सुना है, अब पहाड़ चढ़ेगी मेट्रो

देहरादून: राजधानी दून में करीब 8 साल पहले मिड सिटी में दिल्ली-मुंबई सरीखे मेट्रो सिटी की तर्ज पर मेट्रो चलाने की कवायद शुरू की गई थी, लेकिन आज हांफते-हांफते मेट्रो का भविष्य गर्त में है. दून में मेट्रो का सपना साकार रूप नहीं ले पाया, तो चकराता में इसकी संभावनाएं तलाशनी शुरू की जा रही हैं. जी हां, सूत्रों के मुताबिक आजकल मेट्रो की एक टीम चकराता में सर्वे कर रही है. सर्वे को पूरी तरह गोपनीय रखा गया है. लेकिन सवाल यह है कि जब मेट्रो दून में धरातल पर नहीं उतर पाई, तो टीम चकाराता में क्या करने गई है. फिलहाल जो भी यह सवाल चर्चा का विषय बन गया है.



2017 से चल रही मेट्रो की कवायद
दून में मेट्रो चलाने के लिए उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (यूकेएमआरसी) की स्थापना की गई. तब सपना दिखाया गया था कि राजधानी दून में भी जल्द सरपट मेट्रो दौड़ेगी. मॉडर्न ट्रांस्पोर्टेशन का विस्तार होगा. लोग आसानी से बहुत कम समय में अपने गंतव्य तक पहुंचेंगे. शहर का अनियंत्रित ट्रैफिक कंट्रोल होगा. दून से विकासनगर, ऋषिकेश और हरिद्वार तक जोडऩे की भी बात हुई, लेकिन ये सारे सपने धरे के धरे रह गए.

अब चकराता की चढ़ाई
दून में मेट्रो की सारी संभावनाएं जब परवान नहीं चढ़ी, तो यूकेएमआरसी की एक टीम सर्वे के लिए चकराता पहुंच गई है. यह टीम मेट्रो का सर्वे करने गई है या फिर और मकसद है. यह फिलहाल साफ नहीं हो पाया है. मेट्रो से जुड़े अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि हां एक टीम चकराता में सर्वे के लिए गई है. चकराता में नगऊ में भी जमीन समतलीकरण की बात सुनने में आई है, लेकिन टीम वहां क्या संभावनाएं तलाशने गई है. क्या सर्वे किया जा रहा है, पूछने पर इस पर मेट्रो के कोई भी अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है. अलबत्ता इतना बताया गया है कि शासन के निर्देशों के क्रम में सर्वे को गोपनीय रखा गया है. माना कि मेट्रो की टीम चकराता में मेट्रो की संभावनाएं तलाशने नहीं गई है, तो क्या वह वहां बिल्डिंग या रोड बनाने गई है.

बस सर्वे होते रहे
दरअसल, दून में बढ़ते ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए प्रस्तावित मेट्रो प्रोजेक्ट अब तक हवा में ही रहा है. पिछले करीब 8 साल में केंद्र और राज्य सरकार ने मेट्रो सिटी का जो सपना दिखाया, वह पूरा नहीं हो पाया है. सपना कभी पूरा होगा भी या यूं ही मेट्रो के नाम पर सर्वे-सर्वे का खेल चलता रहेगा. ताज्जुब की बात यह है कि यूकेएमआरसी अब तक मेट्रो की एक ईंट तक नहीं जोड़ी गई है, लेकिन लगभग 90 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं. आलीशान आफिस, हाई-फाई खर्चे, स्टॉफ की सेलरी, और सैर-सपाटे से लेकर विदेशों में घूमने-फिरने में इतनी बड़ी रकम खर्च कर डाली, जिसका पब्लिक का कोई लेना-देना ही नहीं है.

मेट्रो पर अब तक की कार्रवाई
-2017 में उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन को अस्तित्व में लाया गया.
-इसके बाद मेट्रोमैन श्रीधरन को मार्गदर्शन के लिए उत्तराखंड का सलाहकार बनाने का प्रस्ताव आया
-मेट्रो के बाद केबल कार यानि रोपवे का प्रोजेक्ट आया
-2018 में शहरी विकास मंत्री की अध्यक्षता में लंदन, जर्मनी का दौरान किया गया.
-नियो मेट्रो के लिए ऋषिकेश-हरिद्वार को मेट्रोपोलिटिन एरिया किया घोषित.
-यूकेएमआरसी के एमडी ने 2022 सितंबर में इस्तीफा दिया, लेकिन सरकार ने इस्तीफा नामंजूर किया.
– 30 जुलाई 2023 को सीएम के अनुरोध पर पीएम के भरोसे ने जगाई थी उम्मीद
– केंद्र की हां-ना में फंसा है मेट्रो प्रोजेक्ट
– यूकेएमआरसी नेपीपीपी मोड में बनाने की भी की थी तैयारी
– फाउंडर एमडी जितेंद्र त्यागी भी 30 जनवरी को रिटायर होकर चल दिए
– मेट्रो का कहीं अता-पता नहीं, लेकिन करीब 90 करोड़ का बजट अब तक खर्च

नीलकंठ रोपवे प्रोजेक्ट भी फेल
यूकेएमआरसी का ऋषिकेश में नीलकंठ रोपवे प्रोजेक्ट भी फेल हो गया. मेट्रो की तरह यह प्रोजेक्ट भी हवा-हवाई साबित हुआ. जब मेट्रो धरातल पर नहीं उतरी तो यूकेएमआरसी के अफसरों ने कारपोरेशन को बचाने के लिए मेट्रो से बाहर दूसरे प्रोजेक्ट्स पर हाथ आजमाना शुरू किया, लेकिन यहां भी जल्दबाजी कर हवा में प्रोजेक्ट बनाए गए. नीलकंठ प्रोजेक्ट इसका उदाहरण है. पूरी औपचारिकताओं के बजाय सीधे टेंडर जारी किए गए. खामियों के चलते एक भी कंपनी टेंडर में प्रतिभाग करने नहीं पहुंची. इस बीच बफर जोन का हवाला देकर वन विभाग ने जमीन देने से साफ इनकार कर दिया. उधर, गंगा अथॉरिटी ने भी एतराज जताया है.

हरिद्वार में रोपवे, पॉड टैक्सी प्रोजेक्ट भी धड़ाम
यही नहीं हरिद्वार में पॉड टैक्सी चलाने के लिए 2023 में जारी किए गए टेंडर का भी कोई अता-पता नहीं है. हरि की पैड़ी में चंडी देवी रोपवे प्रोजेक्ट का भी यही हश्र हुआ. मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने मेट्रो के अलावा दूसरे क्षेत्रों में भी हाथ आजमाया, लेकिन एक भी सफलता हाथ नहीं लगी. पिछले आठ साल से यूकेएमआरसी खाली का खाली बैठा हुआ है.

ब्रेकिंग: झारखंड मैट्रिक का एक और पेपर लीक! हिंदी और साइंस के बाद अब इस विषय का भी पेपर हुआ वायरल, रद्द होगी परीक्षा…

Related Articles