बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर सरकार की ये चिट्ठी हुई वायरल, बाबूलाल मरांडी ने पूछा, सस्ते गैस सिलेंडर व सरकारी सुविधा, कहीं आदिवासी…?

This letter of the government regarding Bangladeshi intruders went viral, Babulal Marandi asked, cheap gas cylinders and government facilities, are there any tribals...?

रांची। 20 नवंबर को झारखंड में आखिरी दौर का चुनाव होना है। चुनाव से पहले झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों और डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा गरमाया हुआ है। इस बीच झारखंड सरकार के विशेष शाखा की तरफ से 2 जून 2023 को सभी उपायुक्तों को भेजी गयी एक चिट्ठी वायरल हो रही है।

बाबूलाल मरांडी ने इस चिट्ठी के हवाले से कहा है कि 2 जून, 2023 को राज्य सरकार के खुफिया विभाग ने सभी जिलों के उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखकर स्वीकार किया था कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को संथाल परगना के कई मदरसों में पनाह दी जाती है।

इन ठिकानों में उनके पहचान पत्र और अन्य दस्तावेज तैयार किए जाते हैं। खुफिया विभाग द्वारा संवेदनशील सूचना साझा किए जाने के बावजूद प्रशासन द्वारा घुसपैठियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। माननीय उच्च न्यायालय ने घुसपैठ को झारखंड के लिए बड़ा खतरा बताकर राज्य सरकार से रिपोर्ट भी तलब की।

तब खुफिया विभाग द्वारा बांग्लादेशी घुसपैठियों की पुख्ता सूचना दिए जाने के बावजूद संथाल परगना के सभी 6 जिलों के उपायुक्तों ने उच्च न्यायालय में झूठा शपथ पत्र दायर कर बताया कि उनके सम्बन्धित जिलों में एक भी घुसपैठिया नहीं है।

उच्च न्यायालय ने घुसपैठ की पड़ताल के लिए स्वतंत्र जांच समिति गठित करने का आदेश दिया तो उसके विरुद्ध भी राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई… संथाल परगना के मतदान बूथों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि, अवैध रूप से बस चुके जमाई टोले, आदिवासियों की जमीनों पर चल रहा कब्जे का खेल चीख-चीखकर घुसपैठ की गवाही दे रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि उपायुक्तों ने किसके दबाव में झूठ बोला? किसके दबाव में माननीय उच्च न्यायलय को गुमराह किया गया?

वास्तविकता यह है कि झामुमो-कांग्रेस के द्वारा आदिवासियों को मिटाने का प्रयास हर स्तर पर किया जा रहा है। हेमंत सरकार का पूरा सरकारी तंत्र आदिवासी समाज के विरुद्ध साजिश रचने और घुसपैठियों को पनाह देने की गतिविधियों में संलिप्त है।

घुसपैठ से आदिवासी समाज के अस्तित्व पर गहरा संकट मँडरा रहा है। साथियों, हमें एकजुट होकर बांग्लादेशी घुसपैठियों को झारखंड से बाहर खदेड़ने और उनके सरपरस्ततों को बेनकाब करने की जरूरत है।

कांग्रेस द्वारा बांग्लादेशी घुसपैठियों को सस्ते गैस सिलेंडर और अन्य सरकारी सुविधाएं उपलब्ध कराने की घोषणा कोई अतिशयोक्ति नहीं, बल्कि समुदाय विशेष का वोटबैंक बढ़ाकर आदिवासियों का अस्तित्व मिटाने की सोची समझी साजिश है।

2 जून, 2023 को खुफिया विभाग द्वारा संथाल परगना के कई मदरसों में इन घुसपैठियों को न केवल पनाह दी जाती है, बल्कि उनकी पहचान के लिए फर्जी दस्तावेज किए तैयार किए जाने की सूचना देने के बाद भी हेमंत सोरेन की सरकार इस भयानक साजिश को छुपाने का हरसंभव प्रयास किया।

संथाल परगना के सभी छह जिलों के उपायुक्तों ने उच्च न्यायालय में शपथ पत्र दायर कर दावा किया कि उनके जिलों में एक भी घुसपैठिया मौजूद नहीं है। इन सबके बीच संथाल परगना में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि, अवैध बसावट वाले जमाई टोले और आदिवासी भूमि पर कब्जे बढ़ते चले गए।

चुनाव आते ही कांग्रेस झामुमो के खतरनाक मंसूबे का भंडाफोड़ हो चुका है। मंचों से खुलेआम घुसपैठियों के लिए घोषणाएं की जा रही है।घुसपैठियों को समर्थन देकर और स्थानीय आबादी को कमजोर करके आदिवासी समाज के अस्तित्व पर संकट खड़ा किया जा रहा है।

अब समय आ गया है कि हमारा आदिवासी समाज एकजुट होकर इस गंभीर समस्या का सामना करें। घुसपैठियों को बाहर निकालने और उनके संरक्षकों को उजागर करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। यह केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक अस्तित्व की लड़ाई है। भाजपा चुन चुनकर हरेक घुसपैठिए लो झारखंड के बाहर खदेड़ने का काम करेगी और रोटी, बेटी, माटी के अस्मिता की रक्षा करेगी।

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