“फर्जी दवा है उत्पाद सिपाही अभ्यर्थियों की मौत की वजह” मुख्यमंत्री बोले, जिस दवा पर दुनिया भर में पाबंदी, उसे बांटा गया…..

सिमडेगा। वो कहते हैं ना… “राजनीति में मुर्दे गाड़े नहीं जाते, बल्कि उसे जिंदा रखा जाता है” उस पर समय आने पर राजनीति की जा सके। ऐसा ही कुछ हो रहा है उत्पाद सिपाही भर्ती में हुई अभ्यर्थियों की मौत पर भाजपा भी चुनाव तक इसे जिंदा रखना चाहती है और हेमंत सरकार भी इसे कुरेदने में कोई कमी नहीं छोड़ रही है। सिमडेगा में कार्यक्रम के दौरान हेमंत सोरेन ने एक बार फिर उत्पाद सिपाही भर्ती का ठिकरा कोरोना की दवाई पर लगायी है।

हेमंत सोरेन ने सभा को संबोधित करते हे कहा कि जिस दवा को पूरी दुनिया में पाबंदी लगाई दी गई थी। वह दवा ये लोग देश में बांटते रहे, उसके बदले चंदा लेते रहे। इन्होंने फर्जी दवा देकर पूरे देश के लोगों के साथ धोखा किया। इसका परिणाम है कि आज उत्पाद सिपाही भर्ती में हमारे नौजवानों की मौत हुई और इनकी यह चोरी भी पकड़ी जाएगी।

महिलाओं पर हेमंत सरकार का पूरा फोकस

हेमंत सरकार चुनाव के पहले महिलाओं को रिझाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। मंईया सम्मान योजना के बाद अब सरकार ने मंईया सम्मान यात्रा शुरू कर चुकी है। हेमंत सोरेन ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आप आधी आबादी हैं।

आप लोगों को मजबूत करने का संकल्प है हमने लिया है। मैं जानता हूं, आपने जो ठान लिया वह आप अवश्य पूरा करती हैं। मंईयां सम्मान योजना की दूसरी किस्त की सम्मान राशि महिलाओं खाते में पहुंच चुकी है।

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मुझे बताया गया कि कुछ माता-बहनों के बैंक खाता में राशि नहीं गई है। इसकी वजह है आपके बैंक खाता का अपडेट नहीं होना। सभी उपायुक्त ध्यान दें, जितने भी पुराना बैंक खाता है और जो कार्य नहीं कर रहा है ऐसे सभी खातों को चिन्हित कर पुनः शुरू करवाए, ताकि इन माताओं-बहनों के बैंक खाता में सम्मान राशि जा सके।

डबल इंजन की सरकार में क्या आपने कभी सुना था कि कोई पदाधिकारी आपके गांव जाता था? आज का परिदृश्य बदल गया है आज आपकी समस्याओं का समाधान आपके द्वार पर किया जा रहा है। आज हर पदाधिकारी जोहार बोलता है और मैंने सुनिश्चित किया है कि झारखंडियों का अभिवादन जोहार रहेगा और आज हमारे विरोधी लोग भी वही करते हैं। देश के प्रधानमंत्री जी उलिहातु आते हैं।

भगवान बिरसा मुंडा की जन्म स्थली जाते हैं। फर्जी मिट्टी का टीका लगाते हैं और यहां योजना का शुरुआत करते हैं। लेकिन जब आदिवासी दिवस होता है तो प्रदेश के आदिवासियों को कोई भी शुभकामनाएं ये लोग नहीं देते हैं। यह स्थिति है हम आदिवासियों की। सरना आदिवासी धर्म कोड को लेकर इन्होंने क्या किया? हम लोगों ने विधानसभा से विधेयक पारित कर दिल्ली भेज दिया, लेकिन उसे भाजपा द्वारा धूल मिट्टी डाल गड्ढे में डाल दिया गया।

भाजपा को आदिवासियों पर विश्वास नहीं है। बगल के राज्य में इन्होंने आदिवासी मुख्यमंत्री बनाया है लेकिन बगल में दो सिपाही भी खड़ा कर दिया है कि जरा सा इधर से उधर नहीं करें। ये लोग नहीं चाहते हैं कि स्वतंत्र रूप से कोई आदिवासी चल पाए।

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