Jagannath Yatra : पुरी में जगन्नाथ रथयात्रा शुरू, न जा पाएं तो घर पर ही करें पूजा

ओडिशा के पुरी में आज से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू हो रही है. भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी इस यात्रा में शामिल हो रही हैं. भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के तीन रथों नंदीघोष, दर्पदलन और तालध्वज को पुरी श्रीमंदिर के सिंहद्वार लाया गया, जहां से ये यात्रा शुरू हुई. इस यात्रा का आयोजन हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से होता है. भगवान जगन्नाथ इस दिन से दशमी तिथि तक जन सामान्य के बीच रहते हैं.

इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर विराजकर गुंडीचा मंदिर की ओर प्रस्थान करते है. जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन 10 दिन तक चलता रहता है. मान्यता है कि रथ यात्रा के दर्शन मात्र से 1000 यज्ञों का पुण्य प्राप्त होता है.

इस साल पुरी की रथयात्रा दो दिनों की होगी

भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज पर श्री बलराम जी रहते हैं. उनके पीछे पद्म ध्वज रथ पर माता सुभद्रा और सुदर्शन चक्र होते हैं. अंत में गरुड़ ध्वज पर श्री जगन्नाथ जी चलते हैं. 53 साल बाद इस साल पुरी की रथयात्रा दो दिनों की होगी. स्नान पूर्णिमा पर बीमार हुए भगवान जगन्नाथ आज सुबह ठीक हुए इसलिए रथयात्रा से पहले वाले उत्सव भी आज ही मनाए जा रहे हैं. भगवान को आम दिनों में 2 घंटे पहले जगाया गया. मंगला आरती आज सुबह 4 बजे के बजाय रात 2 बजे हुई. इससे पहले साल 1971 में भी रथयात्रा दो दिन चली थी.

सूर्यास्त के बाद नहीं खींचे जाएंगे रथ

आज भगवान जगन्नाथ को रथ खास कपड़ों में लपेटकर मंदिर से बाहर लाया जाएगा. आज रथ यात्रा में ज्यादा भीड़ होने की संभावना है. पूजा विधियों के चलते रथयात्रा शाम 5 बजे तक होने की संभावना है. रथ को सूर्यास्त तक ही खींचा जाएगा. सूर्यास्त होने पर रथ यात्रा जहां तक पहुंच जाएगी. उसे वहीं रोक दिया जाएगा. इस यात्रा के दौरान भगवान का नित्य पूजन होगा. इसमें संध्या आरती, भोग लगेगा इसके बाद शयन आरती होगी. सोमवार सुबह फिर से रथ खींचे जाएंगे और शाम तक गुंडिचा मंदिर पहुंच जाएंगे.

रथों के चारों ओर सोने की झाड़ू से होगी सफाई

रथ यात्रा के पहले दिन दोपहर के समय तीनों देवी-देवताओं को एक-एक कर मंदिर से बाहर लाया जाएगा. फिर पुरी के शंकराचार्य रथ की पूजा करेंगे. इसके बाद जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी सबसे प्रसिद्ध रस्म छेरा पहरा की जाएगी. इसमें ओडिशा के महाराज गजपति देवी-देवताओं और रथों के चारों ओर सोने की झाड़ू से सफाई करेंगे. इसी झाड़ू से मंडप साफ किया जाएगा. इस दौरान रथ जिस भी रस्ते से गुजरेगा वहां भी इसी झाड़ू से रास्ता भी साफ होगा.

घर पर ऐसे करें भगवान जगन्नाथ की उपासना

जिन लोगों के लिए पूरी की रथ यात्रा में जाना संभव नहीं है. वो घर पर ही भगवान जगन्नाथ की उपासना कर सकते हैं. भगवान जगन्नाथ को भोग लगाएं और उनके मंत्रों का जाप करें. घर के पूजा स्थान पर श्री जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिकृति स्थापित करें. उन्हें सात्विक भोग लगाएं. भोग में तुलसी का पत्ता जरूर डालें. इसके बाद श्री जगन्नाथ जी की स्तुति करें. इस दिन घर में पूरी तरह से सात्विकता बनाए रखें.

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