Income Tax : बजट में टैक्स स्लैब में हुआ बदलाव तो जानिये मीडिल क्लास को क्या होगा फायदा, टैक्स दायरा बढ़ने पर कितने रूपये की होगी बजट, कैलकुलेशन देखिये
नई दिल्ली : इस बार देश के बजट से सबसे ज्यादा उम्मीदें कर्मचारी वर्ग को है। इनकम टैक्स स्लैब को लेकर हर बजट में उम्मीदें बंधती है और फिर उम्मीदें टूट जाती है, लेकिन इस बात बजट चुनावी है, लिहाजा मीडिल क्लास के लिए बजट में खास इंतजाम की उम्मीद है। आयकर में छूट पाने के लिए तय सीमा ढाई लाख रुपये वार्षिक है, जिससे ज़्यादा की आय होने पर आपकी आय करयोग्य हो जाती है। हालांकि अगर करदाता की करयोग्य आय सारे हिसाब-किताब के बाद 5 लाख रुपये से कम रहती है, तो इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87ए के अंतर्गत छूट देकर उसे करमुक्त कर दिया जाता है। फिलहाल उसी शख्स को इनकम टैक्स देना पड़ता है, जिसकी टैक्सेबल इनकम, यानी करयोग्य आय 5 लाख रुपये वार्षिक से अधिक होती है। सो, इस वर्ग का हर शख्स पिछले कुछ सालों से इसी उम्मीद में रहता है कि शायद इस बार करमुक्त आय की सीमा को ढाई लाख रुपये से बढ़ाया जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं है।
चर्चा है कि करमुक्त आय की सीमा को संभवतः बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया जा सकता है, जिससे आम आदमी को कुछ राहत मिल सकेगी. हर साल की तरह इस बार भी केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2023 को वित्तवर्ष 2023-24 का आम बजट पेश करने जा रही हैं, और उम्मीद की जा रही है कि सरकार का फोकस बुनियादी ढांचे के विकास पर रहेगा, और वह आम आदमी को राहत देने वाली कुछ घोषणाएं भी कर सकती हैं।
जानकारी के मुताबिक व्यक्तिगत करदाता को दी जाने वाली मूल कर छूट की ढाई लाख रुपये की सीमा को भी आगामी बजट में बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जा सकता है। गौरतलब है कि इस सीमा से नीचे की आय वालों को इनकम टैक्स रिटर्न भरने की भी ज़रूरत नहीं होती, और इस सीमा में वर्ष 2014-15 के बाद से अब तक कोई बदलाव नहीं किया गया है।
जानिये किस तरह से होगा फायदा
अगर ऐसा सचमुच हो जाता है, तो 5 लाख रुपये प्रतिवर्ष से अधिक आय वाले हर करदाता को इनकम टैक्स और उस पर लिए जाने वाले शिक्षा उपकर (4 प्रतिशत एजुकेशन सेस) को मिलाकर कम से कम 13,000 प्रतिवर्ष की बचत हो सकती है. वैसे, गौरतलब है कि जिन हिन्दुस्तानियों की करयोग्य आय ढाई लाख रुपये से ज़्यादा, लेकिन 5 लाख रुपये से कम रहती है, उन्हें अब भी कोई टैक्स नहीं देना पड़ता, क्योंकि उन्हें इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87ए के तहत छूट मिल जाती है. ढाई लाख से 5 लाख रुपये तक आय पर इनकम टैक्स फिलहाल सिर्फ उन्हीं लोगों को देना पड़ता है, जिनकी कुल करयोग्य आय 5 लाख रुपये से ज़्यादा होती है।
केंद्र सरकार वित्तवर्ष 2023-24 के आम बजट में मानक कटौती, यानी स्टैन्डर्ड डिडक्शन को भी मौजूदा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1,00,000 रुपये कर सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार बढ़ती जा रही कॉस्ट ऑफ लिविंग और बढ़ती मुद्रास्फीति, यानी महंगाई को ध्यान में रखते हुए मानक कटौती को दोगुना किया जाना चाहिए.अगर सचमुच ऐसा होता है, तो हर करदाता को इसका लाभ भी मिलेगा. जिनकी करयोग्य आय अब तक 5,50,000 रुपये है, उन्हें भी धारा 87ए का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा, और उन्हें कुल मिलाकर 23,400 रुपये की बचत हो जाएगी (जिसमें ढाई लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक की आय पर दिया जाने वाला 13,000 रुपये का आयकर और एजुकेशन सेस शामिल है)। 5,50,000 रुपये से ज़्यादा आय वाले करदाता, जिनकी आय इनकम टैक्स के 20 या 30 प्रतिशत के ब्रैकेट में आती है, उन्हें मानक कटौती को बढ़ाकर दोगुना किए जाने की स्थिति में क्रमशः 10,400 रुपये या 15,600 रुपये का लाभ मिलेगा।