संताल परगना में चंपाई सोरेन शुरू करेंगे उलगुलान, निशिकांत दुबे बोले, हम भी आपके साथ, जानिये क्यों अभी से ही भाजपा….

Champai Soren will start Ulgulan in Santal Pargana, Nishikant Dubey said, we are also with you, know why BJP from now itself....

Jharkhand News: झारखंड में NDA अपनी हार को स्वीकार नहीं कर पा रहा है। मुद्दों की लंबी फेहरिस्त के बावजूद जिस तरह से संताल से लेकर मैदानी इलाकों में भाजपा को करारी हार झेलनी पड़ी है, उसने भाजपा को अपनी रणनीति पर विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। संताल में भाजपा पूरी तरह से खारिज कर दी गयी। लिहाजा संताल में अपनी जमीन को तलाशने में भाजपा अभी से ही खुद को तैयार करने में जुट गयी है। चंपाई सोरेन ने ऐलान किया है कि वो संताल परगना में नया अभियान शुरू करेंगे।

 

खुद चंपाई ने सोशल मीडिया में पोस्ट कर कहा है कि जैसा कि हमने पहले भी कहा था, झारखंड में लगातार बढ़ रहे बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ हमारा आंदोलन कोई राजनैतिक या चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि एक सामाजिक अभियान है। हमारा स्पष्ट तौर पर मानना है कि वीरों की इस माटी पर घुसपैठियों को किसी भी प्रकार का संरक्षण नहीं मिलना चाहिए।

 

पाकुड़, साहिबगंज समेत कई जिलों में आदिवासी समाज आज अल्पसंख्यक हो चुका है। अगर हम लोग वहाँ के भूमिपुत्रों की जमीनों और वहाँ रहने वाली बहू-बेटियों की अस्मत की रक्षा ना कर सके, तो…? चुनावी गहमागहमी के बाद, वीर सिदो-कान्हू, चांद-भैरव एवं वीरांगना फूलो-झानो को नमन कर के, बहुत जल्द हम लोग संथाल परगना की वीर भूमि पर अपने अभियान का अगला चरण शुरू करेंगे। सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगी-बिगड़ेंगी मगर हमारा समाज रहना चाहिए, हमारी आदिवासियत बची रहनी चाहिए, अन्यथा कुछ नहीं बचेगा। इस वीर भूमि से फिर एक बार “उलगुलान” होगा। जय आदिवासी ! जय झारखंड !!

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संताल में भाजपा पूरी तरह से फेल 

भाजपा का झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा फुस्स हो गया है। भाजपा 21 सीटों पर सिमट गई है। जो 2019 के मुकाबले 4 सीट कम है। भाजपा की सबसे बड़ी हार एक बार फिर आदिवासी सीटों पर हुई है। 28 आदिवासी रिजर्व सीटों में से पार्टी सिर्फ एक सीट सरायकेला ही जीत पाई है। 2019 में भी पार्टी 2 सीट पर ही जीत पाई थी। हालांकि, तब NDA में ना आजसू थी और ना बाबूलाल मरांडी।चुनावी आंकड़े बताते हैं कि आदिवासियों का भरोसा भाजपा पर अभी तक नहीं लौट पाया है। वह अब भी रघुवर दास के CNT एक्ट में बदलाव की कोशिशों को नहीं भूल पाए हैं। यह घाव चंपाई सोरेन के भाजपा में आने से भी नहीं भरा है।

 

संताल की 18 सीटों में से 17 पर इंडिया गठबंधन को मिली जीत

 

संताल परगना प्रमंडल के छह जिलों के 18 विधानसभा क्षेत्र के चुनाव परिणाम ने चौंका दिया है। इस परिणाम ने स्पष्ट हो गया है कि संताल परगना में दिशोम गुरु शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो के तीर धनुष का जलवा अब भी बरकरार है। वहीं चुनाव में इन 18 विधानसभा क्षेत्रों में से अधिकांश क्षेत्र की जनता ने भाजपा के बंग्लादेशी घुसपैठियें और डेमोग्राफी के मुद्दे को पूरी तरह खारिज कर दिया है और दुमका जिले को छोड़ कर इस प्रमंडल के अन्य पांच जिलों में भाजपा और राजग गठबंधन का खाता तक खुलने नहीं दिया।

 

इस चुनाव में इस क्षेत्र की जनता ने 18 में से इंडिया गठबंधन में शामिल झामुमो, कांग्रेस और राजद को 17 सीटों पर जीत का सेहरा पहना कर अभी तक के सभी पुराने रिकार्ड को पीछे छोड़ दिया है। इसमें अकेले झामुमो ने 11, कांग्रेस ने एक सीट खोने के बावजूद चार और राजद ने दो सीट पर अपना परचम लहरा दिया है। भाजपा अपनी पुरानी चारों सीट गंवाकर मात्र एक नयी सीट जरमुंडी में कमल खिलाने में सफल हो सकी।

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चुनाव आयोग के अब तक के रूझानों पर गौर करें तो राजमहल विधानसभा क्षेत्र से झामुमो के मो ताजुद्दीन ने लगातार दो बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले अनंत ओझा को लगभग 34064 मतों से पीछे छोड़ कर निर्णायक बढ़त बना ली है। जबकि बोरियो में झामुमो के नये योद्धा धनंजय सोरेन मतगणना के अंतिम चक्र तक की गिनती में 19073 मतों से निर्णायक बढ़त हासिल कर पांच बार के विधायक भाजपा के लोबिन हेम्ब्रम को पराजित कर दिया है।

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