पूर्व IPS को रेप केस में फंसाकर आठ करोड़ की मांगी रंगदारी…भाजपा नेता व दो पत्रकार समेत 5 गिरफ्तार
गांधीनगर। सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी को दुष्कर्म के मामले में फंसाकर आठ करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने के आरोप में गुजरात एटीएस ने कार्रवाई की है। गुजरात आतंकवाद रोधी दस्ते इस मामले में सोमवार को पांच लोगों को गिरफ्तार करते हुए पूरे मामले का खुलासा किया। हनीट्रेप में फंसाकर ब्लैकमेल करने और रंगदारी मांगने के आरोप में एक भाजपा नेता एवं पत्रकार समेत पांच को गिरफ्तार किया है। गांधीनगर के पेथापुर पुलिस थाने में एक महिला ने राज्यक के सेवानिव्रत्त आईपीएस भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी के खिलाफ दुष्कवर्म की शिकायत दर्ज कराई थी।
एटीएस के पुलिस उपायुक्त। सुनील जोशी ने बताया कि इस गिरोह ने एक पूर्व आईपीएस अधिकारी को हनीट्रेप में फंसाकर 8 करोड़ रुपये वसूलने की योजना बनाई थी। पुलिस को इसकी भनक लगने पर मुख्ये आरोपी एवं भाजपा नेता जी के प्रजापति, सूरत के हरेश जादव की धरपकड़ कर इस साजिश का पर्दाफाश किया। पुलिस ने बलात्कार, जबरन वसूली, आपराधिक धमकी और भारतीय दंड संहिता के अन्य धाराओं के उल्लंघनों के लिए सभी पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
गिरोह ने पूर्व आईपीएस अधिकारी को फंसाने के लिए एक महिला के नाम से एक फर्जी शपथ पत्र बनवाया। ब्लैकमेल और जबरन वसूली के प्रयास के सिलसिले में पुलिस ने जी के प्रजापति, हरेश जादव, महेंद्र परमार उर्फ राजू जेमिनी, आशुतोष पंड्या और कार्तिक जानी की धरपकड की है। जानकारी के अनुसार प्रजापति ने महिला को अपने नाम से एक फर्जी शपथ पत्र बनवाने के लिए राजी कर लिया था। इसमें पूर्व आईपीएस अधिकारी पर उसके साथ दुष्क र्म का आरोप लगाया गया था।
एटीएस अधिकारी ने बताया कि हलफनामे पर हस्ताक्षर करने वाली महिला ने इस साल जनवरी में गांधीनगर के पेठापुर थाने में एक व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कराया था। दरअसल, कुछ समय पहले हलफनामा तैयार करने के लिए महिला को कथित तौर पर चांदखेड़ा में रहने वाले एक व्यक्ति के पास ले गया था। उस व्यक्ति ने महिला से कहा कि वह एक बहुत वरिष्ठ पुलिस अधिकारी है और वह उसकी मदद करेगा। हालांकि, आरोपी प्रजापति के निर्देश के अनुसार, उसने अधिकारी का नाम अपने हलफनामे में नहीं लिखा था। बाद में प्रजापति ने जादव और परमार के साथ मिलकर सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी से पैसे ऐंठने की साजिश रची और महिला को उस हलफनामे पर हस्ताक्षर करने के लिए राजी किया, जिसमें उन्होंने महिला की जानकारी के बिना पूर्व पुलिस अधिकारी का नाम लिखा था।