मंत्री के ऐलान के साथ ही बेबी देवी का डुमरी से प्रत्याशी बनना भी पक्का, जानिये क्यों बनाया गया बेबी देवी को मंत्री , डुमरी के इस समीकरण को समझना जरूरी

रांची। बेबी देवी की मंत्री पद पर ताजपोशी की तारीख तय होते ही, उन कयासों पर भी विराम लग गया कि कि डुमरी विधानसभा उपचुनाव में झामुमो का प्रत्याशी कौन होगा। मंत्री के साथ-साथ उपचुनाव प्रत्याशी भी बेबी देवी ही होंगी। आपको बता दें कि 6 अप्रैल से ही शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की मृत्यु के बाद से डुमरी विधानसभा की सीट खाली है। संवैधानिक दृष्टिकोण से कोई भी विधानसभा सीट अगर खाली होती है, तो उस सीट पर छह महीने के भीतर उपचुनाव करा लिया जाता है।

6 अप्रैल को जगरनाथ महतो के निधन के बाद से ही डुमरी विधानसभा की सीट खाली है। लिहाजा ये उम्मीद लग रही है कि इसी महीने या फिर अगले महीने तक उपचुनाव की तारीखों का ऐलान हो जायेगा। वैसे भी चुनाव की तारीख के 45 दिन पूर्व क्षेत्र में आचार संहिता लगना जरूरी हो जाता है, उस लिहाज से इस महीने के आखिर या अगस्त में आचार संहित का ऐलान होगा, तब तक सितंबर तक चुनाव हो पायेगा। जानकार बताते हैं कि दिवंगत जगरनाथ महतो की राजनीतिक विरासत को उनकी पत्नी बेवी देवी आगे बढ़ाएंगी. दरअसल, विधानसभा क्षेत्र डुमरी के उप चुनाव में झामुमो उन्हें चुनाव में खड़ा करेगा, क्योंकि उनके बेटे की उम्र 25 साल से कम है और उपचुनाव होने तक भी वह 25 की उम्र तक नहीं पहुंच पाएंगे।

हेमंत कार्यकाल में छठा उपचुनाव
डुमरी विधानसभा उपचुनाव में जब निर्वाचन आयोग बाय इलेक्शन का ऐलान करेगा, तो हेमंत कार्यकाल का ये छठा उपचुनाव होगा। इससे पहले हेमंत कार्यकाल में दुमका, मधुपुर, बेरमो, मांडर और रामगढ़ में उपचुनाव हो चुका है। दुमका और मधुपुर में झारखंड मुक्ति मोर्चा, मांडर और बेरमो में कांग्रेस अपनी-अपनी सीट बचाने में कामयाब रही, जबकि रामगढ़ उपचुनाव में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा था। रामगढ़ में कांग्रेस से सीट छिनते हुए आजसू ने जीत दर्ज की। झारखंड में हेमंत कार्यकाल में छठा उपचुनाव जगरनाथ महतो के निधन के बाद खाली हुई डुमरी सीट पर होना है।

डुमरी में मधुपुर पार्ट-2
डुमरी उपचुनाव से पहले बेबी देवी को मंत्री बनाने का फैसला ज्यादा चौकाता नहीं है। क्योंकि झामुमो इसके पहले भी ऐसा प्रयोग कर चुकी हैं। वर्ष 2021 में मंत्री और मधुपुर के झामुमो विधायक हाजी हुसैन अंसारी का निधन होने के कुछ ही महीने बाद सोरेन ने उनके पुत्र हफीजुल हसन अंसारी को मंत्रिमंडल में जगह दे दी थी। बाद में हफीजुल मधुपुर सीट पर उपचुनाव में विजयी हुए और मंत्रिमंडल में उनकी जगह बरकरार रही।

