Chandra Grahan 2023: चांद को लगा ग्रहण, 130 साल बाद बुद्ध पूर्णिमा पर ग्रहण
रांची: वर्ष 2023 का पहला चंद्रग्रहण आज उपच्छाया चंद्र ग्रहण के रूप में शुरू हो गया है। भारत में इस ग्रहण का कोई असर नहीं होगा। साथ ही इसमें कोई सूतक काल भी माना जाएगा। जानकारों के अनुसार आज शाम करीब 8:44 बजे शुरू हो गया है। यह ग्रहण करीब 4 घंटे 15 मिनट तक चलेगा। हालांकि उपच्छाया चंद्र ग्रहण के चलते यह ग्रहण बहुत स्पष्ट रूप से नहीं दिखेगा और नहीं चंद्रमा का कोई हिस्सा ओझल होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, उपच्छाया चंद्रग्रहण ग्रहण में कोई सूतक काल नहीं होगा इसके बावजूद के बावजूद कई नियम जैसे गर्भवती महिलाओं का बाहर न निकला। ग्रहण के बाद स्नान और पूजा घर को पवित्र करना आदि।
ग्रहण काल में कैसे मिलेगा लाभ?
ग्रहण काल में मंत्र जाप, स्तुति और ध्यान करना विशेष लाभकारी होता है. आप ग्रहण के दौरान 'ओम नमः शिवाय' या चंद्रमा के मंत्र का भी जाप कर सकते हैं. इस अवधि में की गई आराधना निश्चित रूप से स्वीकार होती है. यदि आप कोई मंत्र सिद्ध करना चाहते हैं या दीक्षा लेना चाहते हैं तो वह भी ग्रहण काल में काफी शुभ होता है. ग्रहण के बाद स्नान करके किसी निर्धन को कुछ न कुछ दान अवश्य करें.
130 साल बाद बुद्ध पूर्णिमा पर लग रहा है चंद्र ग्रहण
साल का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई दिन यानी आज लगने वाला है. ज्योतिषाचार्य शैलेंद्र पांडेय के अनुसार, यह ग्रहण तुला राशि और स्वाति नक्षत्र में लगेगा. चंद्र ग्रहण 130 साल बाद बुद्ध पूर्णिमा के महासंयोग में लग रहा है. यह विशिष्ट ग्रहण न होकर एक उपछाया ग्रहण है. क्योंकि साल का पहला चंद्र ग्रहण तुला राशि में ही लग रहा है इसलिए इस राशि के लोगों को सावधान रहने की जरूरत है.
लोगों के जीवन पर चंद्रग्रहण का प्रभाव
यह चंद्र ग्रहण 130 साल बाद बुद्ध पूर्णिमा के महासंयोग में लग रहा है. सूर्य ग्रहण की तरह चंद्र ग्रहण भी हमारे जीवन पर बड़ा प्रभाव डालता है. लेकिन यह उपछाया ग्रहण है इसलिए इससे लोगों के मन या शरीर पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ने वाला है. यानी इस चंद्रग्रहण को लेकर गर्भवती स्त्रियों, छात्रों या किसी भी व्यक्ति को कोई विचार करने की जरूरत नहीं है. यह भारत में दिखाई भी नहीं देगा इसलिए इस दौरान किसी प्रकार के सूतक का भी विचार नहीं करना होगा. भारत के हिसाब से देखा जाए तो 5 मई की रात्रि को 8:44 मिनट से रात करीब एक बजे तक रहेगी इसलिए इसमें मंदिरों या पूजा पाठ में किसी तरह के नियमों का पालन करने की जरूरत नहीं है.