युवाओं को रोजगार देने पर मुख्यमंत्री गंभीर : नियोजन नीति को लेकर सीएम का फोन बना चर्चा का विषय, कॉल कर सरकार ले रही राय


रांची । नियोजन नीति के झारखण्ड हाई कोर्ट से ख़ारिज हो जाने के बाद राज्य सरकार इसको लेकर अब बहुत सोच समझकर कदम उठा रही है। पूर्व में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने यह घोषणा की थी कि बजट सत्र तक सरकार नयी नियोजन नीति की घोषणा कर देगी। सरकार की यह मंशा भी है कि झारखण्ड के युवाओं के हित में जल्द से जल्द नयी नियोजन नीति लायी जाय ताकि युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल सके। सरकार की साफ़ मंशा है कि पूर्व की तरह नयी नियोजन नीति किसी तरह के विवादों में नहीं आये। इसलिए उम्मीदवारों से सीधे कॉल कर सलाह ली जा रही है कि क्या किया जाए? दरअसल सीएम की आवाज में एक रिकॉर्डेड कॉल आता है. यह कॉल आने से पहले उम्मीदवारों को एक मैसेज भेजा जाता है. यह मैसेज BB-600025 से आता है. जिसमें लिखा होता है : जोहार. माननीय मुख्यमंत्री जी आपसे नियोजन नीति एवं नियुक्ति प्रक्रिया पर आपकी राय जानना चाहते हैं. इस विषय पर कुछ ही समय के बाद आपको कॉल किया जाएगा. धन्यवाद. जोहार.

क्या आता है संदेश

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की आवाज में बताया जाता है कि सरकार नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करना चाहती है पर नियोजन नीति के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं जाना चाहती है. हमें क्या करना चाहिए 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति को नौवीं अनुसूची में शामिल होने का इंतजार करें या 2016 की नियोजन नीति के आधार पर नियुक्ति की जाए.

2016 के नियोजन नीति में हो सकता है आंशिक सुधार

सरकार में शामिल प्रमुख सहयोगी दल कांग्रेस ने भी मुख्यमंत्री पर जल्द-से-जल्द नियोजन नीति लागू करने का दवाब बनाया है. जानकारों का कहना है कि 1932 के आधार पर स्थानीय नीति बनाकर नियोजन की प्रक्रिया शुरू करने में समय लग सकता है. गौरतलब है कि अगले वर्ष झारखंड में विधानसभा का चुनाव भी होना है. सरकार चाहती है कि चुनाव से पहले विपक्ष नियुक्ति को मुद्दा बनाए, उसका काट तैयार कर लेना है. बताया जा रहा है कि वर्ष 2016 के नियोजन नीति में आंशिक संशोधन कर सरकार सदन में नयी नियोजन नीति लाये. जानकारी यह भी मिल रही है कि बजट सत्र में नयी नियोजन नीति को पारित कराकर सरकार नियुक्ति प्रक्रिया तेज करेगी.

16 दिसंबर 2022 को हाईकोर्ट ने रद्द की थी नियोजन नीति

मालूम हो कि झारखण्ड हाई कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने 16 दिसंबर 2022 को झारखंड सरकार की नियोजन नीति को रद्द कर दिया था. इससे पहले खंडपीठ ने सात सितंबर 2022 को मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा था कि ‘झारखंड कर्मचारी चयन आयोग स्नातक स्तरीय परीक्षा संचालन संशोधन नियमावली-2021’ असंवैधानिक है. यह नियमावली भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 व 16 के प्रावधानों का उल्लंघन है. सरकार की यह नियमावली संवैधानिक प्रावधानों पर खरी नहीं उतरती है, इसलिए इसे निरस्त किया जाता है. साथ ही इस नियमावली से की गयी सभी नियुक्तियों व चल रही नियुक्ति प्रक्रिया को भी रद्द किया जाता है.

झारखण्ड सरकार नयी नियोजन नीति को लेकर गंभीर है. 27 फरवरी से शुरू हो रहे झारखण्ड विधानसभा के बजट सत्र में इस बाबत विधेयक लाने की तैयारी की जा रही है. इससे पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उम्मीदवारों से फ़ोन कर नियुक्ति प्रक्रिया पर सलाह ले रहे हैं. मुख्यमंत्री की आवाज में कई उम्मीदवारों को कॉल आ चुके हैं. जिसमें यह पूछा गया है कि नियुक्ति प्रक्रिया को शुरू करने के लिए क्या किया जाय. युवाओं के बीच सीएम का कॉल आना चर्चा का विषय बना हुआ है. गौरतलब है कि दो महीने पहले झारखण्ड हाई कोर्ट ने नियोजन नीति को रद्द कर दिया था. इसके बाद सरकार ने यह घोषणा की थी कि वह दो महीने के भीतर नयी नियोजन नीति लाएगी.

HPBL Desk
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