बन्ना गुप्ता लड़ेंगे लोकसभा! : कांग्रेस बना सकती है झारखंड की इस सीट से प्रत्याशी, अगली लिस्ट में आ सकता है नाम, जानिये बन्ना गुप्ता क्यों बन रहे हैं पार्टी की पसंद

जमशेदपुर। झारखंड में लोकसभा प्रत्याशी को लेकर कांग्रेस अपने पत्ते नहीं खोल रही है। सिर्फ तीन सीट पर ही कांग्रेस ने अब तक प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया है, जबकि चार पर अभी भी सस्पेंस बरकरार है। सबसे कसमकश रांची लोकसभा सीट को लेकर है। जहां से प्रत्याशियों के नामों को लेकर तरह तरह की अटकलें लग रही है। खबर है कि रांची सीट के लिए कांग्रेस नया दांव खेल सकती है। सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को पार्टी चुनाव मैदान में उतार सकती है।

वैसे देखा जाये तो इस बार कांग्रेस ने टिकट बंटवारे में नयी रणनीति अपनायी है। वो सभी बड़े नामों को टिकट दे रही है। देश भर में दिग्विजय सिंह से लेकर भूपेश बघेल तक, कई पूर्व मुख्यमंत्री व मंत्रियों को पार्टी ने विधायक रहते हुए भी चुनाव मैदान में उतार दिया है। ऐसे में चर्चा है कि बन्ना गुप्ता को कांग्रेस रांची लोकसभा सीट से प्रत्याशी बना सकती है। हालांकि इस पर अभी औपचारिक मुहर नहीं लगी है।

अगर ऐसा हुआ तो भाजपा के संजय सेठ से उनका मुकाबला हो सकता है। हालांकि रांची सीट से सुबोधकांत सहाय से लेकर रामटहल चौधरी तक का नाम चल रहा था, लेकिन बन्ना गुप्ता के आसपास अब नजरें ठहर गयी है। सब कुछ ठीक रहा तो कांग्रेस की अगली लिस्ट में बन्ना गुप्ता का नाम हो सकता है। पहले उनका नाम धनबाद के लिए आगे बढ़ाया गया था, लेकिन अब रांची को लेकर उनका नाम तेजी से आगे बढ़ा है।

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हालांकि पार्टी पहले से ही रांची सीट पर प्रत्याशी को बदलने के मूड में है। सुबोधकांत सहायक की लगातार हार के बाद इस बार पार्टी नया कुछ आजमाने की तैयारी है, लिहाजा बन्ना गुप्ता के रूप पार्टी में नया आप्शन तलाशने की कोशिश है। वैसे भी बन्ना गुप्ता स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल लगभग पूरा करने वाले हैं, ऐसे में उनका राजधानी रांची में भी ठीक ठाक जनाधार बन गया है। हेल्थ सेक्टर में अच्छे काम भी हुए हैं, गठबंधन के नेताओं के साथ उनका बेहतर तालमेल भी है, कुल मिलाकर बन्ना गुप्ता सभी समीकरण पर सटीक बैठ रहे हैं।

सबसे अहम बात ये है कि बन्ना गुप्ता के प्रत्याशी बनने से ओबीसी वोट बैंक का भी ध्रुवीकरण होगा। वैसे भी रांची में ओबीसी मतदाताओं की बड़ी संख्या है। ऐसे में अगर बन्ना गुप्ता को प्रत्याशी बनाया जाता है कि सियासी और जातिगत दोनों समीकरण में वो पार्टी के अन्य प्रत्याशियों की तुलना में भारी पड़ रहे हैं।

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