झारखंड कांग्रेस में घमासान जारी...प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा - "अनुशासनहीनता बर्दास्त नहीं"...आज होगी बैठक
रांची । झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आपसी विवाद थमने का नाम नहीं ले रही है। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे, कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय चारों नेता विरोध के केंद्र में है। पार्टी के नेताओं का सीधा आरोप है कि उदयपुर चिंतन शिविर में 400 से ज्यादा कांग्रेस जनों की उपस्थिति में संगठन को मजबूत करने का फैसला लिया था। उसको झारखंड में ताक पर रखकर कमेटी का गठन किया गया है।
कांग्रेस के आक्रोशित नेताओं ने कहा है कि उदयपुर चिंतन शिविर में यह फैसला लिया गया था कि एक बार संगठन में किसी पद पर काम करने के बाद 5 साल का कूलिंग पीरियड होगा। आम कांग्रेसी कार्यकर्ता की तरह पार्टी संगठन की सेवा करनी होगी। लेकिन नई कमेटी में एक नहीं, कई ऐसे नाम है जो पिछले प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महत्वपूर्ण पद पर थे इस बार फिर उन्हें जगह मिली है।
कांग्रेस के प्रदेश महासचिव प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा
कांग्रेस के अंदर हुए विरोध के स्वर को लेकर कांग्रेस के प्रदेश महासचिव व प्रवक्ता को राकेश सिन्हा ने कहा है कि विरोध ये दर्शाता है कि पार्टी में लोकतंत्र है। सभी को अपनी बात रखने की आजादी है परंतु अनुशासन की सीमा को कोई लांघता है तो यह बर्दाश्त नहीं होगा।
इधर झारखंड प्रदेश के वरीय नेता मुंजी सिंह और देवराज खत्री भी झारखंड कांग्रेस की स्थिति से दुखी है। उनका कहना है कि पार्टी के हित में सवाल उठने पर प्रदेश अध्यक्ष कहते हैं कि जिनका जनाधार नहीं है वही विरोध कर रहे हैं। ऐसे में बुजुर्ग नेता कहना है जिन्हें खुद विधानसभा चुनाव में 2000 वोट नहीं आता वह जनाधार की बात करते हैं। प्रदेश प्रभारी को चाटूकारों से घिरे रहने का आरोप लगाते हुए मूंजी सिंह का कहना हैं कि कांग्रेस के वर्तमान दशा दुखी करने वाला है। कांग्रेस के सुनील सिंह का भी मानना है कि उदयपुर चिंतन शिविर के प्रभारी और अन्य नेताओं ने परिवारवाद, जातिवाद को बढ़ावा दिया है।