Holi Long Weekend : उदयपुर में देखें मेवाड़ की शाही होलिका दहन, रंगोत्सव मनाने की है बेस्ट जगह

Holi Long Weekend : देश भर में होली की तैयारियां धूमधाम से चल रही हैं। यदि आप इस साल काम में व्यस्त होने की वजह से घर नहीं जा सकते हैं, तो एक छोटा सा बैग लेकर घूमने के लिए निकल जाओ। जहां आप होली की खुशी के साथ-साथ एक नई संस्कृति का भी अनुभव कर सकेंगे..।
यही कारण है कि ब्रजधाम की होली दुनिया भर में प्रसिद्ध है, लेकिन शाही होली की बात करें तो मेवाड़ की होली को कोई नहीं मात दे सकता। इस साल होली पर एक लंबी छुट्टी भी है, तो क्यों न इसका फायदा उठाकर उदयपुर की शाही होली का आनंद लें?
Holi Long Weekend :कब से कब तक है होली का Long Weekend?
इस साल होलिका दहन 13 मार्च (गुरुवार) को होने वाली है। अगर सिर्फ उस दिन एक छुट्टी ले लेते हैं, तो 14 मार्च (शुक्रवार) को होली की छुट्टी और उसके बाद शनिवार और रविवार को सप्ताहांत पर छुट्टी मिल जाएगी। इस तरह से सिर्फ 1 दिन की छुट्टी से आप 4 दिनों का एक ट्रिप अपने परिवार और दोस्तों के साथ एंजॉय कर सकते हैं। खासतौर पर अगर आप दिल्ली या आसपास की किसी जगह पर रहते हैं, तो उदयपुर का प्लान बनाना आपके लिए बड़ा ही आसान होगा।
Holi Long Weekend :मेवाड़ की शाही परंपरा
उदयपुर की शाही होलिका दहन सिटी पैलेस में मौजूद माणेक चौक पर मनायी जाती है। यहां राजपरिवार के सभी सदस्य हिस्सा लेते हैं और होलिका दहन को ठीक उसी तरह से किया जाता है जैसे परंपरा प्राचीनकाल से चली आ रही है।
अपने पूरे परिवार के साथ राजपरिवार के सदस्य राजपूती पोशाक में तैयार होकर सिटी पैलेस से बाहर आते हैं और वेदपाठ कर रहे ब्राह्मणों के साथ विशेष पूजा करके होलिका को जलाते हैं। यह महोत्सव यहां देर रात को मनायी जाती है। इसके अगले दिन धुलेंडी यानी होली का त्योहार मनाया जाता है। उदयपुर की सारी गलियां होली के रंगों और गुलाल गोटे से पट जाती है।
Holi Long Weekend :विशेष लकड़ी से होती है होलिका दहन
बताया जाता है कि उदयपुर में रंगो के उत्सव की शुरुआत यानी होलिका दहन जिस लकड़ी से की जाती है, वह बड़ी ही खास होती है। दरअसल, उदयपुर में होलिका दहन में सेमल की लकड़ी का उपयोग किया जाता है। कहा जाता है कि सेमल की लकड़ी में काफी औषधीय गुण होते हैं।
इस पेड़ की लकड़ी में मौजूद औषधीय गुणों की वजह से दिल और त्वचा रोग समेत अन्य कई बीमारियां दूर हो जाती है। इसलिए कहा जाता है कि जब सेमल की लकड़ी को जलाया जाता है तो उससे निकलने वाला धुआँ हवा में मौजूद विषाणुओं को मारने में सक्षम होता है।
विशेष नोट – उदयपुर की शाही होलिका दहन का कार्यक्रम खत्म हो जाए, तो उसके बाद सिटी पैलस से बाहर निकल जाए और सीधे पहुंचे ‘बड़ी होली’ मुहल्ला। यहां होती है उदयपुर का दूसरी सबसे बड़ी होलिका दहन। हर साल यहां अलग-अलग थीम पर होलिका जलायी जाती है।
कहा जाता है कि यहां महाराणा फेतह सिंह के शासनकाल में करीब 60 फुट ऊंची होलिका भी जलायी जाती थी। यहां होलिका जलाने वाली लकड़ियां भी राजाओं द्वारा ही भेंट की जाती हैं। हालांकि अब यहां होलिका दहन की ऊंचाई घटकर 30 फुट हो गयी है लेकिन अभी भी यहाँ उदयपुर की सबसे ऊंची होलिका दहन होती है।
Holi Long Weekend :जल्दी Full होने लगते हैं होटल
आमतौर पर सभी शहरों में होलिका दहन की जाती है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है। लेकिन मेवाड़ (उदयपुर) की होलिका दहन न सिर्फ राजस्थान बल्कि देश-विदेश में भी काफी मशहूर है। बड़ी संख्या में विदेशों से भी पर्यटक उदयपुर में शाही होलिका दहन को देखने के लिए और भारत की इस खास परंपरा व संस्कृति को अनुभव करने आते हैं।
इसलिए उदयपुर के होटल भी इस समय बड़ी जल्दी भरने लगते हैं। इसलिए हमारी सलाह है कि अगर आप अगले सप्ताह होली का त्योहार उदयपुर में मनाने के बारे में सोच रहे हैं, तो अपना होटल जल्दी से बुक कर लें। वरना बाद में कहीं पछताना न पड़ जाए।
HOLI 2025: बनारस की अनोखी मसान होली: चिता की राख से खेली जाती है महाश्मशान घाट पर