पेसा नियमावली से ग्राम सभाएं लगाएंगी भ्रष्ट्राचार पर अंकुश...सुप्रीम कोर्ट के सलाहकार सदस्य ने लागू करने पर दिया जोर

मनिका । देश के पांचवीं अनुसुचित क्षेत्रों के लिए पेसा अधिनियम 24 दिसम्बर 1996 में संसद से पारित हुआ। आज 10 राज्यों में से 7 राज्यों ने पेसा नियमावली पारित किया। परंतु दुर्भाग्य की बात हैं कि 26 सालों बाद भी झारखण्ड ने पेसा नियमावली अधिसूचित नहीं की है। जिसकी वजह से ग्राम सभाएं कमजोर हुई हैं। इससे गाँव में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों का बेतहासा दोहन हो रहा है और सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार भी चरम पर है। ग्राम सभाओं के मजबूत होने से ही भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।उक्त बातें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व राज्य सलाहकार सदस्य बलराम जी ने कही। मनिका प्रखण्ड सभागार में सभी ग्राम प्रधानों को उनके संविधानिक दायित्व और जिम्मेवारी सम्बन्धी कार्यशाला में उन्होंने ये बात कही।


कार्यशाला की शुरुआत उपस्थित सभी ग्राम प्रधानों, प्रखण्ड विकास पदाधिकारी मनिका एवं प्रशिक्षकगण मिलकर संविधान की प्रस्तावना पढ़कर किया गया। उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रखण्ड विकास पदाधिकारी ने कहा कि बदलते समय में सभी ग्राम प्रधानों और आम लोगों को भी नियम कानूनों की बुनियादी जानकारी होनी चाहिए तभी ग्राम सभा और सरकारी मशीनरी मिलकर लोगों की बेहत्तरी के लिए ठोस कार्य किये जा सकेंगे। गाँव में नियमित ग्राम सभा बैठकें होंगी तो कई समस्याएं ऐसी होंगी जिसका निराकरण गाँव के लोग आपस में मिलकर निपटारा कर लेंगे।

साथ ही सरकारी योजनाओं का वास्तविक लाभ भी जरुरतमंद लोगों तक पहुँचाने में प्रशासन को भी सहूलियत होगी।
वहीँ सामाजिक कार्यकर्त्ता जेम्स हेरेंज ने कहा कि विगत वर्ष राज्य पंचायत राज विभाग पेसा नियमावली अधिसूचित करने हेतू काफी गंभीर हुई है। इसके लिए राज्यभर के सामाजिक संगठन और बुद्धिजीविओं ने भी जमीनी संघर्षों के अनुभव के आधार पर प्रस्तावित पेसा नियमावली के प्रारूप पर कई महत्वपूर्ण सुझाव के साथ विभाग में दस्तावेज सुपुर्द किये हैं।

सरकार को चाहिए कि आगामी बजट सत्र में इसे विधान सभा से पारित करने पर जोर देते हुए कहा की इससे राज्य के ग्राम सभाओं को अपनी ग्राम सरकार को चलाने में अत्यधिक मदद मिलेगी। अन्य वक्ताओं ने कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर सुझाव दिए। ग्राम प्रधानों ने दृढ़तापूर्वक दुहराया कि वे हर हाल में फर्जी ग्राम सभा जैसे मामलों पर पूरी तरह अंकुश लगायेंगे। सभी विकास योजनाओं पर ग्राम सभा की निगरानी समितियों के मध्यम से निगरानी करेंगे।

क़ानूनी प्रावधानों के अनुसार उपयोगिता एवं शिशु जन्म प्रमाण पत्र जारी करेंगे प्रत्येक गाँव में आवश्यक दस्तावेजों के रख रखाव हेतु पंचायत सचिवालय का निर्माण करेंगे। सरकार को भी इस दिशा में जरुरी कदम उठाने चाहिए। जरुरत पड़ेगी तो पेसा नियमावली को अधिसूचित कराने के लिए राज्यब्यापी जन दबाव कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे।

कार्यक्रम में प्रखण्ड के 76 ग्राम प्रधानों ने भाग लिया , जिनमें ग्राम प्रधान के अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह, सचिव राजेश्वर सिंह, गोपाल उराँव, सेठा यादव, दिनेश सिंह, राजाराम सिंह, जमुना सिंह, चिंता देवी, सुकुल उराँव, नागेन्द्र उराँव, भारत साव, कयूम अंसारी सहित नरेगा सहायता केंद्र के पचाठी सिंह, प्रेमा तिग्गा, दिलीप रजक, जीतेन्द्र सिंह, सुभाषचन्द्र बोस लालबिहारी सिंह उपस्थित थे l

HPBL Desk
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