Chandrayaan 3 Launch: आज होगी चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग, जानिये सफल रही लांचिंग, तो क्या कुछ मिल जायेगा, यहां देख सकेंगे सीधा प्रसारण

नयी दिल्ली। Chandrayaan-3 को लेकर इंतजार की घड़ी करीब आ गयी है। गुरुवार से ही लॉन्चिंग का काउंटडाउन शुरू है। चंद्रयान-3 आज दोपहर 2:35 बजे चंद्रमा की ओर उड़ान भरेगा। 615 करोड़ की लागत से तैयार हुआ ये मिशन करीब 50 दिन की यात्रा के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडिंग करेगा। लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड 2 से होगी। इसको चंद्रमा पर भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर का इस्तेमाल किया जा रहा है।

'गेम चेंजर साबित होगा चंद्रयान-3'
नंबी नारायणन ने चंद्रयान-3 को एक संभावित गेम-चेंजर बताया जो पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का काम करेगा. उन्होंने कहा कि तीसरे चंद्र मिशन में उन समस्याओं से बचने की कोशिश की जा रही है जो चंद्रयान-2 के साथ हुई थीं. इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नारायणन ने कहा, "चंद्रयान-3 निश्चित तौर पर भारत के लिए एक गेम चेंजर होगा और मुझे उम्मीद है कि यह सफल होगा. भारत पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा बनेगा. आइए लॉन्च का इंतजार करें और बेस्ट (सबसे अच्छा होने) के लिए प्रार्थना करें."

Chandrayaan-3 मिशन के लैंडर, रोवर और प्रपल्शन मॉड्यूल को ले जाने वाले एलएमवी-3 के लॉन्च को इसरो की वेबसाइट और आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर लाइव स्ट्रीम किया जाएगा। 14जुलाई को आप यहां चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग को लाइव देखकर गौरवांवित कर देने वाले पल के साक्षी बन सकते हैं। चंद्रयान-3 के 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है।

बता दें कि इसरो का ये तीसरा चंद्र मिशन है। चंद्रयान-1 को साल 2008 में सफलतापूर्वक लॉन्च किया था, तब इसरो ने चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं की खोज की थी। इसके बाद साल 2019 में चंद्रयान-2 सितंबर, 2019 में चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के अंतिम क्षणों में हार्ड क्रैश कर गया था। चंद्रयान की नाकामयाबी से मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों को भी काफी निराशा हुई थी। चंद्रयान-3 मिशन, चंद्रयान-2 का फॉलोअप है. चंद्रयान-2 मिशन जिन वजहों से कामयाब नहीं हो सका, उन वजहों को बारीकी से अध्यसयन करने के बाद चंद्रयान 3 को कई स्तंर पर अपग्रेड किया गया है, ताकि इस बार मिशन की सफलता को सुनिश्चित किया जा सके।

सफल ‘चंद्रयान-3’ मिशन अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा बढ़ावा होगा. ‘चंद्रयान-2’ चंद्रमा पर उतरने में कामयाब रहा था, लेकिन कुछ सॉफ्टवेयर और यांत्रिक समस्याओं के कारण ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में विफल रहा. नारायणन ने कहा कि अब अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने इसके हर पहलू पर चार साल तक काम किया है और उन्हें ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि किसी देश के आगे बढ़ने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित तकनीक आवश्यक है. नारायणन ने कहा कि इसरो अपने महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अभियानों के लिए न्यूनतम राशि उपयोग करने के लिए जाना जाता है.
पूर्व वैज्ञानिक ने कहा, ‘‘अन्य देशों की तुलना में, ऐसे अभियानों पर हमारा खर्च बहुत कम है.’’ नारायणन ने कहा, ‘‘मिशन की सफलता जानने के लिए हमें 23 या 24 अगस्त तक इंतजार करना होगा क्योंकि ‘लैंडिंग’ उन्हीं तारीखों पर होगी.’’

HPBL Desk
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