झारखंड के फोर्थ ग्रेड कर्मचारियों को लगा झटका…सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की 2010 की नियुक्तिां

सुप्रीम कोर्ट ने पलामू में हुए फोर्थ ग्रेड की नियुक्ति को रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने में विज्ञापन निकालने और आयु सीमा पार कर चुके उम्मीदवारों को छूट देने का कहा है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2010 में पलामू जिले में 100 से अधिक पदों पर फोर्थ ग्रेड में नियुक्त कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया को अवैध और असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है.

शीर्ष अदालत ने सुनवाई करते हुए क्या कहा?

बीते मंगलवार को यह फैसला जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस संदीप मेहता की बैंच ने प्रार्थी अमृक यादव और अन्य की याचिका पर सुनवाई करने हुए यह फैसला सुनाया है.

इसके अलावे शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाते हुए  झारखंड सरकार को निर्देश दिया है कि छह महीने के भीतर इन सभी पदों पर भर्ती के लिए नया विज्ञापन जारी करने को कहा है. साथ ही नए सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने को कहा है. कोर्ट ने नियुक्ति की नई अधिसूचना में वैसे अभ्यर्थियों को निर्धारित आयु सीमा में छूट देने को भी कहा. जो मुकदमा के पेंडिंग रहने के दौरान अपनी आयु सीमा पार कर चुके है.

क्या था पूरा मामला?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पलामू समाहरणालय सहित विभिन्न सरकारी कार्यालयों में फोर्थ ग्रेड में नियुक्ति के लिए तत्कालीन डीसी ने 2010 में स्थापना समिति की बैठक बुलाकर खाली पदों की गणना कराई थी. जुलाई 2010 में जिला स्थापना समिति द्वारा इन कार्यालयों में चतुर्थवर्गीय पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया गया था. हालांकि, इससे न तो राज्य सरकार से न तो संबंधित विभागों से पूर्वानुमति ली गयी, विज्ञापन प्रकाशित होने के बाद लगभग 22 हजार से अधिक आवेदन आए.

नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन को कर दिया गया था रद्द

अमृत यादव और अन्य कई लोगों की नियुक्ति फोर्थ ग्रेट पद पर की गई थी. लेकिन, बाद में नियुक्ति के लिए जारी किया गया विज्ञापन रद्द कर दिया गया.

पलामू डीसी  के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल की गई

तत्कालीन पलामू डीसी के फैसले के खिलाफ अमृत यादव सहित अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद उन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. लेकिन, वहां भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली.

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