सिविल सर्जन ने सदर अस्पताल में महिला का किया ऑपरेशन, अस्पताल में हुई मौत, परिजन ने लापरवाही का लगाया आरोप, जांच होगी या…

देवघर। सरकारी अस्पताल में फिर एक बार लापरवाही का मामला सामने आया है जिससे एक महिला मरीज की मौत हो गई। मौत का आरोप स्वास्थ्य विभाग के जिला के आला अधिकारी सिविल सर्जन पर लगाया गया है। महिला की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया और जमकर हंगामा किया.

मृतका के भाई ने बताया

मृतक महिला के भाई मनोज ने बताया कि डॉक्टर के निर्देशानुसार उन्होंने अपनी बहन को शुक्रवार को अस्पताल में भर्ती कराया था, अस्पताल में रिपोर्ट देखने के बाद ही डॉक्टर भड़क गए और डांटने फटकारने लगे। उन्होंने ये भी बताया की यदि अस्पताल मे आकार लापरवाही से मरीज की मौत हो जा रही है तो इससे बेहतर है की घर में ही मौत हो..

मनोज के अनुसार डॉक्टरों ने ऑपरेशन के लिए शनिवार का दिन तय किया था. शनिवार की शाम चार बजे सदर अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ रंजन सिन्हा ने महिला का ऑपरेशन किया. लेकिन ऑपरेशन के करीब दस से बारह घंटे बाद रविवार को महिला की मौत हो गई.

क्या कहते है सिविल सर्जन

प्रसूता का ऑपरेशन करने वाले जिले के सिविल सर्जन डॉ. रंजन सिन्हा ने बताया कि मरीज की हालत काफी गंभीर थी. मरीज को काफी रक्तस्राव हो रहा था. जिसके कारण डॉक्टर ने परिजनों को पहले ही आश्वस्त कर दिया था कि ऑपरेशन के बाद मरीज की हालत में कितना सुधार होगा यह कहना मुश्किल है. यही कारण है कि ऑपरेशन के बाद मरीज का रक्तस्राव बंद नहीं हुआ और उसकी मौत हो गई.

शिक्षक दिवस पर 2 छात्रों की दर्दनाक मौत, बाइक से केक लेकर लौट रहे थे दोनों, तीसरे की हालत गंभीर

क्या है मामला

मनोज ने बताया कि डॉक्टरों ने उनकी बहन के गर्भाशय को खराब बता दिया था और उसे निकालने की बात कही थी. लेकिन ऑपरेशन सही तरीके से नहीं करने के कारण उनकी बहन की मौत हो गई. परिजनों ने आरोप लगाया कि जब डॉक्टर की लापरवाही के कारण मरीज की मौत हुई है तो अस्पताल प्रबंधन को मुआवजा भी देना चाहिए.

मरीज की मौत के बाद रविवार को परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ प्रदर्शन भी किया. हालांकि अस्पताल प्रबंधन और पुलिस के काफी समझाने के बाद परिजन शांत हुए और शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने को राजी हुए.

अब देखना ये होगा की ऐसे आरोप पर जिले के सिविल सर्जन मामले की जांच पड़ताल करते है, ये अलग बात है कारवाई के नाम पर खानापूर्ति ही की जाती है।परंतु इस बार आरोप जिले के सिविल सर्जन पर ही लगा हो तो मामले की गहनता से जांच पड़ताल कैसे होगी? या फिर मामला फाइलों में दब जायेगी।

Related Articles

close