माहेश्वरी परिवार हत्याकांड की जांच अब CBI करेगी, हाईकोर्ट ने दिया जांच का आदेश, जानिये 5 साल पहले की मर्डर मिस्ट्री
रांची। हजारीबाग के चर्चित सामूहिक मौत मामले की जांच अब CBI करेंगी। हाईकोर्ट ने दायर याचिका पर ये आदेश दिया है। दरअसल 14 जुलाई 2018 को खजांची तालाब के पास शुभम अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 303 से महेश्वरी परिवार के छह सदस्यों का शव बरामद हुआ था। इस मामले की CID जांच की गयी थी, लेकिन इस रिपोर्ट पर मृतक के भाई ने सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की और मामले की CBI जांच का अनुरोध किया। जिस पर हाईकोर्ट ने जांच के आदेश CBI को दिये हैं।
प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने अदालत को बताया कि हजारीबाग के एक फ्लैट में 14 जुलाई 2018 को माहेश्वरी परिवार के छह लोगों का शव बरामद हुआ था।सीआईडी ने मई 2023 में इस मामले की जांच करते हुए चार्जशीट दायर की थी, जिसमें जिक्र किया है कि ड्राइ फ्रूट व्यवसायी नरेश महेश्वरी ने ही परिवार के पांच सदस्यों की हत्या कर दी थी। रघुवर सरकार ने सीआईडी को जांच का जिम्मा सौंपा था।
इसमें परिवार के मुखिया महावीर अग्रवाल, पत्नी किरण अग्रवाल, उनका बेटा नरेश माहेश्वरी, बहू प्रीति अग्रवाल, पोता अमन अग्रवाल और पोती अन्वी अग्रवाल शामिल थी। महावीर अग्रवाल और किरण अग्रवाल का शव फंदे से लटका हुआ था, लेकिन दोनों का पैर बेड पर मुड़ा हुआ था। बेड पर कोई सिलवट भी नहीं थी। नरेश अग्रवाल का शव अपार्टमेंट के बाहर नीचे गिरा पड़ा था, लेकिन वहां एक बूंद खून भी नहीं मिला था। बेटे का गला रेता गया था, उक्त हथियार भी बरामद नहीं हुआ था। घर से छह सुसाइड नोट मिले थे। सभी नोट अलग-अलग रंग के पेन से लिखे गए थे।
सीआईडी की जांच रिपोर्ट के मुताबिक महेश्वरी परिवार कर्ज के बोझ में दबा था. इसी वजह से इस घटना को अंजाम दिया गया। इस मामले में संदिग्ध उमेश साहू के नाम से एक पावर ऑफ अटर्नी के दस्तावेज मिले, जिसमें कहा गया है कि नरेश परिवार को कुछ होने पर दोनों फ्लैट उनका हो जाएगा। अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने कहा कि उमेश साहू उस दौरान सत्ता का नजदीकी था। CID ने पूरे मामले की जांच लीपापोती की है, इसलिए मामले की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए। जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।