मौसमी बीमारियों के बढ़ते खतरे को देखते हुए सीएम के कड़े निर्देश...चिकित्सकों सहित स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारियों को छुट्टियों होंगी रद्द

रायपुर। बारिश के मौसम में अनेको बीमारियों के प्रकोप का खतरा लोगो को लगा रहता है, ऐसे में हमें अपने स्वास्थ्य पर अत्यधिक ध्यान देने की जरुरत होती है। वहीं, इसे देखते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि, स्वास्थ्य के मामले में कोई भी लापरवाही नहीं होनी चाहिए।इसके साथ ही उन्होंने अधिकारियों को संवेदनशील गांवों का भ्रमण कर हालत पर नजर रखने और जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।साथ ही हालातो को देखते हुए अफसरों को प्रभावित इलाकों की निगरानी और दौरे के निर्देश दिए गए हैं। वहीं डॉक्टर, हेल्थवर्कर को भी अब मुख्यालय से छुटटी की मनाही है। सीएम के फरमान के बाद बड़े अफसरों का दौरा प्रारंभ हो गया है। जिसके बाद बिलासपुर जिले के कलेक्टर अवनीश शरण ने कोटा विकासखण्ड के मलेरिया प्रभावित कुरदर, छुईहा, टेंगनमाड़ा सहित अनेक ग्रामों का दौरा किया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि, स्वास्थ्य के मामले में कोई भी लापरवाही नहीं होनी चाहिए।

मलेरिया चौपाल लगाकर लोगो को किया जागरूक

वहीं उन्होंने कुरदर में मलेरिया चौपाल लगाकर वहां के हालात की समीक्षा की। उन्होंने गांव के चौक पर मलेरिया चौपाल लगाकर स्वयं मितानिन से मलेरिया जांच कराकर परीक्षण किया। इस दौरान कलेक्टर ने ग्रामीणों और स्वास्थ्य विभाग के मैदानी कर्मचारियों से हालात की जानकारी ली। कुरदर के सरपंच राजकुमार पैकरा से भी गांव के स्वास्थ को लेकर चर्चा की। उन्होंने स्वास्थ्य अमले को रोज शाम को जनचौपाल लगाकर लोगों में जागरूकता फैलाने को कहा है।वहीं उन्होंने एक बाईक एम्बुलेंस को कुरदर में चौबीसों घण्टे रखने के निर्देश दिए। सभी चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मचारियों को मुख्यालय में रहने को कहा है।

बच्चों को डायरिया एवं मलेरिया से बचने का बताया उपाय

कैंदा अस्पताल को एक 108 वाहन उपलब्ध कराने एवं कुरदर में पानी एवं बिजली की समस्या के निदान करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए। टेंगनमाड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य अधिकारियों को दिए। टेंगनमाड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का भी निरीक्षण किया। उन्होंने निर्देश दिया है कि, यदि फेल्सिफेरम मलेरिया कन्फर्म होती है, तो स्थानीय स्तर पर इलाज न करके सीधे जिला अस्पताल अथवासिम्स में भर्ती के लिए रिफर किया जाये। उन्होंने कहा कि, स्कूलों में प्रार्थना के उपरांत बच्चों को डायरिया एवं मलेरिया से बचने के उपाय बताएं। कलेक्टर ने निर्देश दिया है कि एक अलग कर्मचारी की ड्यूटी लगाकर मरीजों के घर का फोन नम्बर लेकर लगातार बीमारी की मॉनीटरिंग की जाये।

प्रदेश में मलेरिया पॉजिविटी रेट 4.60 से घटकर 0.51 फीसदी :राज्य सरकार

राज्य सरकार के निरंतर प्रयास और जनसहभागिता के कारण मलेरिया पर नियंत्रण पाने में राज्य ने महत्वपूर्ण प्रगति की है। राज्य सरकार के मुताबिक मलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत 2020 से 2023 के दौरान, पहले से नौंवे चरण तक मलेरिया धनात्मक दर 4.60 फीसदी से घटकर 0.51 फीसदी हो चुकी है। इस अभियान का दसवां चरण भी 5 जुलाई 2024 को समाप्त हुआ है। वहीं मलेरिया के वार्षिक परजीवी सूचकांक दर के अनुसार 2018 में छत्तीसगढ़ में मलेरिया की दर 2.63 फीसदी थी, जो 2023 में घटकर 0.99 फीसदी रह गई है। इसी तरह बस्तर में यह दर 16.49 फीसदी से घटकर 7.78 फीसदी रह गई है।

