नए शैक्षणिक सत्र से खेल-खेल में होगी पढ़ाई…नया सिलेबस हुआ जारी, इन स्कूलों में लागू किया जायेगा ये नया पाठ्यक्रम
नयी दिल्ली। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर अमल शुरू हो गया है। स्कूलों के बुनियादी स्तर यानी शुरु के पांच सालों में से पहले तीन सालों के लिए पाठ्यक्रम तैयार कर लिया गया है। इसमें बच्चों को सिर्फ खेल-खेल में ही सिखाया और पढ़ाया जाएगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पाठ्यक्रम जारी करते हुए कहा कि यह जादुई है जिससे बच्चों को पढ़ने में भी मजा आएगा। शैक्षणिक सत्र से देश भर के केंद्रीय विद्यालयों में लागू होगा। साथ ही इसे सीबीएसई से जुडे निजी और राज्यों के स्कूल भी पढ़ा सकेंगे। इस पाठ्यक्रम को प्रधान ने जादुई पिटारा का नाम दिया।
सीबीएसई व सेंट्रल स्कूल में लागू होगा पाठ्यक्रम
प्रधान ने कहा कि वैसे तो यह पाठ्यक्रम नए शैक्षणिक सत्र से देश भर के सभी 12 सौ केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ाया जाएगा, लेकिन यदि सीबीएसई से संबद्ध कोई निजी स्कूल या राज्य भी चाहें तो वह इसे पढ़ा सकते है। राज्यों की एससीईआरटी को भी यह जल्द ही उपलब्ध करा दिया जाएगा। उन्होंने इसके बाद भी यदि कोई राज्य इसकी मूल भावना के अनुरूप कोई बदलाव भी करना चाहते है, तो वह स्वतंत्र है। इसके साथ ही उन्होंने इस सभी भारतीय भाषाओं में तैयार करने का भी ऐलान किया।
बदलेगा पढ़ाई का अंदाज
उन्होंने कहा कि अब इसके बेहतर अमल की जरूरत और जिम्मेदारी भी है, तभी इसका बेहतर लाभ भी मिल सकेगा। गौरतलब है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा की संरचना को 10 प्लस 2 की जगह 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 का स्वरूप दिया गया है। इनमें पहला स्टेज पांच सालों का है, जिसे बुनियादी स्तर ( फाउंडेशनल स्टेज) के रूप में परिभाषित किया गया है। इनमे पहले तीन साल बालवाटिका के है, और पहली व दूसरे कक्षा भी शामिल है। इस स्तर में तीन से आठ साल तक के बच्चों को शिक्षा दी जानी है।
शिक्षकों को मिलेगी ट्रेनिंग
बच्चों के लिए बुनियादी स्तर का पाठ्यक्रम करने के साथ ही एनसीईआरटी ने शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए भी अध्ययन सामग्री तैयार की है। जिसके जरिए सभी शिक्षकों को यह प्रशिक्षण दिया जाएगा, कि उन्हें इसके तहत बच्चों को पढ़ाना कैसे है। खेल आधारित शिक्षा कैसे दी जा सकती है। एनसीईआरटी के निदेशक डा सकलानी का मानना है कि शिक्षकों के प्रशिक्षण सबसे जरूरी है। इसके लिए मास्टर ट्रेनर तैयार किए जाएंगे।