महिला IAS के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट: हाईकोर्ट के आदेश पर मचा हड़कंप, शिक्षकों की याचिका पर हाईकोर्ट का बड़ा एक्शन
Arrest warrant against woman IAS: uproar over High Court order, High Court takes big action on teachers' petition

IAS News: हाईकोर्ट ने महिला आईएएस अधिकारी की गिरफ्तारी का वारंट जारी किया है। अवमानना मामले में हाईकोर्ट ने ये सख्त रुख अपनाया है। मामला मध्यप्रदेश का है, जहां हाईकोर्ट ने एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) की कमिश्नर शिल्पा गुप्ता के खिलाफ 10 हजार रुपए का जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
हाईकोर्ट ने 23 मार्च को आईएएस शिल्पा गुप्ता को हाजिर होने के निर्देश भी दिए हैं।दरअसल, हाईकोर्ट ने 23 अक्टूबर 24 को एक आदेश पारित करते हुए आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस प्राथमिक शिक्षकों को उनकी पसंद अनुसार चार सप्ताह में ट्राइबल से डीपीआई में पोस्टिंग देने के आदेश दिए थे।
लोक शिक्षण संचालनालय की कमिश्नर हाईकोर्ट का नोटिस तामील होने के बावजूद भी हाजिर नहीं हुई, जिस पर कोर्ट ने अवमानना की कार्रवाई की है। आवेदक की ओर से कहा गया कि अनावेदक के खिलाफ कई अवमानना याचिकाएं लंबित हैं, लेकिन किसी भी प्रकरण में उनकी ओर से कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया जाता। मामले को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने डीपीआई कमिश्नर शिल्पा गुप्ता के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर उन्हें 23 मार्च को उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं।
अभ्यार्थियों ने दायर की हैं याचिकाएं
दरअसल, यह मामले हरिओम यादव सहित करीब पचास अभ्यार्थियों की ओर से याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ताओं के वकील की रामेश्वर पी सिंह और शिवांशु कोल ने बताया कि आवेदक सहित पचास से अधिक शिक्षकों को मेरिट के आधार पर अनारक्षित वर्ग में ट्रायबल वेलफेयर स्कूल में की गईं पदस्थपना को कोर्ट ने अवैधानिक माना था और उनकी पहली पसंद के अनुसार याचिकार्ताओं के वर्ग में DPI के स्कूल में चार हफ्ते में पदस्थापना करने के लिए कमिश्नर DPI को निर्देशित किया था।
3 मार्च को भी मौजूद नहीं हुईं DPI कमिश्नर
निर्धारित समयावधि बीत जाने के बाद भी कमिश्नर डीपीआई ने आदेश को तवज्जो नहीं दी। जिस पर कई अभ्यार्थियों की ओर से अवमानना याचिकाएं दायर की गई। याचिकाकर्ता की ओर से दायर मामले में कोर्ट ने 10 फरवरी 2025 को डीपीआई कमिश्नर शिल्पा गुप्ता को नोटिस जारी कर 3 मार्च के पूर्व जवाब तलब किया था। आवेदक की ओर से दलील दी गई कि नोटिस की तामीली के बावजूद भी अनावेदक की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है और ना ही महाधिवक्ता कार्यालय से संपर्क किया।