झारखंड : संथाल की धरती से चंपाई सोरेन करेंगे उलगुलान, बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर होगा सरकार पर वार !

झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया लेकिन फिर भी जनता का दिल नहीं जीत सकी. भाजपा झारखंड में मिली हार के बावजूद भी बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ लड़ाई जारी रखना चाहती है और अब चंपाई सोरेन इसे लेकर संथाल में यात्रा करने की तैयारी में हैं.

झारखंड में बीजेपी बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को फिर से उछाल रही है.बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन 22 दिसंबर से संताल परगना में यात्रा शुरू करेंगे। इस यात्रा के जरिए बीजेपी आदिवासियों की पहचान को खतरा बताकर जेएमएम को चुनौती देना चाहती है.चंपाई सोरेन संतालों को बताएंगे कि उनकी पहचान खत्म हो रही है. भोगनाडीह से शुरू होने वाली इस यात्रा के जरिए बीजेपी अपनी राजनीति को आगे बढ़ाना चाहती है.

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में करारी शिकस्त खाने के बाद अब एक बार फिर भाजपा ने झामुमो के गढ़ संथाल में जनाधार बढ़ाने का ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है. संथाल में झारखंड मुक्ति मोर्चा को कमजोर करने के लिए भाजपा ने बांग्लादेशी घुसपैठ का एजेंडा जनता के सामने रखा, जिसमें आदिवासियों के अस्तित्व पर मंडराते खतरे की बात कही गई. इस काम की जिम्मेदारी पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को दी गई ताकि वह संथाली समाज को जागरूक करने के प्रयास कर सकें. चंपाई सोरेन 22 दिसंबर से अमर शहीद सिदो कान्हू की शहादत स्थल से यात्रा शुरू करेंगे.

पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन 22 दिसंबर को भोगनाडीह से अपनी यात्रा शुरू करेंगे। यह दिन संताल स्थापना दिवस भी है। इस यात्रा के दौरान चंपाई सोरेन संथालों को समझाएंगे कि उनकी पहचान खत्म की जा रही है। बीजेपी का मानना है कि बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से आदिवासियों का अस्तित्व खतरे में है। इस मुद्दे को लेकर बीजेपी राज्य में अपनी राजनीति को मजबूत करना चाहती है। विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा भले ही ज़ोर-शोर से न उठा हो, लेकिन बीजेपी इसे आगे के लिए बड़ा मुद्दा बनाना चाहती है.

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22 दिसंबर, संथाल परगना स्थापना दिवस के दिन अमर शहीद सिदो कान्हू की शहादत स्थली भोगनाडीह से जागरूकता यात्रा शुरू करने की घोषणा करते हुए चंपाई सोरेन ने कहा कि न सिर्फ संथाल बल्कि कोल्हान और राज्य के कई इलाकों में आदिवासियों की पहचान और उनकी अस्मिता खतरे में है. सरायकेला के गोपाली बांधगोड़ा का जिक्र करते हुए भाजपा विधायक चंपाई सोरेन कहा कि वहां पर पहले 150 परिवार आदिवासियों के और 200 महतो परिवार के रहते थे, मगर आज वहां आदिवासी परिवार खोजे से भी नहीं मिलेगा. सवाल यह है कि वहां से सब आदिवासी परिवार कहां चले गए.

चंपाई सोरेन इस यात्रा के दौरान संथाली समाज को यह बताएंगे कि कैसे उनकी पहचान को समाप्त किया जा रहा है. कैसे उनकी जीवन पद्धति और अस्मिता पर हमला बोला जा रहा है और अगर अभी भी नहीं जागे तो आगे क्या क्या हो सकता है, यह हम जनता को आगे बताएंगे.

वहीं 22 दिसंबर से चंपाई सोरेन की प्रस्तावित संथाल यात्रा पर तंज कसते हुए झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि दरअसल भाजपा में जाते ही चंपाई सोरेन की राजनीतिक पहचान खतरे में पड़ गयी है. विधानसभा चुनाव में आदिवासी बाहुल्य इलाकों में वह खुद पिछड़ गए हैं. झामुमो उनके मजबूत किले को गिरा चुका है. इसलिए चंपाई सोरेन को आदिवासियों को छोड़ अपनी चिंता करनी चाहिए. झामुमो प्रवक्ता ने कहा कि संथाल की जनता ने चुनाव के माध्यम से अपनी चिंता करने के लिए हेमंत सोरेन और इंडिया गठबंधन को चुन लिया है, जिसने संथाल की 18 विधानसभा सीट में से 17 सीटें जीती हैं.

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अब 22 दिसंबर से चंपाई की यात्रा का संथाल में कितना असर पड़ता है ये तो समय आने पर ही पता चल पाएगा.

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