कुपोषित स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच गोविंदपुर कुपोषण केंद्र के सवाल पर सिविल सर्जन के पत्र का मिलेगा सही जवाब ?
धनबाद । जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था में कैसे सुधार हो ? ये अपने आप में बड़ा यक्ष प्रश्न है। लगातार सभी कार्यक्रम में राज्य भर में निचली पायदान में शुमार होने वाले जिले के रूप में अपने आप को सुशोभित करने वाला जिले का स्वास्थ्य खुद अपनी कुपोषण का रोना रो रहा है। ऐसा नहीं है की व्यवस्थाएं बदलने के लिए विभागीय स्तर पर कोई पहल नहीं की गई? उसके वावजूद व्यवस्था में कोई सुधार दिखती नजर नहीं आ रही।
बदले गए जिलें के पदाधिकारी
जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की मनमानी की शिकायत और मीडिया में छपी खबरों के बाद विभागीय स्तर पर दशकों से जमे जिले के वरीय अधिकारी को हटाया गया। सूत्र बताते है की जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था में पूर्व के पदाधिकारी की इतनी गोलबंदी थी की कई विभागीय कारवाई जांच के दौर से गुजर रही है।
नए सिविल सर्जन ने पदभार ग्रहण करने के साथ ही अपने स्तर से स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार लाने की कवायद शुरू तो की पर अब तक कोई विशेष प्रतिफल होता दिखाई नहीं दे रहा। जिलों से प्रखंड स्तर तक की स्थिति यही बनी हुई है। उसके वावजूद पूर्व वरीय पदाधिकारी के साथ लाभान्वित होने वाले कर्मी उनके आर्थिक प्रेम को भुला नहीं पा रहे। मिडिया में छपी खबर के वावजूद उन सभी फाइलों को ठंडे बस्ते में डाला जा रहा है।
पूर्व सिविल सर्जन के कई कारनामे को मिल रही सुर्खियां
जिले में चाहे खरीदारी का मामला हो, कर्मियों की प्रतिनियुक्ति का मामला हो, प्राइवेट गाड़ी रखकर सरकारी राशि दुरुपयोग करने का मामला हो, सभी मामले पर खुलासे का इंतजार जारी है। परंतु उससे भी अहम सवाल प्रतिरक्षण, MTC, प्रसव जैसे कार्यो पर स्वास्थ्य उपलब्धि को लगातार गर्त में धकेलने वाले जिम्मेदार पदाधिकारी और कर्मी पर मेहरबानी भी बदस्तूर जारी है। जिसपर अविलंब कारवाई की आवश्यकता है। हाल ही में सिविल सर्जन द्वारा गोविंदपुर प्रभारी को पूछे सवाल पर गोल मटोल जवाब देकर सिविल सर्जन को गुमराह करने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।