सरकार के आदेश को हाईकोर्ट ने किया रद्द...12 साल बाद डिप्टी कलेक्टर पद पर किया नियुक्त, जानें पूरा मामला..

रांची । झारखंड प्रशासनिक सेवा में दो अभ्यर्थी अखिलेश प्रसाद व मनोज कुमार की नियुक्ति की हरी झंडी सरकार ने दे दी है। ये अधिकारी झारखंड लोक सेवा आयोग की परीक्षा में शामिल हुए थे और इसमें उत्तीर्ण हुए। नियुक्ति की अनुशंसा होने के बाद भी इन्हें नियुक्त नहीं किया गया था। इसकी वजह बिहार का मूल निवासी होना था, जिस वजह आरक्षण की अनुमान्यता का लाभ झारखंड में नहीं दिया गया। ऐसे में दोनों अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट की शरण ली जहां उनके पक्ष में आदेश पारित होने के बाद झारखंड सरकार ने उप समाहर्ता पद पर 20 अक्टूबर 2022 की तिथि से नियुक्त किया और प्रशिक्षण के लिए जिला आवंटित कर दिया है। इस संबंध में कार्मिक प्रशासनिक सुधार राजभाषा विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है। दोनों अभ्यर्थी झारखंड में विभिन्न सेवाओं में कार्यरत भी हैं, इसके बाद जेपीएससी की परीक्षा पास की थी।

क्या है मामला

जेपीएससी द्वारा आयोजित द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ सीमित प्रतियोगिता परीक्षा 2010 के आलोक में अखिलेश प्रसाद ने अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के रूप में भाग लिया। प्रतियोगिता परीक्षा में अनुसूचित जनजाति में चयनित एवं नियुक्त उम्मीदवार के प्राप्तांक से अधिक रहने के बाद भी इनका चयन नहीं किया गया। इसके बाद अखिलेश प्रसाद ने उप समाहर्ता के पद पर नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट में दावेदार किया। यह बात सामने आई कि एकीकृत बिहार में बीपीएससी के परीक्षा के माध्यम से अनुसूचित जनजाति गोंड जाति अंतर्गत चयनित होकर 24 जुलाई 1995 को सहकारिता पदाधिकारी के पद नियुक्त हुए। राज्य गठन के बाद वे झारखंड कैडर में आए। मूल रूप से बिहार निवासी होने के कारण अखिलेश प्रसाद को झारखंड में आरक्षण नहीं दिया गया है जिससे जेपीएससी की तीनों परीक्षाओं में नियुक्ति नहीं हुई। अब उन्हें हाईकोर्ट के आदेश के बाद उन्हें अनु जनजाति कोटि में नियुक्त किया गया है और खूंटी जिला में पदस्थापित किया गया है।

यह मामला मनोज कुमार के साथ भी हुआ। ये भी बीपीएससी की परीक्षा पास किए और 1997 को सहकारित विभाग में टंकक के रूप में नियुक्त हुए। झारखंड में अभी ये स्कूली शिक्षा विभाग में प्रशाखा पदाधिकारी के पद पर हैं। मूलनिवासी बिहार के होने के कारण इन्हें भी आरक्षण का लाभ नहीं देने के कारण नियुक्त किया गया था। लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब 12 साल बाद इनकी नियुक्ति की गई।

HPBL Desk
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