झारखंड में मौत का चौराहा… जहां गुजरने से होती है मौत,अनगिनत मौत का कौन है जिम्मेदार प्रशासन,NHAI या….

Crossroads of death in Jharkhand... where death occurs by passing, who is responsible for countless deaths, the administration or...

धनबाद। वैसे तो सड़क दुर्घटना आम हो गई है। बढ़ते वाहन, गलत तरीके से ड्राइविंग, नशा ये मुख्य कारण बताए जाते रहे है। पर झारखंड में एक ऐसा जिला जहां न सिर्फ अनगिनत मौतें होती है बल्कि अब स्थानीय लोग इसे मौत का चौराहा कहने लगे है जहां रात की बात तो छोड़िए दिन में भी गुजरने पर लोगों की सांसे थम जाती है।

जी हां! आपको सुनने में जरूर अटपटा लग रहा होगा पर ये सौ फीसदी सच है। हम बात कर रहे है जिले के गोविंदपुर प्रखंड का, जहां अभी महज 2 दिन पहले एक ही घर के तीन बच्चों की सड़क दुर्घटना में वाहन के कुचलने से मौत हो गई वहीं आज फिर एक मोटर साइकिल सवार की कुचलने से मौत हो गई।

जिले का गोविंदपुर प्रखंड जीटी रोड पर बसा है जहां जीटी रोड को लाइफलाइन मानी जाती है। यही से गोविंदपुर साहिबगंज, गिरिडीह – देवघर , सिंदरी टाटा, दिल्ली बनारस,कोलकाता की सड़क जाती है, ये क्षेत्र व्यापारिक दृष्टिकोण से भी जिले में काफी अहम मानी जाती है।

वर्षों से 4 लेन सड़क की 6 लेन में बदला जाना है परंतु ये काम  इतनी सुस्त गति से हो रही है कि जहां तहां गड्ढे और अधूरे काम फंसे हुए है। जिससे आए दिन दुर्घटना यूं ही होती रहती है। ये काम NHAI के जिम्मे है।जबकि घनी आबादी के बाहर ये काम लगभग पूरा हो चुका है।परंतु घनी आबादी में कम पूर्ण किए बिना सारे वैध कट की बंद कर दिया गया।

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इस चौराहे पर अनगिनत मौत हो चुकी है परंतु स्थानीय लोग इसके पीछे स्थानीय प्रशासन, स्थानीय नेता और NHAI को जिम्मेदार मानते हैं। इस चौराहे पर मौत की घटना इतनी वीभत्स होती है कि देख कर मन विचलित हो उठता है। कमजोर दिल वालों के लिए उसके पास से गुजरना भी मुमकिन नहीं होता।

कौन है जिम्मेदार

पूरा क्षेत्र व्यापारिक होने के बावजूद प्रशासन के नाक के नीचे सड़कों पर अवैध कब्जा है। सड़कों पर दुकानें बिछी हुई है। न तो एक भी ट्रैफिक सिगनल लाइट है, न ही ट्रैफिक पुलिस साथ ही NHAI के बनाए क्रॉसिंग को स्थानीय नेता की मौजूदगी में बंद कर दिया गया है। जिससे लोग गलत दिशा में क्रॉसिंग के लिए मजबूर होते है।

ये बात अलग है दिखावे के लिए स्थानीय पुलिस सायरन बजाती हुई रोड पर मिल जाएंगे। और कोई मंत्री और बड़े अधिकारी आने के बाद सारी जगह पुलिस के तंत्र खड़े हो जाते है जिससे परिचालन सामान्य हो जाता है। परंतु अन्य दिनों में प्रशासन से लेकर स्थानीय नेता तक ऐसी दुर्घटना से बेखबर रहते है और मौतें होती रहती है तभी तो इस चौराहे को मौत का चौराहा कहा जाता है।

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