पिछली सरकार के प्रयासों से हुई पॉजिविटी रेट में हुई थी कमी :कांग्रेस

मलेरिया पॉजिविटी रेट कम होने पर कांग्रेस ने इसका श्रेय पूर्ववर्ती सरकार को दिया है। कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा, सरकार ने जो आंकड़े जारी किए हैं, वो 2023 के हैं। यानी हमारी सरकार ने जो काम किया, यह उसका असर है। हमने कीटनाशक युक्त मच्छरदानियों बांटी। हाट बाजार क्लिनिक बनाई। हमारे समय में मलेरिया और डायरिया से मौते कम हो रही है। पिछले छह महीने में जो मौते हो रही है, वो चिंता का विषय है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने बीजेपी पर साधा निशाना

वहीं प्रदेश में बढ़ रहे बिमारियों के खतरे को लेकर अब सियासी दाव - पेंच शुरू हो गए है, जिसको लेकर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि, 2024 में भी यदि लोग मलेरिया और डायरिया से मर रहे हैं। तो यह डबल इंजन सरकार की पोल खोल रही है। मलेरिया, डायरिया से लगातार बढ़ती मौत का हाई कोर्ट संज्ञान लेकर राज्य सरकार को नोटिस देना प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है। स्वास्थ्य विभाग के कार्य प्रणाली पर कितनी शर्म की बात है, लगातार स्वास्थ्य मंत्री झूठ पर झूठ बोले जा रहे हैं। सच के सामने झूठ का कद हमेशा छोटा ही रहता है, इसीलिए हाई कोर्ट संज्ञान लेकर शासन को नोटिस भेजा जाता है की इतनी बड़ी लापरवाही कैसे ?

इसके साथ ही प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत ने कहा कि, जून का महीना मलेरिया माह घोषित होने के बावजूद विष्णु देव साय के शासन की ओर से बचाव के लिए कोई अभियान नहीं चलाया जाना और सिर्फ कागजों और मीडिया में झूठ बोलते रहना भाजपा शासन के लापरवाही के कारण प्रदेश में मलेरिया, डायरिया फिर से पैर पसार रहा है। पूर्ववर्ती 15 साल की भारतीय जनता पार्टी के सरकार में ऐसे ही मलेरिया और डायरिया से लोगों की हजारों मौत होती रही।

2018 में जब भाजपा के 15 साल के कुशासन का अंत हुआ था और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी उस समय छत्तीसगढ़ में मलेरिया की संक्रमण दर 2.63 प्रतिशत था, जो 5 साल के कांग्रेस के सुशासन में मलेरिया उन्मूलन अभियान के बेहतर क्रियान्वयन के फलस्वरुप घटकर मात्र 0.99 प्रतिशत रह गई थी अब छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद फिर से लोगों को डायरिया और मलेरिया बीमारी निगल रही है।

कांग्रेस का दावा - साय सरकार की लापरवाही से बिगड़े हालात

कांग्रेस का दावा है कि, मच्छरदानी और क्लोरीन की दवाएं खरीदने तक के पैसे सरकार के पास नहीं हैं, सरकार की लापरवाही से हालात बिगड़े। ’’छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य की स्थिति भयावह हो रही है। वनांचल में ही नहीं शहर में भी स्थिति ठीक नहीं लोग मलेरिया और डायरिया जैसी सामान्य बीमारी से मर रहे हैं। जशपुर में दो बच्चों का मौत, कवर्धा के चिल्फी में संरक्षित जनजाति बैगा परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई। बीजापुर पोटाकेबिन में दो बच्चियों की मलेरिया से मौत हो गई। बिलासपुर जिला में दो भाइयों की मौत, गरियाबंद जिला के मैनपुर के कुल्हाड़ी घाट शोभा, गोना क्षेत्र में मलेरिया का कहर जारी है एक बच्ची की मौत। पूरा गांव मलेरिया प्रभावित है। मच्छरदानी का वितरण नहीं किया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री जी को बताना चाहिए कि जो हाट बाजार क्लिनिक पूर्ववर्ती सरकार ने चालू किए वो क्यों बंद पड़े हैं? सरकार बनने के बाद स्वास्थ्य सुधार लगभग ठप्प हो चुका है। रायपुर के मेकाहारा अस्पताल में 50 करोड़ की मशीन बंद पड़ी है। जशपुर से लेकर रायपुर, बिलासपुर, बीजापुर तक यही हाल है’’.

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा- भाजपा के सरकार में मच्छरदानी पर भी भ्रष्टाचार

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत ने मच्छरदानी पर भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाते हुए कहा कि गरियाबंद जिला में मच्छरदानी बांटने के नाम पर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा भ्रष्टाचार किया जा रहा है लोगों ने इसकी शिकायत भी की है। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा मलेरिया और डायरिया से पीड़ित मरीजों की संख्या को छुपा रही है और साथ ही इस बीमारी से मरने वालों की आंकड़ा को भी छुपाने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार के द्वारा किया जा रहा है।

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