Karwa Chauth 2024 : जानें सही तरीका…चंदा मामा नहीं दिखें तो कैसे खोलें व्रत?

Chand Na Dikhne Par Karwa Chauth ka Vrat Kaise Khole: बस कुछ ही घंटे रह गए हैं जब सुहागन औरतें सझ धज कर अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखेंगी. चांद मामा और पति को देखकर अपना व्रत खोलेंगी. आप में से कई ऐसी महिलाएं होंगी जिनकी अभी – अभी शादी हुई होगी. उनका ये पहला करवा चौथ होगा. यह व्रत सभी सुहागिनों के लिए बहुत खास है. इस दिन सभी औरतें भगवान से अपने पति की लंबी उम्र और एक खुशहाल शादीशुदा जीवन की कामना करती हैं. इसलिए वो निर्जला व्रत रखती हैं.

फिर रात में चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं. फिर अपना व्रत खोलती हैं. इसी बीच कई बार ऐसा होता है कि चांद नहीं दिखता. तब व्रतियां बहुत परेशान हो जाती हैं. लेकिन आपको टेंशन लेने की जरूरत नहीं. हमको इसका उपाय बताएंगे.

करवा चौथ शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि यानि कल 20 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 46 मिनट पर आरंभ होगी.

इसका समापन 21 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 16 मिनट पर होगा.

करवा चौथ व्रत समय: सुबह 6 बजकर 34 मिनट से शाम 7 बजकर 22 मिनट पर

पूजा मुहूर्त: जान लें कि शाम 5 बजकर 47 मिनट से 7 बजकर 04 मिनट तक

करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय का समय: रात 07 बजकर 54 मिनट पर

बिना चांद के करवा चौथ व्रत कैसे खोलें?

अगर करवा चौथ पर चांद नहीं दिखाई देता है, तो आप किसी ऐसे शहर में किसी रिश्तेदार या परिचित के साथ वीडियो कॉल के ज़रिए चांद देखकर अपना व्रत तोड़ सकते हैं. जहां चांद दिखाई दे. चांद देखने के बाद, आप अनुष्ठान कर सकते हैं और अपना व्रत तोड़ सकते हैं.

करवा चौथ उत्तर भारत में विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक त्यौहार है, जहां वे अपने पति के स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करने के लिए सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक उपवास रखती हैं.

करवा चौथ से जुड़ी खास बात

उपवास- महिलाएं सुबह होने से पहले सरगी नामक भोजन खाती हैं और फिर चाँद निकलने तक भोजन और पानी से परहेज़ करती हैं.

अनुष्ठान- महिलाएं पूजा करती हैं, करवा चौथ कथा सुनती हैं और देवी पार्वती की पूजा करती हैं.

व्रत तोड़ना- महिलाएँ छलनी से चांद को देखने और अपने पतियों के साथ अनुष्ठान करने के बाद अपना व्रत तोड़ती हैं.

दान- अनुष्ठान के बाद, महिलाएं ब्राह्मण या विवाहित महिला को पानी या दूध से भरा करवा दान करती हैं.

उत्सव मनाना- महिलाएं अन्य विवाहित महिलाओं के साथ व्रत कथा सुनकर, उपवास रखकर और मंत्रों का जाप करके इस दिन को मनाती हैं.

कृतज्ञता व्यक्त करना- भोजन के बाद, महिलाएं अपने पति और अपने रिश्ते के बारे में जो कुछ भी सराहना करती हैं, उसे साझा करके आभार व्यक्त करती हैं.

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