ब्रेकिंग : अगले गणतंत्र दिवस की परेड में कर्तव्य पथ पर सिर्फ महिलाओं की होगी भागीदारी, रक्षा मंत्रालय का आदेश….

नई दिल्ली । देश भर में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के ख्याल से रक्षा मंत्रालय ने अहम फैसला लिया है।इस संबंध में रक्षा मंत्रालय ने सभी सेक्टर को पत्र लिखा है। विभिन्न सेक्टरों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार ने तय किया है कि कर्तव्य पथ पर होने वाले गणतंत्र दिवस परेड में मार्च पास्ट, झाकिंयां और परफॉर्मेस में सिर्फ महिलाएं शामिल होंगी। रक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में सैन्य बलों तथा परेड में शामिल होने वाले अन्य सरकारी विभागों को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि मार्च पास्ट करने वाले दस्ते और उनके साथ जुड़े बैंड तथा झांकियों में सिर्फ महिला प्रतिभागी होंगी।

मालूम हो कि सशस्त्र बलों ने लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं को कमान की भूमिका सौंपने, भविष्य की नेतृत्वकारी भूमिकाओं के लिए तैयार करने और आर्टिलरी रेजीमेंट में शामिल करने जैसे कई उपाय सरकार द्वारा किए गए हैं। इस कड़ी में और अधिक भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार पत्र लिखकर अमल करने जा आदेश दिया है।

क्या है पत्र में

पत्र में कहा गया है कि विस्तृत विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया है कि कर्तव्य पथ पर परेड में शामिल होने वाली टुकड़ियों (मार्चिग और बैंड), झांकी और अन्य प्रदर्शनों में केवल महिला प्रतिभागी होंगी। सभी भाग लेने वाले मंत्रालयों, विभागों और संगठनों को भी इसके लिए तैयारियां शुरू करने और इस दिशा में प्रगति के बारे में समय-समय पर रक्षा मंत्रालय को बताने के लिए कहा गया है।

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सरकार के आदेश से विभाग की बढ़ेगी परेशानी

कुछ वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि सरकार वही करेगी जो व्यावहारिक है और फिलहाल सभी माचिर्ंग और बैंड दस्तों में केवल महिला प्रतिभागियों का होना मुश्किल है। अब तक गणतंत्र दिवस परेड में पैदल सेना के माचिर्ंग दस्ते में जवानों की संख्या सबसे अधिक होती है। अधिकारियों का तर्क है कि अभी तक पैदल सेना में महिलाओं को शामिल नहीं किया गया है। उनका कहना है कि माचिर्ंग टुकड़ियों का नेतृत्व करने वाले अधिकारियों में अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मी (पीबीओआर) होते हैं और सेना में पीबीओआर की महिला कर्मी केवल सैन्य पुलिस कोर में होती हैं।

महिलाओं की भागीदारी में हुई है बढ़ोतरी

ऐसा नहीं है कि महिलाओं का बल में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है या वे हाशिए पर हैं। उन्हें तीनों सेवाओं में पुरुषों के बराबर भूमिकाएँ सौंपी जा रही हैं – वे लड़ाकू विमान उड़ाती हैं, युद्धपोतों पर काम करती हैं, उन्हें पीबीओआर कैडर में शामिल किया जाता है, स्थायी कमीशन के लिए पात्र हैं, उन्हें कमांड भूमिकाएँ सौंपी जाती हैं, और साथ ही महिला अधिकारी राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। इसके बावजूद इन्फैंट्री, टैंक और कॉम्बैट पोजिशन में अभी भी महिलाओं की उतनी भागीदारी नहीं है।

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