ED डायरेक्टर को लिखना पड़ा पत्र! आपराधिक साजिश का बेवजह इस्तेमाल न करें जांच अधिकारी, जानिये इस आदेश की वजह..
Had to write a letter to the ED Director! Investigating officers should not use criminal conspiracy unnecessarily, know the reason for this order..
ED News: ईडी ने अपने अफसरों के लिए नया निर्देश जारी किया है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 61 यानी आईपीसी 120 बी को लेकर ये आदेश दिया गया है। ईडी ने जांच अधिकारियों को ये निर्देश दिया है कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामले दर्ज करने के लिए आपराधिक साजिश यानी कॉन्सपिरेसी का बेवजह इस्तेमाल ना क़रें। दरअसल, ईडी एक सेकंडरी एजेंसी है जो अपने दम पर कोई भी जांच अपने हाथ में नहीं ले सकती।
दरअसल ईडी अन्य एजेंसियों की FIR को आधार बनाकर अपनी ECIR दर्ज करती है। सूत्रो के मुताबिक, ईडी डायरेक्टर राहुल नवीन ने अपने आदेश में कहा कि पीएमएलए यानी प्रिवेंशन ऑफ मनी लाउंड्रिंग एक्ट अपने आप के काफी विस्तृत है। इसमें करीब 150 क्लॉज़ है। लिहाज़ा BNS 61 की जगह इन्हीं क्लॉज़ का इस्तेमाल करने की हिदायत दी है।
सूत्रों की मानें तो अगर तलाशी के दौरान उन्हें कोई अतिरिक्त सबूत मिलता है तो ईडी पीएमएलए की धारा 66(2) के तहत राज्य पुलिस के साथ भी जानकारी साझा कर रही है। राज्य पुलिस तब एफआईआर दर्ज कर सकती है और ईडी बाद में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर सकता है, यानी अब ईडी अन्य एजेंसियों के साथ पूरा सामंजस्य कायम कर मामलों की जांच कर रही है।
ऐसे आदेश के पीछे क्या है वजह
दरअसल कई मामले सुप्रीम कोर्ट में टिक नहीं सके। आरोपियों को जमानत तो मिली ही, कोर्ट की तरफ से ईडी को फटकार भी खानी पड़ी। लिहाजा अब ईडी ने अपने अफसरों को निर्देश दाय है। आपको बता दें कि नवंबर 2023 में पावना डिब्बर फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 120B एक अकेला अपराध नहीं है और यह पीएमएलए लागू करने के लिए पर्याप्त नहीं है। मार्च 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के खिलाफ ईडी के पीएमएलए मामले को रद्द कर दिया था।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गयी थी। क्योंकि ईडी का पीएमएलए मामला 2018 के आईटी के निष्कर्ष पर आधारित था। ईडी ने आईपीसी की धारा 120B जोड़कर पीएमएलए का मामला दर्ज किया था। डीके शिवकुमार को सितंबर 2019 में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि ईडी ने 2019 में ही आरोप पत्र दायर किया था।
डीके शिवकुमार को 2019 के ईडी मामले में राहत मिली थी। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई भ्रष्टाचार मामले को रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी, जो 2019 के ईडी निष्कर्षों से सामने आया है। सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने इस मामले में एक और मनी लॉन्ड्रिंग मामला दर्ज किया है जो सीबीआई से जुड़ा है। 2020 में एफआईआर दर्ज की गई थी।
यह केस हो गया था रद्द
इसी तरह अप्रैल 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश टुटेजा के खिलाफ पीएमएलए मामले को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि कथित छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में कोई “अपराध की आय” नहीं है। हालाँकि, ईडी ने छत्तीसगढ़ में एक नई एफआईआर दर्ज की और बाद में टुटेजा को फिर से गिरफ्तार कर लिया। छत्तीसगढ़ एसीबी टुटेजा से पूछताछ कर रही थी तभी ईडी ने उन्हें समन भेजा और गिरफ्तार कर लिया। इन दोनों ही मामलो में ईडी ने PMLA के साथ बीएनएस की धारा 61 का इस्तेमाल किया था लेकिन कोर्ट में ईडी इनके ख़िलाफ़ आपराधिक साज़िश रचना जैसा आरोप साबित नहीं कर पाई थी।
अरविंद केजरीवाल मामले में ईडी को मिला था झटका
ठीक इसी तरह हाल ही में दिल्ली आबकारी घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत ज्यादातर आरोपियों पर बीएनएस 61 (पूर्व में 120 बी) का इस्तेमाल किया था लेकिन जमानत के विरोध के समय जांच एजेंसी इसे साबित नहीं कर पाई और आबकारी घोटाले में जेल में बंद लगभग सभी आरोपियो को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई।