23 कीमोथैरेपी- 31 रेडिएशन…लेकिन नहीं हारी हिम्मत, मौलिक ने नीट में हासिल किये 720 में से 715 नंबर, हिला देगी इस कैंसर पेसेंट युवा की कहानी

NEET Success Story: 23 कीमोथैरेपी- 31 रेडिएशन…लेकिन मौलिक ने हिम्मत नहीं हारी, मौलिक ने अपने फौलादी इरादों से नीट की परीक्षा में 715 अंक हासिल किये। आंख में पानी और दिल में तूफान ला देने वाली ये कहानी या कहें आप बीती है नीट यूजी में धमाकेदार सफलता हासिल करने वाले मौलिक पटेल की. कैंसर जैसी बीमारी से जूझते हुए मौलिक ने पहले बीमारी पर जीत पायी और फिर नीट परीक्षा में. सुनकर यकीन नहीं होगा. मौलिक के 720 में से 715 अंक आए हैं।

इसी के साथ उसने महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड में 94.67 प्रतिशत अंक प्राप्त किए. अब मौलिक कैंसर मरीजों के जीवन में खुशहाली लाने के लिए एंकोलॉजिस्ट बनना चाहता है. मौलिक का परिवार मुम्बई में घाटकोपर में रहता है. मौलिक ने बताया मई 2022 में शरीर में बदलाव आने शुरू हो गए. कमजोरी महसूस करने लगा. यूरीनेशन के समय दर्द के अलावा बुखार भी रहने लगा. मैं इन सबको लक्षणों को सामान्य समझ रहा था।

हॉस्टल में रहता था तो स्थिति के बारे में रूममेट ने परिवार को सूचना दी. डॉक्टरों को दिखाया. सोनोग्राफी और अन्य जांच के बाद पता चला कि यूरीनेशन ब्लैडर के पास एक ट्यूमर है, जो 10 सेंटीमीटर का था. सीटी स्कैन और बायोप्सी के बाद डॉक्टरों ने बताया कि उसे ‘सरकोमा’ है. जो कि एक तरह का कैंसर है. परिवार को झटका लगा क्योंकि मैं सिंगल चाइल्ड हूं और इतनी कम उम्र में कोई कैसे इतनी भयंकर बीमारी से पीड़ित हो सकता है.

मौलिक आगे बताते हैं कि कैंसर से संघर्ष पूरे दो साल चला. इस साल जब अप्रैल में डॉक्टरों ने उसे कैंसर मुक्त घोषित कर दिया तो मैंने एलन में टेस्ट देने की अनुमति देने के लिए बात की. इस दौरान 12वीं के एग्जाम में शामिल हुआ, जितने भी मेजर टेस्ट थे, वो भी नियमित दे रहा था. मैंने ज्यादा से ज्यादा मॉक टेस्ट दिए. अब मैं केवीएम हॉस्पिटल मुंबई से एमबीबीएस करना चाहता हूं और अंकोलॉजिस्ट बनना चाहता हूं।

मौलिक ने बताया मेरी जून 2022 में सर्जरी हुई थी. मुझे कैंसर का पता था लेकिन ये नहीं पता था कि इसका ऑपरेशन इतना बड़ा था. डॉक्टरों ने आशंका जताई कि यूरीनेरी ब्लैडर निकालना पड़ सकता है. सिर्फ इसी बात का डर था कि कहीं ऐसा नहीं हो जाए. लेकिन, ऑपरेशन में डॉक्टरों ने ब्लैडर नहीं निकाला. इसके बाद कीमोथैरेपी की शुरुआत हुई. जिसमें रोजाना 3-4 घंटे लगते थे. साइड इफेक्ट भी थे. कब्ज रहता था. सिर के बाल तक चले गए थे. अक्टूबर 2022 तक कीमोथैरेपी के तीन सेशन हो चुके थे. इसके बाद डॉक्टरों ने फिर से चैकअप किया, जिसमें चार सेंटीमीटर का ट्यूमर अब भी था. डॉक्टरों ने कीमोथैरेपी की डोज बदली, जो दिसंबर तक चली. इस दौरान मैंने अक्टूबर और नवंबर में एलन के टेस्ट भी दिए थे. जनवरी में डॉक्टरों ने फिर जांच की तो ट्यूमर फिर से बढ़कर 16 सेंटीमीटर का हो गया था. यूरीनेशन के दौरान दर्द हो रहा था. जनवरी 2023 में डॉक्टरों ने फिर से सर्जरी प्लान की. इसी दौरान 12वीं की परीक्षा में प्रेक्टिकल देने का समय आ गया लेकिन स्थिति सही नहीं थी इसलिए मैंने 12वीं बोर्ड एवं नीट परीक्षा दोनों ही नहीं दी.

दूसरी सर्जरी में भी पूरा ट्यूमर नहीं निकला. डॉक्टरों ने दूसरी सर्जरी के बाद फरवरी में चैकअप किया तो सामने आया कि अब भी ट्यूमर 10 सेंटीमीटर का बचा हुआ था. डॉक्टरों ने निर्णय लिया कि इतने बड़े ट्यूमर पर रेडिएशन नहीं दे सकते इसलिए कीमोथैरेपी का बोला. कुल 31 रेडिएशन जुलाई 2023 तक हो चुके थे. नवंबर 2023 के दूसरे सप्ताह में फिर टेस्ट कराया तो साइज ज्यादा छोटा हो गया था. दिसंबर 2023 तक दवाइयां बंद हो चुकी थीं. इस पूरे इलाज के दौरान मैं रोजाना ऑनलाइन पढ़ाई करता था. हॉस्पिटल में कई बार तीन से चार घंटे इंतजार करना पड़ता था लेकिन, इस दौरान भी मैं जैसे-तैसे पढ़ाई नियमित करता रहता था.

HPBL Desk
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