डुमरी उपचुनाव में राह नहीं रहेगी आसान
सूत्र यह बता रहे हैं कि संभवत अगले महीने ही डुमरी विधानसभा का चुनाव का नोटिफिकेशन निर्वाचन आयोग द्वारा जारी कर दिया जाएगा। लिहाजा, उससे पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन देरी ना करते हुए टाईगर जगन्नाथ महतो की पत्नी बेबी देवी को मंत्री पद का शपथ दिला रहे हैं। जगरनाथ महतो के निधन के बाद क्षेत्र में जनता का कार्य जो रुक गया है, जाहिर है उपचुनाव के पहले उसे धरातल पर उतारने होंगे। हालांकि वहीं अब यह देखने वाली बात है कि एनडीए यानी भाजपा और आजसू अपना कौन सा उम्मीदवार उतारेंगे । डुमरी विधानसभा उप चुनाव में यह भी देखने वाली बात होगी । लेकिन यह भी है कि यह राजनीतिक चक्रव्यूह भी है कहीं अखिलेश महतो की माता बेबी देवी के विरोध में कहीं जगन्नाथ महतो के भतीजे दिवाकर महतो को भाजपा अपनी और ना खींच ले, यह भी देखने वाली बात होगी, क्योंकि यह राजनीति है और इस राजनीति में कुछ भी हो सकता है।

डुमरी में JMM का दबदबा 1977 से लेकर 2009 तक पांच बार जीत
वर्ष1972 में कांग्रेस के मुरली भगत यहां से विधायक बने थे। उसके बाद से कांग्रेस का कोई प्रत्याशी यहां मजबूत स्थिति में नहीं सका। 1977 से लेकर वर्ष 2009 तक के चुनाव में इस सीट पर झामुमो का पांच बार कब्जा रहा है। तीन बार सूबे के प्रथम ऊर्जा मंत्री लालचंद महतो विधायक बने हैं। 1977 के पहले राजा पार्टी कांग्रेस का इस सीट पर वर्चस्व रहा था। वर्ष 1952 के पहले इस सीट से कांग्रेस के लक्ष्मण मांझी विजयी हुए। वर्ष 1957 के चुनाव में छोटानागपुर संथाल परगना जनता पार्टी (राजा पार्टी) के प्रत्याशी हेमलाल प्रगणैत विधायक बने। 1962 में राजा पार्टी के हेमलाल ही विजय हुए। 1967 में राजा पार्टी के एस मंजरी विजयी हुए। 1969 के मध्यावधि चुनाव में राजा पार्टी के कैलाशपति विधायक बने। 1972 में कांग्रेस के मुरली भगत जीते। 1977 में कांग्रेस प्रत्याशी मुरली को लालचंद महतो ने जनता पार्टी के बैनर तले पराजित किया। 1980 में पहली बार इस सीट से झामुमो ने खाता खोला तथा झामुमो प्रत्याशी शिवा महतो विजय हुए। उन्होंने लालचंद महतो को पराजित किया। 1985 में पुन: झामुमो के शिवा महतो जीते। उन्होंने लोकदल के लालचंद को पराजित किया. 1990 के चुनाव में लालचंद जनता दल के टिकट पर लड़कर दूसरी बार विधायक बने। 1995 में झामुमो के शिवा महतो ने समता पार्टी के लालचंद को हराया. 2000 में लालचंद जदयू के टिकट पर तीसरी बार विधायक बने।

लालचंद महतो को हराकर जगरनाथ बने थे विधायक
2005 के चुनाव में झामुमो के जगरनाथ महतो (jagarnath mahto) ने राजद के लालचंद महतो को परास्त कर पहली बार विधायकी हासिल की थी। वर्ष 2009 में उन्होंने लालचंद महतो को दूसरी बार पराजित किया। 2014 के झारखंड विधानसभा चुनाव में डुमरी विधानसभा सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी जगरनाथ महतो ने बाजी मारी थी। उन्हें कुल 77984 वोट पड़े थे और उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बीजेपी के लालचंद महतो को 32481 मतों से हराया था। 2009 में और 2005 के विधानसभा चुनाव में भी जगरन्नाथ महतो ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर इस सीट से जीत हासिल की थी।

HPBL Desk
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