय स्वयं सेवक
रांची । 108 दिनों से आंदोलन कर रहे झारखंड पंचायत सचिवालय स्वयं सेवक का सब्र का बांध टूट रहा है। अपनी पांच सूत्री मांगों को लेकर राजभवन के समक्ष पिछले 108 दिनों से धरना- प्रदर्शन कर रहे ये कर्मी ने उग्र आंदोलन करने का फैसला लिया है .
मंत्री आवास पर होगा नंग धड़ंग आंदोलन
प्रदेश अध्यक्ष चंद्रदीप कुमार ने कहा कि मंत्री आलमगीर आलम ने वादा किया है और हमारी मांग को पूरा नहीं करते हैं, तो दुर्गा पूजा के बाद आलमगीर आलम के आवास नंग- धड़ंग प्रदर्शन किया जाएगा. इसमें 18000 पंचायत सचिवालय स्वयं सेवक के सदस्य उपस्थित रहेंगे . उसके बाद सभी मंत्रियों के आवास के पास भी नंग- धड़ंग प्रदर्शन होगा. फिर भी मांग पूरा नहीं हुई, तो 15 नवंबर को स्थापना दिवस के दिन मोरहबादी मैदान में नंग- धड़ंग प्रदर्शन किया जाएगा. इसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी.
वहीं संघ के विवेकानंद चौबे ने कहा कि धरना का आज 108 दिन हो गया. फिर भी सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है. धरना -प्रदर्शन में प्रदेश अध्यक्ष चंद्रदीप कुमार, विवेकानंद चौबे, इमरान अंसारी, बिनीता, चिंता, रूपेश, धर्मेंद्र, अब्दुर, उपेंदर, अजीत, प्रवेश, राजन एवं सैकड़ों की संख्या में स्वयंसेवक शामिल हुए।
आखिर सरकार क्यों नहीं ले रही सुध
पिछले 108 दिन से राजभवन के समीप आंदोलनरत en कर्मियोवकु सुध लेने वाला कोई नहीं। इस बीच कई त्योहार इन कर्मियों ने सड़क पर बिताया।नवरात्र जैसे पावन अवसर पर सरकार के तरफ से इन कर्मियों के पांच सूत्री मांगों पर जवाब या हल निकालने कि कोई कोशिश नहीं है। आंदोलनरत कर्मियों ने कहा कि इसे दुर्भाग्य नहीं कहें तो क्या कहे अपने को लोकत्रांत्रिक और लोकप्रिय कही जाने वाली सरकार संवैधानिक रूप से आंदोलन कर रहे कर्मियों के समस्या समाधान करने की दिशा में कोई कारवाई नहीं कर रही।
राजनीतिक उलझनों में नहीं फंस गया कर्मियों की समस्या
सूत्र बताते हैं कि इन कर्मियों की नियुक्ति पिछली रघुबर सरकार के कार्यकाल के दौरान हुई थी। सरकार ने नियुक्ति के समय इन अनुबंध कर्मियों के पद के साथ स्वयंसेवक शब्द जोड़ दिया उसके बाद हेमंत सरकार इन शब्द को RSS से जोड़ कर देख रही हैं जिस कारण इस वर्ष के शुरुवाती समय से ही इनका मानदेय बंद के दिया और बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
बहरहाल मामला जो भी हो पदनाम में शब्दों के चयन में कर्मियों की भूमिका नहीं होती। बेरोजगारी की मार झेल रहे युवा पिछले 108 दिनों से सड़क पर है।उनके परिवार और आश्रित इस उम्मीद के साथ है की आज नहीं तो कल हेमंत सरकार हमारी समस्या का समाधान करेगी। इन कर्मियों में महिलाएं और पुरुष है। यदि शब्दों के चयन से कोई शिकायत है तो सरकार अपने मुताबिक पदनाम में शब्दो को जोड़ या हटाकर इन कर्मियों के पांच सूत्री मांगों के समाधान निकालने में देरी नहीं करनी चाहिए।