225 पारा शिक्षक होंगे बर्खास्त: 20 साल तक फर्जीवाड़ा कर की नौकरी, यूपी सरकार के पत्र से मचा हड़कंप, विभाग ने 225 शिक्षकों के काम पर लगायी रोक, अब होगी बर्खास्तगी

गिरिडीह। पारा शिक्षकों के फर्जीवाड़े ने शिक्षा विभाग के हैरान-परेशान कर दिया है। 20 साल से फर्जी प्रमाण पत्र से नौकरी करने वाले पारा शिक्षकों के बारे में विभाग को थोड़ी सी भी भनक नहीं लगी। इस दौरान पारा शिक्षकों ने सिर्फ विभाग की आंखों में धूल झोंककर वर्षों तक नौकरी की, बल्कि वेतन भी उठाया। मामला झारखंड के गिरिडीह का है, जहां बड़ी संख्या में पारा शिक्षकों के फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ है।

आरोप है कि 225 पारा शिक्षकों के फर्जी प्रमाण पत्रों का खुलासा हुआ है। इन शिक्षकों की अब बर्खास्तगी की कार्रवाई होगी। सभी शिक्षकों के काम करने पर अभी रोक लगा दी गयी है। DEO ने फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे 225 पारा शिक्षकों के संदर्भ में कार्रवाई के लिए सभी BEO को निर्देश जारी कर दिया है। माना जा रहा है कि BEO की तरफ से भेजे जाने वाले प्रस्ताव के आधार पर संबंधित शिक्षकों के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू हो जायेगी। आपको बता दें कि सरकार के द्वारा सहायक शिक्षकों के प्रमाण पत्र की जांच करवायी गई थी।

शिक्षा विभाग की तरफ से पारा शिक्षकों के प्रमाण पत्र की जांच में प्रमाण पत्र के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। 225 सहायक शिक्षकों का शैक्षणिक प्रमाण पत्र भारतीय शिक्षा परिषद लखनऊ, वृंदावन विश्वविद्यालय मथुरा, हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद समेत कई वैसे विश्वविद्यालय से निर्गत हुआ था, जो मान्यता प्राप्त है ही नहीं। झारखंड सरकार ने इस संदर्भ में यूपी सरकार को पत्र लिखकर संबंधित संस्थानों के बारे में जानकारी मांगी थी।

झारखंड सरकार के पत्र के बारे में दी गयी जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश के शिक्षा सचिव से मिले जवाब के बाद हुआ था। डीएसई ने बताया कि प्रमाण पत्र की जांच के लिए संस्थान की मान्यता की जानकारी के लिए यूपी के शिक्षा सचिव को पत्र लिखा गया था. 10 जुलाई को यूपी के शिक्षा सचिव ने जानकारी दी की इन शिक्षण संस्थान को सरकार से मान्यता नहीं मिली है। सरकार द्वारा मान्यता नहीं मिलने वाले शैक्षणिक प्रतिष्ठान से जारी प्रमाण पत्र पर बहाल हुए सहायक शिक्षक की बरखास्तगी होगी।

HPBL Desk
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