बड़ी खबर: भाई की जगह नहीं मिल सकती अनुकंपा नियुक्ति, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, "बहन नहीं है परिवार का हिस्सा"
बैंग्लोर। बहन को विवाहित भाई की मृत्यु पर अनुकंपा नियुक्ति (Compassionate Appointment) नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने साफ किया है कि बहन शादीशुदा भाई के परिवार का हिस्सा नहीं है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने माना कि सिविल सेवा (अनुकंपा के आधार) नियम, 1999 के तहत एक बहन को ‘परिवार’ की परिभाषा में शामिल नहीं किया है। बैंगलोर बिजली आपूर्ति कंपनी (बेस्कॉम) में जूनियर लाइन मैन के रूप में कार्यरत भाई की मौत पर बहन ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए याचिका दायर की थी।
चीफ जस्टिस प्रसन्ना बी वराले और जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की खंडपीठ ने कर्नाटक सिविल सेवा (अनुकंपा आधार पर नियुक्ति) नियम, 1996 के नियम 2(1)(बी) का उल्लेख किया, जो यह निर्धारित करता है कि इन नियमों के प्रयोजन के लिए 'परिवार' - (i) मृत पुरुष विवाहित सरकारी कर्मचारी के मामले में उसकी विधवा, बेटा और बेटी (अविवाहित/विवाहित/तलाकशुदा/विधवा) जो उस पर निर्भर थे और उसके साथ रह रहे थे।"
कर्नाटक हाई कोर्ट ने बहन की दलील को ये कहते हुए खारिज कर दिया कि बहन अपने भाई के ‘परिवार’ की परिभाषा में शामिल नहीं है। मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी. वराले और न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित की पीठ तुमकुरु निवासी 29 वर्षीय पल्लवी जीएम द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने कहा, “व्याख्या की प्रक्रिया के माध्यम से अदालत किसी वैधानिक परिभाषा की रूपरेखा का विस्तार नहीं कर सकती हैं।
जब नियम निर्माता ने इतने सारे शब्दों में व्यक्तियों को किसी कर्मचारी के परिवार के सदस्यों के रूप में निर्दिष्ट किया है, तो हम परिवार की परिभाषा में एक को जोड़ नहीं सकते हैं या किसी को हटा नहीं सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि नियम 2(1) (बी) में कहा गया है कि किसी सरकारी सेवा में रहे मृत पुरुष के मामले में उसकी विधवा, बेटा या बेटी, जो आश्रित हैं और साथ रह रहे हैं, को ही परिवार का सदस्य माना जाएगा।
हाई कोर्ट ने कहा कि मामले में रिकॉर्ड पर ऐसी कोई सामग्री पेश नहीं की गई, जिससे यह स्थापित होता हो कि अपीलकर्ता अपने भाई की आय पर निर्भर थी और न ही मृतक के परिवार के वित्तीय संकट में होने के कोई सबूत दिए गए, जो उसके दावे को उचित ठहरा सके। इनको देखते हुए ही परिवार के सदस्यों पर भी विचार किया गया।