ब्रह्माकुमारी संस्थान की मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी का निधन…101 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
Chief administrator of Brahmakumari Institute, Dadi Ratanmohini passed away... breathed her last at the age of 101

ब्रह्माकुमारीज़ की प्रमुख 101 वर्षीय राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी नहीं रहीं। उन्होंने अहमदाबाद के जाइडिस अस्पतल में रात्रि 1.20 बजे अंतिम सांस ली। उनके पार्थिक शरीर को शांतिवन लाया जा रहा है जहां मुख्यालय शांतिवन के कॉन्फ्रेंस हाल में अंतिम दर्शनार्थ रखा जाएगा। 10 अप्रैल को सुबह 10 बजे अंतिम संस्कार किया जाएगा। आप मात्र 13 वर्ष की आयु में ही ब्रह्माकुमारीज से जुड़ीं और पूरा जीवन समाज कल्याण में समर्पित कर दिया। 101 वर्ष की आयु में भी दादी की दिनचर्या अलसुबह ब्रह्ममुहूर्त में 3.30 बजे से शुरू हो जाती थी। सबसे पहले वह परमपिता शिव परमात्मा का ध्यान करती थी। राजयोग मेडिटेशन उनकी दिनचर्या में शामिल रहा।
25 मार्च 1925 को सिंध हैदराबाद के एक साधारण परिवार में दैवी स्वरूपा बेटी ने जन्म लिया। माता-पिता ने नाम रखा लक्ष्मी। किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि कल यही बेटी अध्यात्म और नारी शक्ति का जगमग सितारा बनकर सारे जग को रोशन करेगी। बचपन से अध्यात्म के प्रति लगन और परमात्मा को पाने की चाह में मात्र 13 वर्ष की उम्र में लक्ष्मी ने विश्व शांति और नारी सशक्तिकरण की मुहिम में खुद को झोंक दिया।
87 वर्ष की यात्रा की रहीं साक्षी-
दादी वर्ष 1937 में ब्रह्माकुमारीज़ की स्थापना से लेकर आज तक 87 वर्ष की यात्रा की साक्षी रही हैं। पिछले 40 से अधिक वर्ष से आप संगठन के ही युवा प्रभाग की अध्यक्षा की भी जिम्मेदारी संभाल रही हैं। आपके नेतृत्व में युवा प्रभाग द्वारा देशभर में अनेक राष्ट्रीय युवा पदयात्रा, साइकिल यात्रा और अन्य अभियान चलाए गए।
ब्रह्मा बाबा के साथ 32 साल का लंबा सफर–
दादी रतनमोहिनी में बचपन से ही भक्तिभाव के संस्कार रहे। छोटी सी उम्र होने के बाद भी आप अन्य बच्चों की तरह खेलने-कूदने के स्थान पर ईश्वर की आराधना में अपना ज्यादा वक्त गुजारती थीं। स्वभाव धीर-गंभीर था। पढ़ाई में भी होशियार होने के साथ प्रतिभा संपन्न रहीं हैं। दादीजी ने वर्ष 1937 से लेकर ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त होने (वर्ष 1969) तक साए की तरह साथ रहीं। इन 32 साल में आप बाबा के हर पल साथ रहीं। बाबा का कहना और दादी का करना यह विशेषता शुरू से ही थी।

बहनों की ट्रेनिंग और नियुक्ति की कमान-
वर्ष 1996 में ब्रह्माकुमारीज़ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तय हुआ कि अब विधिवत बेटियों को ब्रह्माकुमारी बनने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके लिए एक ट्रेनिंग सेंटर बनाया गया और तत्कालीन मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि ने आपको ट्रेनिंग प्रोग्राम की हैड नियुक्त किया। तब से लेकर आज तक बहनों की नियुक्ति और ट्रेनिंग की जिम्मेदारी दादीजी के हाथों में रही। दादी के नेतृत्व में अब तक 6000 सेवाकेंद्रों की नींव रखी गई है।

40 साल से युवा प्रभाग की संभाल रहीं हैं कमान