सिविल सर्जन नहीं मानते राज्य सरकार का आदेश ! CS की तरफ से की गयी तमाम प्रतिनियुक्ति रद्द करने जारी है पत्र, वावजूद इसके BPM, CHO डेपुटेशन की मनमानी पर नहीं लगा अंकुश
रांची/धनबाद । राज्य भर में सिविल सर्जन के मनमाने ढंग से प्रतिनियुक्ति करने पर अंकुश लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से आदेश 19 जून को जारी किया गया था। इसके वावजूद जिले के सिविल सर्जन द्वारा अब तक इस संबंध में कोई कारवाई नहीं कर रहे। ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है की जब जिले के आला अधिकारी ही विभाग के आदेश को नहीं मानेंगे तो अन्य कर्मी और पदाधिकारी के बीच क्या संदेश जाएगा ?
मालूम हो की सिविल सर्जन के द्वारा की गई मनमाने ढंग से प्रतिनियुक्ति की शिकायत स्वास्थ्य विभाग तक पहुंचने पर राज्य सरकार ने सिविल सर्जनों को तगड़ा झटका दिया। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी सिविल सर्जनों को कड़ा पत्र जारी कर उनकी मनमानी पर रोक लगा दी थी। दरअसल स्वास्थ्य विभाग को लगातार इस बात की शिकायत मिल रही थी कि सिविल सर्जन अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर किसी भी स्वास्थ्यकर्मी की डिप्टेशन (प्रतिनियुक्ति) कर रहे हैं।
धनबाद में फल फूल रहा है प्रतिनियुक्ति उद्योग
धनबाद जिले में पूर्व सिविल सर्जन डा आलोक विश्वकर्मा के कार्यकाल के समय से ही नियम विरुद्ध प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक (BPM) की प्रतिनियुक्ति की गई थी। जिसमें बलियापुर के बीपीएम की प्रतिनियुक्ति गोविंदपुर में और गोविंदपुर बीपीएम की प्रतिनियुक्ति बलियापुर में कर दी गई। मनमानेपन का खेल सिर्फ यहीं सीमित नहीं है बल्कि कई CHO की भी प्रतिनियुक्ति नियम विरुद्ध दूसरे प्रखंड में कर दी गई। जबकि विभागीय अधिकारी का मानना है की CHO की नियुक्ति HWC के लिए की गई है, जिसे दूसरी जगह प्रतिनियुक्त नही किया जा सकता।
गोविंदपुर, निरसा सहित कई प्रखंड के CHO की प्रतिनियुक्ति सुविधानुसार दूसरे दूसरे प्रखंड में की गई है। पत्र निर्गत होने के वावजूद इन प्रतिनियुक्ति को रद्द नहीं किया गया, साथ ही वर्तमान सिविल सर्जन डा चंद्र भानु प्रतापन भी विभागी आदेश के अनुरूप इन प्रतिनियुक्ति को रद्द करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठा रहे। ऐसे में ये सवाल उठना स्वाभाविक है की जिले की खराब स्वास्थ्य आंकड़े के बीच प्रतिनियुक्ति का उद्योग भी कहीं जिम्मेवार तो नहीं?
सिविल सर्जन के मनमानी की शिकायत मंत्रालय तक
जबकि राज्य सरकार की तरफ से नियुक्ति कर्मियों के ट्रांसफर और डिप्टेशन का अधिकार सिर्फ राज्य मुख्यालय को ही है। बावजूद राज्य सरकार के अधिकारों का अतिक्रमण कर कई सिविल सर्जन मनमर्जी पर उतर आये थे। अब राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से सिविल सर्जन की तरफ से किये गये तमाम प्रतिनियुक्तियों को रद्द कर दिया है। साथ ही ये चेतावनी दी है कि वो राज्य मुख्यालय से पदास्थापित किसी भी स्वास्थ्यकर्मी की प्रतिनियुक्ति नहीं करेंगे।
स्वास्थ्य विभाग के अभियान निदेशक ने सभी उपायुक्तों व सिविल सर्जन को पत्र लिखकर बताया है कि DPMU/BPMU कर्मियों का नियोक्ता राज्य मुख्यालय है, जिनके ट्रांसफर और प्रतिनियुक्ति का अधिकार सिर्फ राज्य मुख्यालय को है, लेकिन लेकिन सिविल सर्जन अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर DPMU/BPMU की मनमाने तरीके से प्रनियुक्ति कर रहे हैं। जिसकी वजह से स्वास्थ्य विभाग के प्रोग्राम प्रभावित होते हैं।
मामले को रफा दफा करने के लिए की जाती है प्रतिनियुक्ति
प्रखंड और जिला स्तर पर कई स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ शिकायत सिविल सर्जन तक पहुंचती थी। ऐसे में मामले को रफा दफा करने या अन्य प्रकार से मैनेज कर संबंधित कर्मचारी को दूसरी जगह प्रतिनियुक्ति कर उन्हें अभयदान देने का काम भी सिविल सर्जन की तरफ से किया जाता था। सिविल सर्जनों की ये कारगुजारी भी अभियान निदेशक तक पहुंची थी। प्रदेश में कई ऐसे उदाहरण आये, जिसमें गंभीर आरोपों से घिरे स्वास्थ्यकर्मियों को बचाने के लिए उन्हें दूसरी जगह प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया गया, ताकि संबंधित को नौकरी पर अभयदान मिल सके।
अब ऐसी प्रतिनियुक्ति पर भी स्वास्थ्य विभाग ने नजरें टेढ़ी की है। अपनी चिट्ठी में अभियान निदेशक ने कहा है कि जिला व प्रंखंडों में पदास्थापित कर्मियों को अगर शिकायत के आधार पर दूसरी जगह प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया है तो ये गलत है। क्योंकि, जिन कर्मियों की शिकायत आयी है, उनकी प्रतिनियुक्ति की जगह पहले उनके खिलाफ लगे आरोपों की जांच जिला स्वास्थ्य समिति से करायी जानी चाहिये, आरोप गठित कर अनुशंसा राज्य मुख्यालय को भेजा जाये, ताकि उनके विरुद्ध कार्रवाई की जा सके।
सिविल सर्जन की तरफ से की गयी प्रतिनियुक्ति रद्द करने का है आदेश
इधर अभियान निदेशक ने सिविल सर्जन की तरफ से की गयी तमाम प्रतिनियुक्ति को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। साथ ही निर्देश दिया है कि राज्य मुख्यालय से पदस्थापित MO/SMO/LSAS/EMOC की प्रतिनियुक्ति सिविल सर्जन अपने स्तर से नहीं करेंगे। DPMU/BPMU कर्मियों की प्रतिनियुक्ति अगर जरूरी हो तो वैसे कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा करते हुए राज्य मुख्यालय से अनुमति प्राप्त होने तक जिला स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष के स्तर से प्रतिनियुक्ति सुनिश्चित करेंगे। अभियान निदेशक ने दो टूक कहा है कि बिना कार्रवाई एवं अनुशंका के किसी भी प्रकार की प्रतिनियुक्त अमान्य होगी।