रामगढ़ के रण में भाई-भाई : भाभी की विरासत संभालने दो भाई आमने-सामने, पार्टी परेशान, किसे कहें, हां और किसे ना
रामगढ़। रामगढ़ का राजा कौन बनेगा? चुनाव में हार-जीत के पहले ही टिकट को लेकर ही घमासान मचा है। रामगढ़ की जंग में भाई ने ही भाई के खिलाफ ताल ठोंक दी है। ऐसे में कांग्रेस अजीब पसोपेश में हैं कि टिकट दिया जाये तो किसे दिया जाये। पार्टी का एक फैसला बागी बोल को बुलंद कर सकता है, ऐसे में पार्टी इस मसले पर काफी संजीदगी से विचार कर रही है।
एक तरफ कांग्रेस से पूर्व विधायक ममता देवी के पति बजरंग महतो हैं, दो दूसरी तरफ बजरंग महतो के भाई अमित महतो ने ताल ठोंक दी है। रांची में कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में ममता देवी के पति शामिल हुए। कई नेताओं से मुलाकात की। रामगढ़ उप-चुनाव को लेकर प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय से सवाल भी किए गये उन्होंने कहा पार्टी इस पर विचार करेगी लेकिन चर्चा तेज थी इस चुनाव में बजरंग महतो ही पार्टी का चेहरा होंगे।
इधर, बजरंग महतो के छोटे भाई अमित महतो ने भी दावेदारी कर दी है। अमित महतो ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर से मुलाकात की। अमित महतो ने मांग की है कि रामगढ़ चुनाव में पार्टी उन्हें चेहरा बनाये। दावा यह भी कि उनकी बनाई जमीन पर चल कर ममता देवी ने पहले जिला परिषद फिर विधायक के पद का रास्ता तय किया है।
बजरंग महतो के छोटे भाई अमित महतो के इस दावे और दावेदारी ने कांग्रेस के लिए नयी समस्या खड़ी कर दी।अब पार्टी उम्मीदवार के ऐलान में वक्त ले रही है। दो भाईयों के बीच के विवाद को सुलझाने के बाद ही पार्टी खुलकर चुनावी मैदान में आ सकती है।अब भाई-भाई की दावेदारी से पार्टी उलझन में है। बजरंग महतो कहते हैं कि उनका भाई उनके परिवार से अलग रहता है।
उनके विरोधियों ने यह साजिश रची है ताकि चुनाव में जीत हासिल कर सके। भाई को भड़काया गया है। दूसरी तरफ अमित महतो इस बात पर अड़े हैं कि इस चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार वही होंगे। उन्होंने दावा किया है कि मैं चुनाव अवश्य लड़ूंगा। अमित महतो जिस तरह बयान दे रहे हैं उससे यह साफ लग रहा है कि पार्टी अगर उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाती वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। कई मंचों पर उन्होंने यह साफ कहा है।