भाई दूज आज या कल, जानें शुभ मुहूर्त , क्यों मनाया जाता है भाई दूज.. इसके पीछे क्या है मान्यता जानें इससे जुड़ा सच
धर्म न्यूज़। हिंदू पंचांग के अनुसार भाई दूज का त्योहार हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इसका दूसरा नाम यम द्वितीया या भर्त्री तृतीया भी है। दीपावली के 2 दिन बाद भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। इस पर्व के साथ ही 5 दिनों का दीपावाली त्योहार का समापन हो जाता है। इस साल भाई दूज की तारीख को लेकर कन्फ्यूज्ड हैं। कुछ लोग 26 अक्टूबर को तो कुछ 27 अक्टूबर को मना रहे हैं। आइए जानते हैं भाई दूज की सही तारीख क्या है ... और इसके पीछे की मान्यता ....
भाई दूज मनाने का शुभ मुहूर्त
इस साल भाईदूज 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा। 27 अक्टूबर को भाई दूज के साथ दिवाली पर्व का समापन हो जाएगा। द्वितीया तिथि 26 अक्टूबर को दोपहर 2:43 मिनट से शुरू होकर 27 अक्टूबर को 12:45 मिनट तक रहेगी। इस दिन आप राहुकाल को छोड़कर कभी भी भाई को टीक कर सकती हैं। राहुकाल का समय दोपहर 1:30 से दोपहर 3:00 बजे तक होगा।
क्यों मनाया जाता है भाई दूज
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव और उसकी पत्नी छाया की दो संतानें थी- यमराज और यमुना। दोनों में बहुत प्रेम था। बहन यमुना हमेशा चाहती थी कि यमराज उनके घर भोजन करने आया करें। लेकिन यमराज उनकी विनती को टाल देते थे। एक बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर दोपहर में यमराज उनके घर पहुंचे। यमुना अपने घर में भाई को देख कर बहुत खुश हुई। इसके बाद यमुना ने मन से भाई यमराज को भोजन करवाया । बहन का स्नेह देखकर यमदेव ने उसे वरदान मांगने को कहा। इस पर उन्होंने यमराज से वचन मांगा कि वह हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भोजन करने आए, साथ ही मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई का आदर सत्कार के साथ टीका करें उनमें यमराज का भय ना हो। तब से यह परंपरा चली आ रही है इसलिए भाई दूज वाले दिन यमराज और यमूना की पूजा की जाती है।
तिलक का महत्व
प्राचीन काल से यह परंपरा चली आ रही है कि भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, सुख समृद्धि के लिए तिलक लगाती है। कहते हैं कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन जो बहन अपने भाई के माथे पर कुमकुम का तिलक लगाती है उनके भाई को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार भाई दूज के दिन जो भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाता है और भोजन करता है उसकी अकाल मृत्यु नही होती।