हाई कोर्ट का फैसला: वकील ने बेल बांड पर दस्तखत की आड़ में जमीन हथियाई, कोर्ट बोला- ये विश्वासघात

बिलासपुर। बिलासपुर हाईकोर्ट ने जमानत बांड पर दस्तखत के बहाने 8.5 एकड़ जमीन हथियाने वाले वकील की अपील को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस रजनी दुबे की बेंच ने कहा कि, तथ्य और सबूतों से स्पष्ट है कि वकील ने अपने मुवक्किल से विश्वासघात किया है। वहीं कोर्ट ने फैसले की कॉपी स्टेट बार काउंसिल को भेजने के भी निर्देश दिए हैं। दरअसल, वकील तुलाराम पटेल खैरा गांव में रहने वाले 70 वर्ष के मेहरचंद नायक को जमानत बांड पर हस्ताक्षर करने के नाम पर अपने साथ बिलासपुर लेकर आया। उसने नायक के नाम पर दर्ज जमीन अपने नाम करा ली।

वहीं पटेल के अनुसार, जमीन के एवज में बुजुर्ग को 15 लाख 64 हजार 700 रुपए का भुगतान किया था। जमीन खरीदने के कारण कोर्ट से उसने अपने पक्ष में स्थायी निषेधाज्ञा पारित करने की मांग की थी। इसके खिलाफ बुजुर्ग के बेटे व बेटियों ने ट्रायल कोर्ट में केस लगाया था, जिसे मंजूर कर लिया गया। जिसे वकील ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। वहीं सुनवाई में दोनों पक्षों ने अपने- अपने तर्क प्रस्तुत किए। इस दौरान जमीन खरीदने वाले तुलाराम पटेल की तरफ से बुजुर्ग को भुगतान किए गए 15 लाख 64 हजार 700 रुपए के संबंध में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया जा सका। वह नहीं बता सका कि इतनी बड़ी रकम का लेनदेन किस तरह किया गया। इसके साथ ही धोखाधड़ी से सेल डीड पास करने के संबंध में जमीन बेचने वाले मेहरचंद ने ही पुलिस और स्टेट बार काउंसिल और पुलिस में भी शिकायतें की थीं। पुलिस ने जांच के बाद आरोप पत्र दाखिल किया था। कोर्ट ने जमीन खरीदने वाले पटेल और गवाहों को दोषी ठहराया था। फिलहाल इस मामले में अपील लंबित है।

कोर्ट ने कहा- बेटे के समान बेटी को भी अधिकार

बेटे के समान बेटी को अधिकार, हाई कोर्ट में इस प्रकरण के जवाब में बुजुर्ग के बेटे और बेटियों ने दो आधार लिए। पहला- पारिवारिक संपत्ति होने के कारण अकेले बुजुर्ग से जमीन खरीदने का अधिकार ही नहीं था। इस कारण नायक द्वारा पटेल के पक्ष में निष्पादित किया गया विक्रय विलेख शून्य एवं अमान्य है।वहीं हाई कोर्ट ने कहा है कि, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में बेटी को भी बेटे के समान ही अधिकार और दायित्व प्राप्त है।

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