Sharad Pawar Birthday: जानें शरद पवार को क्यों कहा जाता है राजनीति का सबसे बड़ा चाणक्य?

Sharad Pawar Birthday: शरद पवार आज के दिन यानी 12 दिसंबर को पूरे 84 साल के हो गए. एनसीपी के पूर्व अध्यक्ष ने अपने 63 साल के राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव देखा, लेकिन कुछ पल ऐसे रहे जिन्हें भूलना शायद उनके लिए भी मुश्किल हो. उनमें से एक पल पीएम की रेस से कुछ कदम पीछे रह जाने का होगा. हालांकि इस दौरान उनपर एक बार रक्षा और दो बार कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

उनके जन्मदिन के मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी है. सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए उन्होंने लिखा कि राज्यसभा सांसद एवं वरिष्ठ नेता शरद पवार जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं. मैं उनकी दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन की कामना करता हूँ.

राष्ट्र की राजनीति पर मजबूत पकड़

पवार की ना केवल महाराष्ट्र बल्कि राष्ट्र की राजनीति पर मजबूत पकड़ है. महाराष्ट्र में उन्होंने चार बार सीएम पद की जिम्मेदारी संभाली है. इसके अलावा वो दो बार देश के कृषि मंत्री भी रह चुके हैं. एनसीपी की स्थापना से पहले पवार भी देश की सबसे बड़ी पार्टी रह चुकी कांग्रेस का हिस्सा रहे हैं. हालांकि इसके बाद उन्होंने कई चुनाव में कांग्रेस विरोधी नारे लगाए. जिसके बाद अभी कुछ दिनों पहले हुए महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव में एक बार फिर पवार और कांग्रेस एमवीए गठबंधन के तहत एक साथ चुनावी मैदान में उतरे.

भारतीय राजनीति में लंबा सफर

शरद पवार ने भारतीय राजनीति में एक लंबा और महत्वपूर्ण सफर तय किया है. उनका राजनीतिक जीवन 1956 में छात्र राजनीति से शुरू हुआ था और वह आज भी महाराष्ट्र की राजनीति में एक प्रमुख नाम बने हुए हैं. शरद पवार ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1956 में छात्र राजनीति से की थी. इस दौरान उन्होंने महाराष्ट्र के प्रवरनगर क्षेत्र में गोवा की स्वतंत्रता को लेकर एक विरोध मार्च का आयोजन किया. इसके बाद 1960 में वह युवा कांग्रेस में शामिल हो गए. महज दो साल के अंदर ही उन्होंने पुणे जिला युवा कांग्रेस के अध्यक्ष का पद संभाला. इसके बाद पवार ने महाराष्ट्र युवा कांग्रेस में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और राज्य की राजनीति में अपनी पहचान बनानी शुरू की.

नवोदय विद्यालय की दाखिले की प्रकिया शुरू, इन दस्तावेजों के साथ करें आवेदन, ये है आखिरी तारीख…

नए अध्याय की शुरुआत

बंबई राज्य के अंतिम मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण का शरद पवार पर गहरा प्रभाव था. 27 साल की उम्र में शरद पवार ने बारामती से विधायक के रूप में राज्य की राजनीति में कदम रखा. पवार ने ग्रामीणों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया, जिनमें सूखा और अन्य स्थानीय समस्याएँ शामिल थीं. 1969 में जब इंदिरा गांधी को कांग्रेस से निष्कासित किया गया, तो शरद पवार ने उनके भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंदिरा गुट) में शामिल होने का फैसला लिया. आपातकाल के दौरान शरद पवार ने महाराष्ट्र में शंकरराव चव्हाण की सरकार में गृहमंत्री का पद संभाला. इसके बाद जब कांग्रेस में विभाजन हुआ, तो पवार ने कांग्रेस (यू) का हिस्सा बनकर राजनीति में अपने नए अध्याय की शुरुआत की.

प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल

शरद पवार ने 1978 में विद्रोह कर वसंतदादा पाटिल की सरकार को गिरा दिया और खुद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. उस समय पवार की उम्र सिर्फ 38 साल थी. इसी के साथ वह महाराष्ट्र के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने. 1980 में इंदिरा गांधी की वापसी के बाद पवार की सरकार गिर गई और उन्होंने कांग्रेस (आई) के अध्यक्ष के रूप में कार्य करना शुरू किया. 1991 के लोकसभा चुनाव के दौरान शरद पवार प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल थे. हालांकि राजीव गांधी की हत्या के बाद उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हो पाईं. कांग्रेस ने नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री बना दिया. पवार को रक्षामंत्री बनाया गया, लेकिन 1993 में उन्हें महाराष्ट्र की राजनीति में वापस भेज दिया गया और वह चौथी बार मुख्यमंत्री बने.

…जब प्रधानमंत्री के पहुंचते ही गूंजा जय श्री राम का नारा…धनबाद की जनसभा में PM का रोड शो, जोशीले नारों से प्रधानमंत्री का होता रहा स्वागत, देखिये तस्वीरें

एनसीपी का गठन

1999 में सोनिया गांधी से मतभेद के बाद शरद पवार ने अपनी पार्टी राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का गठन किया. हालांकि उन्होंने उसी साल कांग्रेस के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा और गठबंधन में शामिल रहे. 2004 में एनसीपी को यूपीए सरकार में कृषि मंत्रालय मिला. 2014 में बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए सरकार बनने के बाद शरद पवार ने विपक्ष की भूमिका निभाई. 2019 में शिवसेना और कांग्रेस के साथ मिलकर एनसीपी ने महाराष्ट्र में सरकार बनाई, जिसमें उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने. फिर 2020 में शिवसेना में फूट पड़ने के बाद शिंदे गुट ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई. शरद पवार की राजनीतिक यात्रा हमेशा से ही उनकी चतुराई और रणनीतिक क्षमता का प्रतीक रही है. उन्होंने न केवल महाराष्ट्र की राजनीति में, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी कई महत्वपूर्ण बदलावों का हिस्सा बने. उनका करियर आज भी राजनीति में सक्रिय और प्रभावशाली है.

Related Articles

close