हाईकोर्ट से निकलते ही देवघर डीसी को याद आये आंबेडकर…. ट्विट कर लिखी ये बातें…..पहले भी रहा है विवादों से नाता…

देवघर । हाईकोर्ट के आदेश के बाद दौड़ते भागते कोर्ट में हाजिर हुए देवघर डीसी को अब आंबेडकर की याद आयी है। रात 8 बजे कोर्ट में हाजिरी देने और 1 घंटे चली सुनवाई के बाद उपायुक्त मंजूनाथ भजयंत्री ने एक ट्वीट किया है। ये ट्वीट काफी चर्चा में है। देर रात हाईकोर्ट से निकलने के बाद उन्होंने आंबंडेक की तस्वीर के साथ कुछ लाइन शेयर की है। आबंडेकर की फोटो के साथ लिखा है…

If I find the Constitution being misused, I Shall be the First To burn it

इसका अर्थ ये हुआ कि “अगर मुझे लगता है कि संविधान का दुरूपयोग हो रहा है, तो मैं इसे जलाने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा।

दरअसल देवघर के डीसी और मोहनपुर के सीओ को हाजिर होने का आदेश देते हुए हाईकोर्ट ने चीफ सिकरेट्री को निर्देश दिया था कि अगर वो रात 8 बजे तक उपस्थित नहीं होते हैं, तो दोनों के खिलाफ वारंट जारी किया जायेगा। दरअसल जमीन की एलपीसी वर्षों बाद भी जारी नहीं होने से हाईकोर्ट ने नाराजगी जतायी थी। कल रात 9 बजे तक सुनवाई में हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया है कि एलपीसी के लिए वो मोहनपुर सीओ के पास आवेदन करेंगे और मोहनपुर सीओ उसे 15 दिन के अंदर जारी करेंगे। आपको बता दें कि एक व्यक्ति ने अपनी जमीन को बेचने एलपीसी के लिए आवेदन लगाया था, लेकिन तीन साल बाद भी उसे एलपीसी नहीं मिला, जिसकी वजह से वो अपनी जमीन नहीं बेच सका।

आपको बता दें देवघर डीसी भजयंत्री के साथ कई सारे विवाद जुड़े हैं। गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे के बाद देवघर उपायुक्त मंजूनाथ भजयंत्री की नोंकझोंक मीडिया में काफी चर्चाओं में आयी थी। वहीं महालेखाकर के आडिट में करोड़ों के आवंटन खर्च नहीं करने के मामले में भी देवघर डीसी पर सहयोग नहीं करने का आरोप था।

हाईकोर्ट : देवघर डीसी हुए हाईकोर्ट में सशरीर हाजिर… जमीन से जुड़े मामले में नया हलफनामा दायर करने के निर्देश

2021 में चुनाव आयोग ने देवघर डीसी के रूप में पोस्टेड भजयंत्री को हटानेका आदेश दिया था। यही नीं आयोग ने चीफ सिकरेट्री को कार्रवाई के लिए भी कहा था। यही नहीं भविष्य में उन्हें किसी भी चुनाव कार्य में नहीं लगाने का भई आदेश आयोग ने दिया था। चुनाव आयोग ने भजयंत्री को गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे पर एक ही दिन में पांच अलग-अलग थानों में एफआईआर कराने के मामले में दोषी माना था। आयोग ने पूछा था कि गोड्डा सांसद पर 6 महीने की देरी से एफआईआर क्यों दर्ज कराया गया।

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