17-18 अक्टूबर को गिरिडीह में आयोजित होगा तीसरा झारखंड साइंस फिल्म फेस्टिवल...

रांची तीसरा झारखंड साइंस फिल्म फेस्टिवल का अगला चरण 17 एवं 18 अक्टूबर को गिरिडीह में आयोजित होगा। जिसमें झारखंड समेत देश भर की महत्वपूर्ण फिल्में दिखाई जाएंगी।
साइंस फार सोसायटी झारखंड द्वारा आयोजित इस विज्ञान फिल्म महोत्सव का स्थानीय आयोजक है साइंस फार सोसायटी झारखंड की गिरिडीह इकाई। उल्लेखनीय है कि साइंस फार सोसायटी झारखंड एवं वैज्ञानिक चेतना साइंस वेब पोर्टल विज्ञान एवं जन आधारित फिल्मों को समाज में वैज्ञानिक जागरूकता के लिए जन अभियान का रूप देने के लिए प्रयासरत है।
फ़िल्मों के माध्यम से समाज में वैज्ञानिक चेतना का विकास करने के उद्धेश्य से शुरू हुआ झारखंड साइंस फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत दक्षिणी छोटानागपुर के लोहरदगा में अप्रैल-मई में हुई थी. दूसरा फेस्टिवल कोल्हान के चार स्थानों पर क्रमशः जमशेदपुर, पटमदा, चाईबासा और चांडिल में, अगस्त में आयोजित किया गया था. पहले दो फेस्टिवल्स की तरह, तीसरा झारखंड साइंस फिल्म फेस्टिवल में न सिर्फ इस क्षेत्र की विशिष्टता बल्कि यहां की समस्याएं एवं चुनौतियां भी सामने उभर कर आएंगी। तीसरे चरण के प्रारंभ में बोकारो में आयोजित साइंस फिल्म फेस्टिवल की अपार सफलता ने गिरिडीह में प्रभावी आयोजन का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।

गिरिडीह में जे सी बोस गर्ल्स हाई स्कूल में आयोजित होगा साइंस फिल्म फेस्टिवल

गिरिडीह में साइंस फिल्म फेस्टिवल का आयोजन 17 एवं 18 अक्टूबर को जे. सी. बोस गर्ल्स हाई स्कूल में होगा। गिरिडीह के महत्व का अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि यह कभी देश के महान वैज्ञानिक डॉ जे सी बोस का गृह क्षेत्र रहा है। उनके घर का हिस्सा विरासत के रूप में गिरिडीह में अब भी मौजूद है। मालूम हो कि उत्तरी छोटानागपुर देशभर में कोयला, अयस्क ( Mica ) जैसे खनिज के खनन के लिए विख्यात है . यहाँ से निकले कोयला से बनी उर्जा झारखंड और देशभर के घरों को प्रकाशित करती है लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह है की स्थानीय आबादी ने विस्थापन, पलायन , प्रदूषण, गरीबी का दर्द झेला है. इन मुद्दों के इर्द गिर्द फेस्टिवल में कई फिल्मों का प्रदर्शन होगा.

इस साल पहले झारखंड साइंस फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर कर चुकी रुपेश साहू द्वारा निर्देशित फ़िल्म “ Rat Trap ” कोयला खनिकों के उनके दैनिक जीवन को बयां करती है , किस तरह से आजीविका कमाने के लिए वे अपनी जान जोखिम में डालते हैं। वे कई दुर्घटनाओं के शिकार होते हैं , जिसकी सूचना बाहरी दुनिया तक पहुँच नहीं पाती. यह दुर्भाग्यपूर्ण है की वे अपने ही घर में चोर कहलाते हैं. झारखंड के विख्यात फ़िल्मकार श्रीप्रकाश की फिल्म “The Fire Within” झारखंड के कोयला खनन क्षेत्र की दर्दनाक तस्वीर
खींचती है , जिसमें भ्रष्टाचार, माफिया की ताकत से विस्थापन का दंश झेल रहे आदिवासी समुदाय की अस्मिता भी अब खतरे में है. माहीन मिर्ज़ा की फिल्म “ अगर वह देश बनाती ” में छत्तीसगढ़ के गांवों की ग्रामीण, आदिवासी, कामकाजी महिलाओं द्वारा विकास के भव्य मॉडल की आलोचना करती हैं और न्यायपूर्ण और न्यायसंगत व्यवस्था की परिकल्पना करती है.

झारखंड के नामी डाक्यूमेंट्री फिल्मकार दीपक बाड़ा की 48 मिनट की फिल्म “'द अगली साइड ऑफ ब्यूटी' झारखंड के कोडरमा, गिरिडीह जिलों में अभ्रक (Mica ) के अवैध खनन पर आधारित है. इसमें इन क्षेत्रों में रह रहे वंचित समुदाय के बारे में बताया गया है, जो अपने परिवार के साथ अभ्रक खनन और ढिबरा चुनने का काम करते हैं. यह फिल्म अभ्रक खनन और सौंदर्य प्रसाधन उद्योग पर आधारित है.

अखड़ा रांची द्वारा निर्मित “ग्राम सभा की कहानी” में झारखंड के विभिन्न गावों में ग्राम सभा से हो रहे बदलाव को दिखाती है, किस तरह सशक्त ग्राम सभा के माध्यम से ग्रामीण अपने जल जंगल और जमीन की रक्षा कर पा रहे हैं .

गिरिडीह में दिखाई जाएगी मुद्दे आधारित कई अन्य शॉर्ट फिल्में

गिरिडीह में कई शॉर्ट फिल्मों का प्रदर्शन होगा जो बच्चों के इर्द गिर्द घूमती है. इसमें देश दुनिया में अवार्ड जीत चुकी झारखंड के युवा फिल्मकार की फिल्म ‘“पहाड़ा” का प्रदर्शन होगा. “पहाड़ा” 8 साल के बच्चे मुन्नू के इर्द गिर्द घूमती है जो काफी लंबे समय से तेरह की तालिका सीखने के लिए संघर्ष कर रहा है। ओड़िशा बालासोर के रहने वाले श्यामा सुंदर मांझी की संथाली फिल्म “फिल्म की कहानी" मीरू नाम की एक बच्ची पर आधारित है जो ग्रामीण भारत के एक स्वदेशी समुदाय के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है

झारखंड के युवा फिल्ममेकर अर्श इफ्तिखार की पहली फिल्म "स्कॉलरशिप ( Scholarship ) का प्रीमियर गिरिडीह में होगा. फिल्म स्कॉलरशिप झारखंड के सुदूर इलाके में स्थापित एक लघु फिल्म है। नायिका प्रिया एक गरीब पृष्ठभूमि से आती है और उसे अपने स्कूल तक पहुँचने के लिए कठिनाइयों से घिरी एक लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। देर से आने पर उसे उसके दोस्त भी चिढ़ाते हैं। अपने सहपाठियों को साइकिल पर यात्रा करते हुए देखकर, वह अपने लिए एक साइकिल चाहती है। वह सोचती है कि उसका इंतजार खत्म हो गया है जब शिक्षक छात्रवृत्ति की घोषणा होती है। लेकिन प्रिया के लिए सबसे बड़ा द्वंद तब आता है जब उसे निर्णय लेना पड़ता है कि छात्रवृत्ति के पैसे से वह साइकिल खरीदे या बीमार भाई का इलाज करवाए.

HPBL Desk
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