झारखंड: अखबारों के विज्ञापन पर हेमंत सरकार पर उठे सवाल, बाबूलाल मरांडी ने पूछा, ये सरकार है कि चंदा एजेंसी ?

Jharkhand: Questions raised on Hemant government over newspaper advertisements, Babulal Marandi asked, is this a government or a donation agency?

रांची। नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ चार्जशीट दायर होने के बाद से ही राजनीति गरम है। मंगलवार को कांग्रेस ने ED दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया था, तो वहीं भाजपा इस मुद्दे पर कांग्रेस पर जमकर निशाना साध रही है। नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने प्रेस कांफ्रेंस कर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा है। वहीं हेमंत सरकार पर कांग्रेस केंद्रित अखबारों को फर्जी तरीके से विज्ञापन देने का आरोप लगाया है।

 

गांधी परिवार पर घोटाले का आरोप 

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि 1937 में एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) का गठन किया गया और इसके ज़रिए ‘नेशनल हेराल्ड’ अखबार का प्रकाशन होता था। इसमें करीब 5000 स्वतंत्रता सेनानी शेयरधारक थे। AJL के पास देशभर में विभिन्न शहरों में हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति थी। 2010 में ‘यंग इंडियन’ कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 76% हिस्सेदारी थी। इसके बाद 90 करोड़ रुपए में AJL के 99% शेयर में यंग इंडियन को बेच दी गई। नेशनल हेराल्ड प्रकरण में गांधी परिवार ने हज़ारों करोड़ रुपये के घोटाले को अंजाम दिया है।

 

हेमंत सरकार पर फर्जी तरीके से विज्ञापन देने का आरोप 

बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि “झारखंड के युवा बेरोज़गार हैं, गांवों में स्कूल जर्जर हैं और हेमंत सरकार ग़लत तरीक़े से फ़र्ज़ीवाड़ा कर पैसे उस अखबार को दे रही है जो कांग्रेस का मुखपत्र है।” उन्होंने कहा कि ये विज्ञापन नहीं, कांग्रेस को ‘इंस्टॉलमेंट’ है… “हेमंत सोरेन की सरकार ने नेशनल हेराल्ड ग्रुप के दो साप्ताहिक अख़बारों — नेशनल हेराल्ड ऑन संडे और नवजीवन — को करोड़ों के सरकारी विज्ञापन दिए, और वो भी उन कार्यक्रमों के लिए जो पहले ही खत्म हो चुके थे।”

 

हेमंत सोरेन से मांगा हिसाब 

बाबूलाल मरांडी ने निशाना साधते हुए कहा कि “हेमंत सोरेन जनता को बताएं… किसकी सलाह पर उन्होंने ये ‘विज्ञापन स्कीम’ शुरू की, किसके इशारे पर राज्य का पैसा कांग्रेस को भेजा जा रहा है? “मैं पूछता हूँ… कितने लाख रुपये इन फर्ज़ी विज्ञापनों में झोंक दिए गए? क्या वो पैसा किसानों को राहत देने में नहीं लग सकता था? क्या छात्रों की स्कॉलरशिप में नहीं जुड़ सकता था?” “इस पूरे खेल का मकसद है — राज्य का पैसा कांग्रेस के खजाने तक पहुंचाना। ये सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं, ये जनता से विश्वासघात है।” “झारखंड के खून पसीने का पैसा हर हफ्ते कांग्रेस को क्यों भेजा जा रहा है – ये सरकार है या चंदा एजेंसी?”

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