Poonam Pandey Death:एक्ट्रेस पूनम पांडेय की मौत, सिर्फ 32 साल की उम्र में चली गयी जान, फिल्म नशा से बॉलीवुड में किया था डेब्यू, वर्ल्ड कप के बयान के बाद आईं थीं चर्चा में
मुंबई। चर्चित अभिनेत्री पूनम पांडेय की मौत हो गयी है। अपनी अपनी बोल्डनेस और विवादों के लिए जानी जाने वाली एक्ट्रेस पूनम पांडे की मौत ने हर किसी को हैरान कर दिया है। उनके मैनेजर ने इस खबर की पुष्टि की है। बताया जा रहा है कि पूनम सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित थीं। ‘पूनम को कुछ वक्त पहले कैंसर से पीड़ित पाया गया था. ये आखिरी स्टेज का कैंसर था. वो यूपी में अपने होमटाउन में थीं और वहीं से इलाज करवा रही थीं. उनका अंतिम संस्कार भी वहीं होगा. अभी हमें इस बारे में और डिटेल्स मिलना बाकी है।
32 साल की पूनम पांडे सर्वाइकल कैंसर का सामना कर रही थीं. इस बात का खुलासा एक्ट्रेस की टीम ने अपने बयान में किया है। सोशल मीडिया पर पूनम पांडे के ऑफिशियल इंस्टाग्राम पेज से उनकी टीम ने आधिकारिक बयान जारी किया है।इसमें बताया लिखा गया है, ‘आज की सुबह हम सभी के लिए बहुत मुश्किल है। ये बताते हुए हमें दुख हो रहा है कि हमारी प्यारी पूनम को हमने सर्वाइकल कैंसर के हाथों खो दिया है। हर जिंदा चीज जो उनके कॉन्टैक्ट में आया उन्होंने से पूरा प्यार और दयालुभाव दिया। इस दुखभरी घड़ी में हम प्राइवसी की रिक्वेस्ट फैंस से करते हैं ताकि हम उन्हें प्यार से याद का सकें।
बता दें, पूनम पांडे का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर कल्याणपुर में हुआ था। एक्ट्रे स और मॉडल पूनम पांडे ने 2013 में फिल्म नशा से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। पूनम 2011 में उस वक्ते चर्चा में आ गई थीं, जब उन्होंने क्रिकेट विश्व कप जीतने पर भारतीय क्रिकेट टीम के लिए कपड़े उतारने की बात कही थी।
पूनम पांडे एक पॉपुलर मॉडल थीं। पूनम को आखिरी बार बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत द्वारा होस्ट किए गए लॉकअप के पहले सीजन में देखा गया था। हालांकि वह शो नहीं जीत सकीं, लेकिन उन्होंने अपने फैन फॉलोइंग को जरूर बढ़ाया था।
क्या होता है सर्वाइकल कैंसर
1 फरवरी को अंतरिम बजट में वित्ता मंत्री निर्मला सीतारमण ने देशभर में 9-14 साल की बच्चियों को निशुल्कत सर्वाइकल कैंसर वैक्सीलन लगवाने का भी बड़ा फैसला किया था, ताकि महिलाओं को इस कैंसर से बचाया जा सके. आइए जानते हैं कितना खतरनाक होता है सर्वाइकल कैंसर? बता दें कि सर्वाइकल कैंसर भारत में महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे खतरनाक कैंसर है. जिसकी वजह से हर साल हजारों महिलाओं की जान चली जाती है. इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर की भारत को लेकर रिपोर्ट बताती है कि भारत में हर साल करीब 1 लाख 30 हजार महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर डिटेक्टर होता है और इनमें से हर साल करीब 74 हजार महिलाओं की जान चली जाती है जो कि संक्रमण का लगभग 62 फीसदी है. ऐसे में यह ब्रेस्टी कैंसर के बाद दूसरा सबसे ज्याभदा प्रभावित करने वाला और भारत का पहला सबसे ज्या4दा मृत्युस दर वाला कैंसर है।
पीजीआई चंडीगढ़ और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेजों में दो दशक से ज्या।दा प्रोफेसर रहीं जानी मानी गायनेकोलॉजिस्टे डॉ. शारदा जैन बताती हैं कि सर्वाइकल कैंसर एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) के कारण होता है. एचपीवी शरीर में प्रवेश करके गर्भाशय के अंदरूनी हिस्से में संक्रमण करता है और बिना कोई लक्षण प्रकट किए यह बढ़ता जाता है और कैंसर का रूप ले लेता है. हालांकि 70 फीसदी महिलाओं में यह 30 साल की उम्र तक डायग्नो स हो जाता है।
क्योंक होता है सर्वाइकल कैंसर
सर्वाइकल कैंसर मुख्य रूप से हाई रिस्का ह्यूमन पैपिलोमा वायरस समूह टाइप्सा के इन्फेिक्श्न की वजह से होता है और शारीरिक संपर्क के बाद एक दूसरे में ट्रांसमिट होता है. सर्वाइकल कैंसर का पता हेल्थऔ एक्संपर्ट स्क्री निंग से ही लगा सकते हैं. इसका कोई प्रकट लक्षण नहीं दिखाई देता. यही वजह है कि यह सालों-साल छुपा रहता है और भारत में खासकर तीसरी या चौथी स्टेाज पर जाकर महिलाओं में यह डिटेक्टल हो पाता है. तब तक काफी देर हो चुकी होती है और अधिकांश महिलाएं जान गंवा देती हैं।
ऐसे बच सकती है जान
डॉ. शारदा जैन जोर देकर कहती हैं कि यह कैंसर 100 फीसदी प्रिवेंटेवल है और इस बात को सभी को समझ लेना चाहिए. हालांकि इससे बचाव का उपाय भी सिर्फ वैक्सीहन ही है जो कि छोटी बच्चियों और बच्चोंए को इसके इन्फेसक्शउन फेज से पहले ही लगवा देनी चाहिए. भारत में बनी सर्वाइकल कैंसर की सीरम इंस्टी्ट्यूट की सर्वावैक वैक्सीपन 98 फीसदी कारगर है, लेकिन इसके लिए बेहद जरूरी है कि इसे फिजिकल इंटरकोर्स या शारीरिक संबंध बनाने से पहले लगा देना चाहिए. लड़कियों में इसे 9 से 14 साल की उम्र तक लगा देना बेस्टी है, लेकिन ऐसा नहीं है कि इसके बाद टीका नहीं लगवाया जा सकता. 46 साल की उम्र तक यह टीका लगवा सकते हैं और यह निश्चित रूप से बचाव करेगा. इसके अलावा समय समय पर स्क्री निंग कराना भी इस कैंसर से बचने के लिए एक विकल्पा हो सकता है।