मजदूर से राज्यपाल तक: कभी रोलिंग मिल में मजदूर थे रघुबर दास, बचपन में दो जून की रोटी भी थी मुश्किल, जानिये मजदूर से मुख्यमंत्री और फिर राज्यपाल बनने की कहानी

रांची। रघुवर दास को ओड़िशा का नया राज्यपाल बनाया गया है। बुधवार की देर रात जब गवर्नर की लिस्ट जारी हुई, तो कई जानकार दंग रह गये। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे रघुबर को 2024 के चुनाव में फायरब्रांड नेता के रूप समर्थक देख रहे थे, लेकिन राष्ट्रीय नेतृत्व ने रघुबर के लिए अलग-अलग प्लान बना रखा था। …और फिर बुधवार की रात वो घड़ी भी आ गयी, जब केंद्र सरकार ने पत्ते खोलते हुए रघुबर दास तो राज्यपाल के रूप में एक नयी जिम्मेदारी सौंप दी।

बेशक राज्यपाल की जिम्मेदारी को सक्रिय राजनीति से संन्यास के तौर पर देखा जा रहा हो, लेकिन हकीकत में राजनीति की ये सुखद मंजिल भी है। राज्यपाल बनने के बाद हर कोई रघुबर दास के बारे में जानना चाहता है। आईये हम आपको बताते हैं रघुबर दास से जुड़े अनसुने किस्से।

रघुबर दास 40 सालों तक राजनीति में सक्रिय रहे। रोलिंग मिल के मजदूर से अपने सफर की शुरुआत करने वाले रघुबर दास तेली परिवार से आते हैं। उनका बचपन बेहद अभाव में गुजरा। रघुवर दास का जन्म 3 मई 1955 को जमशेदपुर में हुआ था। उन्होने जमशेदपुर की टाटा स्टील रोलिंग मिल में मजदूर के रूप में अपना सफर शुरु किया। टाटा स्टील में नौकरी करने के दौरान रघुवर दास श्रमिकों के नेता बन गए। उसी दौरान जेपी आंदोलन हुआ और वे राजनीति में आ गए। इमरजेंसी के दौरान रघुवर दास को जेल भी जाना पड़ा।

उनकी प्रारम्भिक शिक्षा भालूबासा हरिजन विद्यालय में हुई। यहीं से मैट्रिक की परीक्षा पास की। इसके बाद जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज से बीएससी और विधि स्नातक की परीक्षा पास की। रघुवर दास के परिवार में उनकी पत्नी, एक पुत्र और एक पुत्री हैं, हालांकि उनकी पुत्री की शादी हो चुकी है। सीएम रघुवर दास के पिताजी चवन दास मूल रूप से छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव जिले के रहने वाले थे। वे मजदूरी करने टाटानगर आए और 1979 में वहीं बस गए।

रघुवर दास को झारखंड के पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री होने का गौरव है। रघुवर दास वर्ष 1977 में जनता पार्टी के सदस्य बने। वर्ष 1980 में बीजेपी की स्थापना के साथ ही वह सक्रिय राजनीति में आए। उन्होंने वर्ष 1995 में पहली बार जमशेदपुर पूर्व से विधानसभा का चुनाव लड़ा और विधायक बने। तब से लगातार पांचवीं बार उन्होंने इसी क्षेत्र से विधानसभा चुनाव जीता है। तत्कालीन बिहार के जमशेदपुर पूर्व से वर्ष 1995 में उनका टिकट बीजेपी के प्रसिद्ध विचारक गोविंदाचार्य ने तय किया था।

दास पंद्रह नवंबर, 2000 से 17 मार्च, 2003 तक राज्य के श्रम मंत्री रहे, फिर मार्च 2003 से 14 जुलाई, 2004 तक वह भवन निर्माण और 12 मार्च 2005 से 14 सितंबर, 2006 तक झारखंड के वित्त, वाणिज्य और नगर विकास मंत्री रहे। इसके अलावा दास 2009 से 30 मई, 2010 तक झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ बनी बीजेपी की गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री, वित्त, वाणिज्य, कर, ऊर्जा, नगर विकास, आवास और संसदीय कार्य मंत्री भी रहे।

रघुवर दास ने 15 नवंबर, 2000 में बने झारखंड राज्य के दसवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ आज ली। राज्य बनने के चौदह वर्ष बाद वह पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो गैर आदिवासी हैं। दास के साथ आज चार अन्य मंत्रियों ने भी शपथ ली है। राज्य में नवंबर-दिसंबर में हुए विधानसभा चुनावों में पहली बार 81 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा और उसके गठबंधन सहयोगी आज्सू को 42 सीटें जीतने में सफलता मिली है जिससे बहुमत की स्थिर सरकार की स्थापना हुई है।

दास 15 नवंबर, 2000 से 17 मार्च, 2003 तक राज्य के श्रम मंत्री रहे, फिर मार्च 2003 से 14 जुलाई, 2004 तक वह भवन निर्माण तथा 12 मार्च 2005 से 14 सितंबर, 2006 तक झारखंड के वित्त, वाणिज्य और नगर विकास मंत्री रहे। इस बीच जुलाई, 2004 से मई, 2005 तक वह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे और बाद में 19 जनवरी, 2009 से 25 सितंबर, 2010 तक वह एक बार फिर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे। दास 30 दिसंबर, 2009 से 30 मई, 2010 तक झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ बनी भाजपा की गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री, वित्त, वाणिज्य, कर, ऊर्जा, नगर विकास, आवास और संसदीय कार्य मंत्री रहे। हाल में 16 अगस्त, 2014 को अमित शाह की अध्यक्षता में बनी टीम में वह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाये गये।

HPBL Desk
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