हेमंत सोरेन कुछ देर में साबित करेंगे बहुमत, जानिये क्या है झारखंड में बहुमत के आंकड़ों का गणित

Hement Soren Confidence In Motion : सीएम हेमंत सोरेन (Hemant Soren) अब से कुछ देर बाद अपना बहुमत साबित करेंगे। बहुमत साबित करने के लिए ही आज झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। ये चौथी बार है, जब झारखंड विधानसभा (Jharkhand Assembly) में हेमंत सोरेन विश्वास प्रस्ताव (Confidence In Motion) हासिल करेंगे। वे अब तक कुल तीन बार यानी दो बार उपमुख्यमंत्री और एक बार मुख्यमंत्री के रूप में विश्वास प्रस्ताव ला चुके हैं। वैसे संख्या के गणित में ज्यादा उठापटक दिख नहीं रहा है, लिहाजा उनका बहुमत साबित करना लगभग पक्का है।

हेमंत सोरेन ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को 44 विधायकों का हस्ताक्षर युक्त समर्थन पत्र सौंपा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, राजद, भाकपा माले का उन्हें समर्थन प्राप्त है, जबकि विपक्ष के पास पर्याप्त आंकड़ा नहीं है। ऐसे में बहुमत परीक्षण के दौरान किसी बाधा की उम्मीद नहीं है। बहुमत साबित करते हुए हेमंत सोरेन अपनी कैबिनेट का भी विस्तार करेंगे।

इससे पहले सियासी उथल-पुथल के बीच उन्होंने पिछले वर्ष पांच सितंबर 2022 को मुख्यमंत्री रहते विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर विश्वास मत हासिल किया था। इसमें उन्हें 81 विधायकों में 48 का समर्थन प्राप्त हुआ था जबकि, भाजपा के सदन के बहिष्कार करने के कारण विपक्ष में शून्य वोट पड़ा था। झारखंड विधानसभा में सबसे अधिक बार विश्वास प्रस्ताव लाने का श्रेय हेमंत सोरेन के नाम है। झारखंड विधानसभा में अब तक लाए गए विश्वास प्रस्ताव की बात करें, तो अब तक यहां 12 बार अविश्वास प्रस्ताव आ चुका है। इस वर्ष की बात करें तो सोमवार को इस वर्ष का दूसरा विश्वास प्रस्ताव आएगा।

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इससे पहले चंपई सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद उन्होंने पांच फरवरी को बहुमत हासिल किया था। झारखंड विधानसभा में अबतक 12 बार तत्कालीन सरकारों द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव में नौ बार सरकारों ने अपना बहुमत साबित किया। दो बार प्रस्ताव आने के बाद वोटिंग से पहले ही तत्कालीन मुख्यमंत्रियों ने अपना इस्तीफा दे दिया था। एक बार वोटिंग की अनुमति ही नहीं दी गई थी।

झारखंड विधानसभा में अबतक दो ही बार अविश्वास प्रस्ताव आया है। सबसे पहले तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष स्टीफन मरांडी तथा विधायक फुरकान अंसारी ने 17 मार्च को 2003 को तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की सूचना विधानसभा सचिवालय को दी थी। लेकिन अविश्वास प्रस्ताव आने से पहले ही बाबूलाल मरांडी ने उसी दिन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

दूसरी बार नेता प्रतिपक्ष के रूप में अर्जुन मुंडा, विधायक सीपी सिंह तथा राधाकृष्ण किशोर ने 18 दिसंबर 2007 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया थे, जो अस्वीकृत हो गया था। इसमें मधु कोड़ा सरकार ने अपना बहुमत साबित कर दिया था।

कब-कब आया झारखंड विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव

  • 23 नवंबर 2000 – बाबूलाल मरांडी (मुख्यमंत्री) – बहुमत साबित किया
  • 11 मार्च 2005 – शिबू सोरेन (मुख्यमंत्री) – प्रोटेम स्पीकर द्वारा प्रस्ताव प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं दी गई
  • 15 मार्च 2005 – अर्जुन मुंडा (मुख्यमंत्री) – बहुमत साबित किया
  • 14 सितंबर 2006 – अर्जुन मुंडा (मुख्यमंत्री) – बहुमत नहीं होने के कारण सदन में इस्तीफा की घोषणा
  • 20 सितंबर 2006 – मधु कोड़ा (मुख्यमंत्री) – बहुमत साबित किया
  • 29 अगस्त 2008 – स्टीफन मरांडी (संसदीय कार्य मंत्री) – बहुमत से स्वीकृत
  • 07 जनवरी 2010 – रघुवर दास (संसदीय कार्य मंत्री) – बहुमत से स्वीकृत ने
  • 30 मई 2010 – सुदेश महतो (उप मुख्यमंत्री) – बहुमत नहीं होने के कारण मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का इस्तीफा
  • 14 सितंबर 2010 – हेमंत सोरेन (उप मुख्यमंत्री) – बहुमत से स्वीकृत
  • 18 जुलाई 2013 – हेमंत सोरेन (उप मुख्यमंत्री) – बहुमत से स्वीकृत
  • 05 सितंबर 2022 – हेमंत सोरेन (मुख्यमंत्री) – बहुमत साबित किया
  • 05 फरवरी 2024 – चंपई सोरेन (मुख्यमंत्री) – बहुमत साबित किया
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