झारखंड में CBI: 60 लाख से ज्यादा कैश, 1 किलो सोना… जानिये छापेमारी में अब तक क्या-क्या मिले, आज भी हो सकती है कार्रवाई

CBI in Jharkhand: More than 60 lakh cash, 1 kg gold... Know what all has been found in the raid so far, action can be taken even today

CBI Raid । अवैध पत्थर खनन मामले में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत जांच कर रही सीबीआई की टीम की कार्रवाई जारी है। मामले में तीन राज्यों के 20 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी हुई है।

यह छापेमारी बरहेट विधानसभा क्षेत्र के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा, नेताओं व नौकरशाहों के करीबी प्रेम प्रकाश आदि से जुड़े ठिकानों पर हुई है। साहिबगंज में 1250 करोड़ रुपये के खनन घोटाले को लेकर ये कार्रवाई हो रही है।

जानकारी के मुताबिक पटना के एक, कोलकाता के दो, साहिबगंज के 13, रांची के तीन व गुमला के एक ठिकाने शामिल हैं। इस छापेमारी में सीबीआइ ने लगभग 60 लाख रुपये नकदी, एक किलोग्राम सोना, 1.2 किलोग्राम सोना-चांदी के गहने, 61 कारतूस व चल-अचल संपत्ति से संबंधित भारी मात्रा में दस्तावेज, शेल कंपनियों में निवेश से संबंधित कागजात आदि जब्त किया है।

सूत्रों के मुताबिक इनमें पंकज मिश्रा के सहयोगी भगवान भगत के ठिकाने से सीबीआइ ने एक किलोग्राम सोना व 61 कारतूस जब्त किया है। वहीं, दूसरे सहयोगी साहिबगंज के मिर्जा चौकी निवासी रंजन वर्मा के ठिकाने से 47 लाख रुपये नकदी मिले हैं। देर रात तक सीबीआई की छापेमारी जारी रही।

अवैध खनन और ट्रांसपोर्टिंग से जुड़े मामले में साहिबगंज के पूर्व डीएमओ विभूति कुमार के रांची के हिनू स्थित आवास पर सीबीआई की छापेमारी हुई. छापेमारी में कई अहम दस्तावेज और संपत्ति से संबंधित जानकारी मिली है.

बता दें कि डीएमओ विभूति कुमार पहले भी ईडी के रडार पर आ चुके हैं. उनके खिलाफ ईडी को कई अहम साक्ष्य मिले थे. अब एक बार फिर विभूति कुमार सीबीआई के रडार पर आ चुके है।

सीबीआई की रांची शाखा द्वारा पिछले साल 20 नवंबर को दर्ज प्राथमिकी में सोरेन के कथित राजनीतिक सहयोगी पंकज मिश्रा, पवित्र कुमार यादव, राजेश यादव, संजय कुमार यादव, बच्चू यादव, संजय यादव और सुवेश मंडल को नामजद किया है।

केंद्रीय एजेंसी के मुताबिक ये आरोपी कथित तौर पर साहिबगंज के नींबू पहाड़ से पत्थर की ‘चोरी और अवैध खनन’ में शामिल हैं। झारखंड उच्च न्यायालय ने सीबीआई को साहिबगंज पुलिस द्वारा नामजद आरोपियों के आचरण के साथ ही याचिकाकर्ता बिजय हंसदा के आचरण की भी प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया था, जिन्होंने रिट याचिका वापस लेने का अनुरोध किया था।

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