बड़ी खबर- 8 लाख शिक्षकों के पद खाली: 1 लाख से ज्यादा स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक, राज्यों को भेजा गया शिक्षकों की भर्ती करने का पत्र …

Big news- 8 lakh teacher posts vacant: More than 1 lakh schools have only one teacher, letter sent to states to recruit teachers...

School Teacher News : एक तरफ देश नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) लागू करने की तैयारी कर रहा है, दूसरी तरफ स्कूलों में शिक्षक ही नहीं है। आंकड़े बताते हैं कि देश के 1 लाख से ज्यादा स्कूलों में सिर्फ एक ही शिक्षक पदस्थ है। ऐसे में शिक्षकों की कमी राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों के लिए बड़ी चुनौती बन गये हैं।

 

8 लाख शिक्षकों के पद हैं खाली 

स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। शिक्षा मंत्रालय की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, देश में लगभग 8 लाख शिक्षकों के पद अब भी रिक्त हैं। शिक्षा मंत्रालय द्वारा संसद में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, देश में कुल शिक्षकों की संख्या लगभग 98 लाख है, लेकिन इनमें से 8 लाख पद खाली पड़े हैं।

 

सबसे अधिक रिक्त पद बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में हैं। मंत्रालय ने इस स्थिति पर चिंता जताते हुए राज्यों को पत्र लिखा है, जिसमें शिक्षकों की भर्ती को प्राथमिकता देने और समय से पहले नियोजन की रणनीति अपनाने की सलाह दी गई है।

 

1 लाख स्कूल 1 शिक्षक भरोसे

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश के 1 लाख से अधिक प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं, जो केवल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। यह स्थिति शिक्षा व्यवस्था की गंभीर खामियों की ओर इशारा करती है। आंध्र प्रदेश की स्थिति सबसे चिंताजनक है, जहां 12,543 स्कूलों में केवल एक ही शिक्षक पदस्थ हैं। इसके बाद मध्य प्रदेश (11,035), झारखंड (8,294), कर्नाटक (7,477), राजस्थान (7,673), छत्तीसगढ़ (5,520), और उत्तर प्रदेश (4,572) स्कूलों में भी यही हाल है।

 

शिक्षकों की भर्ती के लिए भेजा गया पत्र 

शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि शिक्षकों के पदों का खाली होना एक सतत प्रक्रिया है, लेकिन यदि तीन-तीन महीने की अवधि में सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों की जानकारी एकत्र कर समय रहते नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाए, तो संकट को टाला जा सकता है। मंत्रालय ने राज्यों को यह भी सुझाव दिया है कि आगामी शैक्षणिक सत्रों से पहले रिक्तियों की स्थिति का आंकलन कर भर्ती प्रक्रिया को तेज किया जाए।

 

हालांकि, बीते वर्षों के मुकाबले कुछ सुधार जरूर देखने को मिला है, लेकिन यह सुधार अभी भी अपर्याप्त है। एनईपी के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जरूरी है कि देश के सभी स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। शिक्षा की गुणवत्ता तभी सुधरेगी जब शिक्षकों की संख्या और उनकी योग्यता दोनों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

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