शपथ-पत्र के बावजूद निर्माण अधूरा, बिल्डर की वादाखिलाफी

रायपुर। बिल्डर्स RERA द्वारा जारी आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं। आवेदकों के पक्ष में निर्णय आने के बावजूद, उन्हें अन्याय का सामना करना पड़ रहा है। घर की उम्मीद में बैंक से लोन लेने वाले लोग अभी भी बेघर हैं। राजधानी में बिल्डर्स RERA के निर्देशों की अनदेखी कर अपनी मनमानी कर रहे हैं। RERA ने 2,700 से अधिक मामलों में से 1,952 मामलों में आदेश जारी किए हैं, फिर भी 321 मामलों में आवेदकों को फिर से अपील करनी पड़ी है। बिल्डर्स ने RERA के आदेशों की अनदेखी करना ही बेहतर समझा है।

बता दें कि, RERA के तहत दर्ज मामला एक लंबी प्रक्रिया के अधीन है, जिसके दौरान RERA कोर्ट में सुनवाई होती है। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुनाया जाता है। जरूरत पड़ने पर RERA अपने अधीन निर्माण एजेंसियों को निर्माण से संबंधित जांच करने का निर्देश भी दे सकता है। इसके बाद आदेश जारी किया जाता है।

बिल्डर को 5 करोड़ का जुर्माना भरने का दिया आदेश

रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) ने लालपुर स्थित समता कॉम्प्लेक्स में वादा की गई सुविधाएं पूरी न करने के कारण बिल्डर को 5 करोड़ का जुर्माना भरने का आदेश जारी किया था। इसके बाद बिल्डर ने बिना निर्माण किए ही प्रोजेक्ट पूरा होने का दावा करते हुए RERA को हलफनामा पेश किया। इसके बाद रेरा की जांच टीम ने मौके का दौरा किया और पाया कि निर्माण हलफनामे के मुताबिक नहीं हुआ है।

बहुत से निर्माण के वादे कर मुकरा बिल्डर

अब शिकायतकर्ताओं की ओर से झूठे हलफनामे प्रस्तुत करने के मामले में कार्रवाई की मांग की जा रही है। जांच में पता चला है कि बिल्डर ने पार्किंग क्षेत्र और छत पर गार्डन दोनों का निर्माण नहीं किया। इसके अलावा, दो ब्लॉकों को जोड़ने वाला एक ग्लास ब्रिज बनाने का वादा किया गया था, जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है। इन आरोपों के जवाब में बिल्डर का दावा है कि, सभी निर्माण RERA के आदेशों के अनुसार किए गए हैं।

यह उल्लेखनीय है कि वर्तमान में, RERA प्राधिकरण को सूचित किए जाने वाले अधिकांश मामले सुविधाओं के वादे से संबंधित हैं जिन्हें पूरा नहीं किया गया है, साथ ही ऐसे मामले भी हैं जहां आवास समय पर वितरित नहीं किए गए हैं। वहीं RERA प्राधिकरण उपभोक्ता हितों से जुड़े मामलों को जल्द से जल्द निपटाने का प्रयास कर रहा है। प्राधिकरण को मिलने वाली शिकायतों में छोटी और बड़ी दोनों तरह की कंपनियों की शिकायतें शामिल हैं।

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