ACB की बड़ी कारवाई: घूस लेते स्वास्थ्यकर्मी को रंगे हाथ पकड़ा, मोहरा या मुख्य आरोपी? …गिरफ्तार कर्मी ने किया बड़ा खुलासा

लातेहार। भ्रष्ट्राचार की जड़ समाज को कितनी खोखली कर चुकी है की परिवार के मृतक सदस्य के पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक पैसे की उगाही हो रही है। आज ACB की पलामू टीम ने जिले के सदर अस्पताल के फार्मासिस्ट को रंगे हाथ दबोचा।

इसके पहले धनबाद में भी एक लिपिक को विकलांग प्रमाण पत्र बनाने के नाम 4 हजार घूस लेते रंगे हाथ एसीबी ने पकड़ा था। इस कांड के बाद प्रश्न उठने स्वाभाविक है की स्वास्थ्यकर्मी मरीज की चिकित्सा उपचार के बदले घूसखोरी के कांड में कैसे शामिल हो रहे है।

क्या है आरोप

लातेहार के एक व्यक्ति ने पलामू निगरानी विभाग की टीम को सूचना दी थी कि उसके एक परिजन की पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने के बदले सदर अस्पताल में कार्यरत फार्मासिस्ट परमानंद कुमार के द्वारा का 10 हजार रुपए रिश्वत की मांग की जा रही है. वादी के द्वारा बताया गया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए पिछले कई दिनों से दौड़ाया जा रहा है.

मालूम हो की भ्रष्टाचार (Corruption) के खिलाफ पलामू में एसीबी (ACB) की टीम ने एक बार फिर बड़ी कार्रवाई की है. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने जिले के सदर अस्पताल में रंगे हाथ घूस लेते फार्मासिस्ट परमानंद कुमार को गिरफ्तार कर लिया है. वह पोस्टमार्टम रिपोर्ट के एवज में 10 हजार रुपये की रिश्वत ले रहा था।

ACB ने ऐसे बुना जाल

एसीबी की टीम ने शिकायत के आलोक में अपने स्तर से पूरे मामले की छानबीन की तो पाया कि यह पूरा मामला पूरी तरह सत्य है. इसके बाद निगरानी की टीम ने शिकायतकर्ता को पैसे देकर परमानंद के पास भेजा. परमानंद ने जैसे ही वादी से पैसे लिए वैसे ही निगरानी की टीम वहां पहुंची और उसे रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया.

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क्या कहते है आरोपी

गिरफ्तारी के बाद आरोपी परमानंद ने कहा कि वह सदर अस्पताल के ही एक डॉक्टर पर आरोप लगाया है। उन्होंने बताया की डॉक्टर के कहने पर ही वो पैसे की वसूली करता था. इसी पैसे में से डॉक्टर के द्वारा उन्हें कुछ दे दिया जाता था.

चिकित्सा पदाधिकारी की भूमिका से इंकार नहीं

हालांकि परमानंद के बयान में कितनी सच्चाई है यह तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा.पर इस बात से इंकार भी नही किया जा सकता है की किसी भी प्रकार रिपोर्ट और प्रमाण पत्र पर अंतिम हस्ताक्षर पदाधिकारी की ही होती है चाहे वो पोस्टमार्टम रिपोर्ट हो या किसी अन्य प्रमाण पत्र।

सूत्रों की मानें तो स्वास्थ्य कर्मी को पैसे के लेन देन मे मोहरा बनाया जा रहा था।इसलिए जांच के घेरे में वो पदाधिकारी भी शामिल है की आखिर किन कारणों से पोस्टमार्टम रिपोर्ट आवेदक को नहीं दिया जा रहा था।आखिरकार पोस्टमार्टम रिपोर्ट तो चिकित्सा पदाधिकारी को ही देनी थी।

इधर फार्मासिस्ट की गिरफ्तारी के बाद सदर अस्पताल में हड़कंप है। एसीबी की टीम के सूचना मिलते ही की कर्मी अस्पताल और कार्यालय से छुपते नजर आए।

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