संविदा महिलाकर्मी की बर्खास्तगी पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, नौकरी पर बहाली के साथ-साथ 50 हजार भुगतान का भी आदेश, मातृत्व अवकाश के आवेदन पर किया था बर्खास्त

नई दिल्ली। संविदा महिला कर्मचारी की बर्खास्तगी मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन देने पर विभाग ने संविदा पर काम करने वाली महिला को बर्खास्त कर दिया था। पूरा मामला दिल्ली यूनिवर्सिटी का है, जहां कार्यरत महिला कर्मी को इसी साल जनवरी में बर्खास्त कर दिया गया था।
विश्वविद्यालय प्रबंधन की तरफ से बर्खास्तगी के फैसले को महिला कर्मचारी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह की पीठ ने कहा कि किसी महिला कर्मचारी को मातृत्व लाभ देने से केवल इसलिए इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि उसके रोजगार की प्रकृति संविदा की है। अदालत ने उक्त टिप्पणी महिला कर्मचारी की याचिका पर की।

हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय की तरफ से बर्खास्तगी के फैसले पर गंभीर सवाल खड़े किये। हाईकोर्ट ने कहा कि मातृत्व लाभ से इनकार करना अमानवीय और महिला के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। महिला की याचिका पर अहम निर्णय पारित करते हुए अदालत ने कहा कि मातृत्व अधिकार कोई कानून पर आधारित नहीं हैं बल्कि यह एक महिला की पहचान का अभिन्न अंग हैं। मातृत्व लाभ देने से इनकार करना वास्तव में सामाजिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है।

महिला ने अपनी याचिका में कहा था कि उनके संविदा अवधि को दो जुलाई 2022 से 31 दिसंबर 2022 तक के लिए नवीनीकृत किया गया था। महिला ने पांच मई से चार नवंबर तक मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया था। हालांकि, डीयू ने न सिर्फ मातृत्व लाभ की अवधि के दौरान उनका वेतन नहीं दिया, बल्कि अचानक बर्खास्तगी भी कर दी। महिला ने ब्याज सहित छह महीने के वेतन के साथ बहाली की मांग की थी।

हाईकोर्ट ने महिला की याचिका स्वीकार करते हुए अदालत ने डीयू को याचिकाकर्ता को उसकी योग्यता के अनुसार उसके पिछले पद या किसी अन्य पद पर बहाल करने का निर्देश दिया। साथ ही महिला को मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 के अनुसार मातृत्व लाभ का भुगतान करने का भी निर्देश दिया।

यही नहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के "नो वर्क नो पे" के सिद्धांत को लागू करने पर अदालत ने कहा कि महिला कर्मी को अवैध रूप से बर्खास्त किया गया है, ऐसे में डीयू महिला कर्मी को मुआवजा के रूप में 50 हजार रुपये की राशि का भुगतान करे। अदालत ने नोट किया कि चार जनवरी 2022 को दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि संविदा आधार पर डीयू में कार्यरत महिलाओं को मातृत्व अवकाश पर 26 सप्ताह का भुगतान दिया जाना चाहिए।

HPBL Desk
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