436 जवानों ने की आत्महत्या : 3 साल में 436 जवानों ने दी जान, जानिये क्या कर रही है सरकार …

नयी दिल्ली। जवानों में आत्महत्या की बढ़ी प्रवृति ने सरकार की भी चिंता बढ़ा दी है। तीन वर्ष में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 436 जवानों ने आत्महत्या कर ली है। अगर किसी प्राकृतिक आपदा या दुश्मन के हमले में जवान हताहत हों, तो समझ आता है। यहां तो वे आत्महत्या कर रहे हैं। आत्महत्या करने वालों में CRPF के 154, बीएसएफ के 111, सीआईएसएफ के 63, एसएसबी के 49, आईटीबीपी के 32, असम राइफल के 30 और एनएसजी के छह जवान शामिल हैं।
साल 2012 से लेकर 2022 तक विभिन्न बलों के लगभग 1208 जवानों द्वारा यह घातक कदम उठाया गया है। अगर यहां पर 2020, 2021 और 2022 में यह संख्या 436 रही है। अफसरों के कुछ ही मामलों को छोड़ दें तो आत्महत्या के अधिकांश केस सिपाही या हवलदार से संबंधित रहे हैं। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को राज्यसभा में बताया कि इन बलों में आत्महत्याओं और भ्रातृहत्याओं को रोकने के लिए जोखिम के प्रासंगिक घटकों एवं प्रासंगिक जोखिम समूहों की पहचान करने तथा उपचारात्मक उपायों से संबंधित सुझाव देने के लिए एक कार्यबल का गठन किया गया है। कार्यबल की रिपोर्ट तैयार हो रही है।
गत वर्ष, पिछले दस साल में सबसे ज्यादा ‘आत्महत्या’ के मामले …
साल आत्महत्या के केस
2012 118
2013 113
2014 125
2015 108
2016 92
2017 125
2018 96
2019 129
2020 144
2021 157
2022 135
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री राय ने राज्यसभा में कहा कि इसे रोकने के लिए विभिन्न स्तर पर कदम उठाए जा रहे हैं। प्रासंगिक जोखिम कारकों के साथ-साथ प्रासंगिक जोखिम समूहों की पहचान करने और रोकथाम के लिए उपचारात्मक उपाय सुझाने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है।
इन उपायों में कर्मियों की शिकायतों का पता लगाने और उनकी समस्या सुलझाने के लिए सैनिकों के साथ अधिकारियों से नियमित बातचीत की जाएगी। इसके साथ ही कार्य के घंटों को नियंत्रित करके पर्याप्त आराम एवं राहत सुनिश्चित होगी। कुछ कठिन क्षेत्रों में तैनाती के दौरान सुरक्षा बलों की पिछली तैनाती वाले स्थान पर सरकारी आवास को अपने पास रखने की सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा तमाम अन्य उपाय शामिल होंगे।